लोकसभा चुनाव 2019: नागौर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के छोटू राम चौधरी है। उन्होंने साल 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की डॉक्टर ज्योति मिर्धा को 75, 218 वोटों से हराया था। राजस्थान के प्रमुख शहरों में से एक नागौर ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। नागौर बलबन की जागीर थी जिसे शेरशाह सूरी ने 1542 में जीता था। सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था, जिसका नाम अकबरी जामा मस्जिद है। हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह भी यहां है, जहां मत्था टेकने के लिए लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं। नागौर विशेष रूप से पशु मेले और मशाला मेथी के लिए पूरे भारत में मशहूर है, यहां की आबादी 26,52,945 है, जिसमें से 79 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं, जबकि 20 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं।
नागौर लोकसभा सीट का इतिहास
आठ विधानसभा सीटों वाले इस संसदीय क्षेत्र में सबसे पहले 1952 में आम चुनाव हुए थे, जिसे की जी. डी. सोमानी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता था। इसके बाद इस सीट पर साल 1957 और 1962 में कांग्रेस का कब्जा रहा लेकिन 1967 का चुनाव स्वतंत्रता पार्टी ने जीता था। इसके बाद 1971 से लेकर 1984 तक यहां कांग्रेस की ही राज रहा और इस दौरान इस सीट पर कांग्रेस के नाथूराम मिर्धा लगातार तीन बार सांसद चुने गए। 1989 का चुनाव भी नाथूराम मिर्धा ने ही जीता लेकिन इस बार वो कांग्रेस के नहीं बल्कि जनता दल के टिकट पर विजयी हुए, जबकि 1991 के चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस फिर से ज्वाइन कर ली थी और वो 1991 और 1996 दोनों ही आम चुनाव में कांग्रेस के ही टिकट पर यहां विजयी हुए। 1997 का चुनाव नाथूराम मिर्धा के बेटे भानू प्रकाश मिर्धा ने भाजपा के टिकट पर जीता लेकिन 1998 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई और राम रघुनाथ चौधरी यहां से सांसद चुने गए, वो लगातार दो बार इस सीट से एमपी रहे, साल 2004 का चुनाव यहां भाजपा ने जीता लेकिन साल 2009 के चुनाव में यहां फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और ज्योति मिर्धा यहां से एमपी चुनी गई लेकिन साल 2014 के चुनाव में उन्हें भाजपा के सी. आर. चौधरी से शिकस्त झेलनी पड़ी और कांग्रेस की यहां हार हुई।
छोटू राम चौधरी का लोकसभा में प्रदर्शन
छोटू राम चौधरी उर्फ सी आर चौधरी 2006-2010 में राजस्थान लोक सेवा आयोग के आईएएस रह चुके हैं, सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने राजनीति की ओर रूख किया और नागौर से सांसद बने, वो उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के राज्य मंत्री के रूप में भी काम कर रहे हैं, दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान उनकी लोकसभा में उपस्थिति 97 प्रतिशत रही। इस दौरान उन्होंने 133 डिबेट में हिस्सा लिया और 322 प्रश्न पूछे। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर कांग्रेस, नंबर 3 निदर्लीय उम्मीदवार थे। उस साल इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 16,78,662 थी, जिसमें से मात्र 10,04,019 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,32,331 और महिलाओं की 4,71,688 थी। नागौर में 85 प्रतिशत हिंदू और 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।
नागौर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है और उसे हराना यहां आसान नहीं था लेकिन साल 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच ये सीट भाजपा के खाते में चली गई थी लेकिन क्या साल 2019 में भी ऐसा ही होगा, वो भी तब, जब हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की राजस्थान में करारी हार हुई है, ऐसे में क्या एक बार फिर यहां कमल खिलेगा, ये एक बड़ा सवाल है तो वहीं क्या कांग्रेस की वापसी इस सीट पर होगी, इस पर भी सबकी नजरें है, देखते हैं नागौर की जनता बीजेपी या कांग्रेस किसे इस बार अपनी कमान सौंपती है क्योंकि होगा तो वही जो जनता चाहेगी।