लोकसभा चुनाव 2019: कोटा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: राजस्थान की कोटा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के ओम बिड़ला है। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के इज्यराज सिंह को 20, 07, 82 वोटों से हराया था, ओम बिड़ला को जहां 64,48,22 वोट मिले वहीं कांग्रेस के इज्यराज सिंह को 44,40,40, वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर कांग्रेस और नंबर 3 पर आप थी। चम्बल नदी के तट पर बसा कोटा शहर राजस्थान का सबसे शिक्षित जिला है और इस वक्त अपने कोचिंग संस्थानों के लिए पूरे भारत में मशहूर कोटा में पिछले कुछ सालों में औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा अनेक किलों, महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। ये शहर हाल ही मे वर्ल्ड ट्रेड फोरम की सूची में दुनिया का 7 वां सबसे ज्यादा भीड भाड़ वाला शहर बन गया है, इसकी जनसंख्या 27,16,852 है ,जिसमें से 49 प्रतिशत लोग गांवों में और 50 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं।
कोटा लोकसभा सीट का इतिहास
आठ विधानसभा सीटों को अपने आंचल में संजोए कोटा संसदीय क्षेत्र में पहला आम चुनाव राम राज्य परिषद ने जीता था। इसके बाद यहां कांग्रेस का राज रहा, वो 1957 से लेकर 1971 तक यहां जीतती आई और ओंकार लाल लगातार चार बार इस सीट पर सांसद चुने गए। साल 1977 का चुनाव यहां पर जनता पार्टी ने जीता तो वहीं 1980 में यहां पर भाजपा ने जीत के साथ आगाज किया, हालांकि 1984 के चुनाव में यहां कांग्रेस की वापसी हुई लेकिन 1989 में एक बार यहां फिर से कमल खिला और दाऊदयाल जोशी यहां से एमपी चुने गए। वो यहां लगातार तीन बार सांसद रहे और साल 1998 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस की जीत हुई लेकिन साल 1999 में एक बार फिर से भाजपा की वापसी हुई और रघुवीर सिंह कौशल यहां से एमपी चुने गए, वो लगातार दो बार इस सीट से निर्वाचित हुए, साल 2009 के चुनाव में यहां कांग्रेस की जीत हुई और इज्यराज सिंह यहां के सांसद बने जबकि साल 2014 के चुनाव में फिर से ये सीट भाजपा की झोली में आ गई और ओम बिड़ला यहां से एमपी चुने गए।
ओम बिड़ला का लोकसभा में प्रदर्शन
राजस्थान की शिक्षा नगरी कहे जाने वाले शहर कोटा के सांसद ओम बिड़ला की पहचान एक ऐसे राजनेता की है जो न सिर्फ अपने क्षेत्र के, बल्कि पूरे प्रदेश को शिक्षा के शिखर पर लाने की मुहिम में जुटे हैं। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे बिड़ला 1979 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वह भाजपा के छात्र संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। बिड़ला राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के भी सदस्य रहे हैं। सांसद बनने से पहले बिड़ला कोटा दक्षिण क्षेत्र से तीन बार विधायक भी चुने जा चुके हैं। दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उपस्थिति 87 प्रतिशत रही है। इस दौरान उन्होंने 164 डिबेट में हिस्सा लिया और 654 प्रश्न पूछे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट में कुल वोटरों की संख्या 17,44,539 थी, जिसमें केवल 11,54,960 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था। इसमें वोट देने वाले पुरुषों की संख्या 6,34,766 और महिलाओं की संख्या 5,20,194 थी।
कोटा में भाजपा की जीत में मोदी लहर के साथ-साथ कांग्रेस के प्रति लोगों के गुस्से का भी बड़ा हाथ था जिसके चलते कांग्रेस यहां अपनी जीती हुई सीट हार गई थी, ये वो क्षेत्र है जहां शिक्षित वोटरों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिसने उम्मीदवारों के कामों को देखते हुए साल 2014 का फैसला सुनाया था और इस बार भी वो ऐसा ही करेगी, यह तय है इसलिए इस सीट पर बीजेपी की वापसी तभी संभव है जब यहां के लोग ओम बिड़ला के काम से संतुष्ट और खुश होंगे, अब देखते हैं कि यहां की जनता इस बार यहां किसे मौका देती है।