लोकसभा चुनाव 2019: खूंटी लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के करिया मुंडा हैं। उन्होंने आठवी बार इस सीट पर अपनी हुकुमत जमाई है। 2014 में इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 1,111,852 थी। इनमें से 736,955 लोगों ने वोट डाला, वोट डालने वालों में 373,120 पुरुष और 363,835 महिलाएं थी। यहाँ 66 फीसदी मतदान हुआ। अगर डेमोग्राफिक्स की माने तो इस सीट की कुल जनसँख्या 17,25,970 है। इनमे 93.32 फीसदी ग्रामीण आबादी हैंऔर 6.68 फीसदी शहरी आबादी। इस क्षेत्र की एक बड़ी जनसंख्या अनुसचित जनजाति से सम्बन्ध रखती है, जो कुल जनसंख्या का कुल 64.85 फीसदी है।
खूंटी लोकसभा सीट का इतिहास
खूंटी लोकसभा सीट साल 2007 में जन्म रांची जिले के एक हिस्से से बनी। यह जिला इतिहास में बिरसा आन्दोलन के केंद्र के रूप में जाना जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार यह जिला झारखण्ड में लोहरदगा के बाद सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला भी लाल गलियारे का हिस्सा है। लाल गलियारा भारत के पूर्वी भाग का एक क्षेत्र है जहाँ नक्सलवादी उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। इस इलाके की अधिकतम जनसंख्या पुरानी जनजातियों से सम्बन्धित है जिनका जीवन मुख्यतः कृषि और जंगलों पर निर्वाहित होता है। शासन प्रशासन के नजरिये से देखें तो खूंटी लोकसभा क्षेत्र झारखंड के 14 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है।
यह क्षेत्र मुख्यतः प्राचीन जनजातियों की जनता का है इसलिए इस क्षेत्र को अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित रखा गया है। यह निर्वाचन क्षेत्र खूंटी और सिमडेगा जिले के पूरे हिस्से और रांची और सराइकेला खरसावाँ के कुछ हिस्सों तक विस्तृत है।इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंदर 6 विधान सभा क्षेत्र आते हैं। ये क्षेत्र खरसावाँ, तमर, तोरपा, खूंटी ,कोलेबिरा और सिमडेगा हैं। इनमे से खरसावाँ विधानसभा क्षेत्र सराइकेला खरसावाँ जिले में आता है। तमर रांची जिले का हिस्सा है वहीँ तोरपा और खूंटी, खूंटी जिले में आते हैं और बाकी के दोनों कोलेबिरा और सिमडेगा का जिला सिमडेगा है।
करिया मुंडा का लोकसभा में प्रदर्शन
82 वर्ष के करिया मुंडा ने अपने कार्यकाल में संसद में अपने प्रदर्शन से कोई खास प्रभाव नहीं डाला। संसद में इनका कार्यकाल और प्रदर्शन देखा जाए तो पाएंगे कि इनकी उपस्थिति का औसत 95 प्रतिशत है जबकि राज्य औसत 86 प्रतिशत है। जहां प्रश्न पूछने का राष्ट्रीय औसत 273 और राज्य औसत 40 है वहीं इनका व्यक्तिगत औसत शून्य है। डिबेट में भागीदारी लेने के राज्य औसत 81.4 और राष्ट्रीय औसत 63.8 से सामने इनका व्यक्तिगत औसत मात्र 2 है। जिसका मतलब है की इन्होने अपने कार्यकाल में कुल दो डिबेट्स में हिस्सा लिया है। और साथ ही इन्होने अपने कार्यकाल में कोई भी प्राइवेट मेम्बर बिल प्रस्तुत नहीं किया जो औसतन राज्य स्तर पर 5.9 और राष्ट्र स्तर पर 2 है।
स्ट्राइक रेट के हिसाब से 2004 से लेकर अबतक भाजपा ने इस सीट पर बेहतर रंग दिखाए हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा के करिया मुंडा ने जन कल्याण पार्टी के अनोश एक्का को 92,248 मतों के भारी अंतर से हराया। देखना होगा की अभी बार फिर से यहां से भाजपा जीतती है या हारती है।