साध्वी प्रज्ञा से तुलना पर बोलीं उमा भारती- मैं उनके सामने मूर्ख, वो महान संत
भोपाल। जिस दिन से भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा को भोपाल सीट से चुनावी रण में उतारा है, उस दिन से ही लगातार उनकी और भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती की तुलना हो रही है, इस बारे में अब खुद उमा भारती ने बड़ा बयान दिया है, शनिवार को भोपाल में मीडिया से मुखातिब हुईं उमा भारती ने कहा कि वो तो एक महान संत हैं, उनसे मेरी तुलना मत कीजिए, मैं बहुत ही साधारण मूर्ख किस्म की प्राणी हूं, गौरतलब है कि उमा से मीडिया ने सवाल किया था कि मध्य प्रदेश की राजनीति में साध्वी प्रज्ञा क्या आपकी जगह लेने जा रही हैं? इस पर उमा भारती ने तंज कसने के अंदाज में यह बात कही।
साध्वी प्रज्ञा से तुलना पर उमा भारती ने दिया तंज भरा जवाब
आपको बता दें कि साध्वी प्रज्ञा और उमा भारती के बीच में हमेशा एक सन्नाटा भरा रिश्ता रहा है, जिस दिन प्रज्ञा के नाम का ऐलान हुआ था, उस दिन उमा भारती से रिश्ते को लेकर मीडिया ने उनसे भी प्रश्न किया था, जिस पर साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि मेरी उनसे कभी बात नहीं होती है, ना हम फोन पर बातें करते हैं और ना ही हम मौखिक रूप से एक-दूसरे से बात करते हैं।
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साध्वी प्रज्ञा ने भी दिया था चौंकाने वाला बयान
गौरतलब है कि जिस दिन से साध्वी का नाम भोपाल सीट के लिए फाइनल हुआ है, उसके बाद से वो लगातार अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में हैं, जिसके चलते उन्हें चुनाव आयोग की ओर से नोटिस भी मिल चुका है, एक चुनावी सभा में साध्वी ने कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) को आतंकी कहा था, प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि उन्हें एक आतंकी को खत्म करने के लिए चुनाव में आना पड़ा है, गौरतलब है कि बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारा है।
दिग्विजय सिंह की सल्तनत को उखाड़ फेंका था उमा भारती ने
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की 10 साल से काबिज रही दिग्विजय सरकार को उखाड़ने में उमा भारती ने अहम रोल निभाया था, दिसबंर 2003 में आए विधानसभा चुनाव परिणामों में उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी को भारी जीत मिली और उसके बाद दिग्विजय सिंह ने 10 साल तक सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।
8 महीने में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था उमा भारती को
उनके नेतृत्व में भाजपा ने तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया और वो मुख्यमंत्री बनी लेकिन अगस्त 2004 में यानी कि मात्र 8 महीने में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उनके खिलाफ 1994 के हुबली दंगों के सम्बन्ध में गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। इसके बाद उमा भारती राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में सक्रिय हो गईं।
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