कोयला संकट के बीच अक्टूबर की शुरुआत में ही 4.9 प्रतिशत बढ़ी बिजली की मांग
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: पूरे देश में कोयला संकट बना हुआ है। इस बीच अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बिजली की मांग में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि आपूर्ति में 1.4 प्रतिशत की कमी आई। कहा जा रहा कि कोरोनो महामारी की भयावह दूसरी लहर के बाद एक अभूतपूर्व दर से आर्थिक गतिविधियों में उछाल आया, जिस वजह से मांग ने ऊंचाइयों को छू लिया। जिसके परिणामस्वरूप देश में कोयला संकट पैदा हो गया। कोयले की कमी ने ही राजस्थान, पंजाब समेत कई उत्तरी राज्यों को एक दिन में 14 घंटे की कटौती के लिए मजबूर किया।
दरअसल भारत के ज्यादातर पावर संयंत्र कोयले से चलते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयला संकट बना हुआ है। केंद्र की ओर से मिले डेटा के मुताबिक भारत की कोयले से चलने वाली क्षमताओं के तीन-पांचवें हिस्से में कोयले है, जो केवल तीन दिन या उससे कम दिन चलेगा। इसके चलते कोल इंडिया लिमिटेड ने हाल ही में घोषणा की कि उसने गैर-विद्युत क्षेत्र से अपने ग्राहकों को कोयले की आपूर्ति अस्थायी रूप से रोक दी है। कंपनी ने साफ किया कि ये एक अस्थायी कदम है, जैसे ही हालात सुधरते हैं, सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी अक्टूबर के पहले पंद्रह दिनों में लगभग 70% तक बढ़ गई, जो पूरे सितंबर के दौरान औसतन 66.5% थी। ऐसे में बिजली संयंत्रों के पास कोयले का औसत भंडार चार दिनों तक चलेगा, जो दो महीने पहले के 12 दिनों के औसत से दो-तिहाई कम है। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि एक हफ्ते से अधिक के स्टॉक वाले बिजली संयंत्रों की संख्या में गिरावट आई है।
कोयला संकट के बीच UP की बिजली में नहीं आएगी कमी, 31 तक 21 घंटे आपूर्ति
केंद्रीय बिजली मंत्री राज कुमार सिंह ने सितंबर की शुरुआत में अधिकारियों से अत्यधिक कम स्टॉक वाले बिजली संयंत्रों में कोयले को बदलने पर विचार करने और इन्वेंट्री लक्ष्य को 14 दिनों से घटाकर 10 दिनों तक करने पर विचार करने के लिए कहा था।