Pnb Scam: पीएम मोदी से मिल कर घोटाले को रोकने का तरीका बताना चाहते हैं दिनेश दूबे
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मुंबई। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11,500 करोड़ रुपए के घोटाले के बीच इलाहाबाद बैंक के पूर्व स्वतंत्र निदेशक दिनेश दूबे सुर्खियों में हैं। दूबे ने ही साल 2013 में केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैं को असहमति का पत्र भेजा था। इन दिनों दूबे के संपर्क में मीडिया से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक है। नीरव मोदी के व्यावसायिक साझेदार मेहुल चौकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स का ऋण स्वीकार करने के लिए दबाव प नोटिस भेजा था। दिनेश ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिलें तो वो यह बता सकते हैं कि बैंको की लूट को कैसे रोक सकते हैं। गौरतलब है कि बीते दिनों पूरे मामले में इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दूबे सामने आए थे, उन्होंने इतने बड़े घोटाले को लेकर सनसनीखेज दावा किया था। उन्होंने बताया था कि 'मैंने गीतांजलि जेम्स के खिलाफ 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को डिसेन्ट नोट भेजा था, लेकिन मुझे आदेश दिया गया था कि इस लोन को अप्रूव करना है। उस समय मुझ पर दबाव था इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।'
'एनडीए सरकार में 10 गुना, 50 गुना बढ़ गया घोटाला'
दूबे के इस खुलासे से ये सवाल उठ रहे हैं कि गीतांजलि ग्रुप को गलत तरीके से लोन दिया गया। दिनेश दूबे ने आगे कहा था कि 'यूपीए सरकार के समय चला आ रहा ये मामला आज एनडीए सरकार में 10 गुना, 50 गुना बढ़ गया। उन्होंने कहा कि मैंने गीतांजलि जेम्स के खिलाफ 2013 में सरकार और आरबीआई को डिसेन्ट नोट भेजा था, लेकिन मुझे आदेश दिया गया था कि इस लोन को अप्रूव करना है। मुझ पर दबाव डाला गया और मैंने इस्तीफा दे दिया।'
जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग देने को तैयार
दिनेश दूबे ने बताया था कि 'इस मामले में उन्होंने शिकायत भी की थी लेकिन उन्हें तत्कालीन वित्त सचिव राजीव ताकरु ने ऊपरी दबाव की बात कहकर निदेशक के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। दिनेश दूबे ने पूरे मामले में आगे कहा कि वो जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग देने को तैयार हैं। दिनेश दूबे पत्रकार हैं और साल 2012 में उन्हें बैंक का स्वतंत्र निदेशक बनाया गया था।'
राजीव ताकरु ने बताया था कि
दूबे के सनसनीखेज खुलासे पर पूर्व बैंकिंग सचिव राजीव ताकरु ने बताया कि मैं इस व्यक्ति से अपने जीवन में केवल एक बार ही मिला हूं। 2013 में वो ये मेरे कार्यालय में इस्तीफा देने के लिए आए थे। इस्तीफे की वजह पूछने पर उन्होंने बताया था कि वो किसी वजह से खफा हैं। मैंने उस समय उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। इसके अलावा हमारी-उनकी कोई बातचीत नहीं हुई।