अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छोले वाले पंडितजी नहीं रहे
नई दिल्ली ( विवेक शुक्ला) पंडित मुकुंद लाल शर्मा उर्फ छोले वाले पंडित जी नहीं रहे। वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ठेले पर छोले लगाते थे। उनका हाल ही में लंम्बी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का छात्र समुदाय उन्हें हमेशायाद करेगा। वह एएमयू के छात्रों को पिछले चालीस साल से स्वादिष्ट छोले खिलाते रहे। उन्होंने अपने विशेष गुणों से छात्रों के साथ आपसी भाई चारे व प्रेम का ऐसा माहौल पैदा कर दिया था कि विश्व विद्यालय के छात्र भी उन्हें दिल से चाहते थे। वह केवल एक छोले वाले ही नहीं थे बल्कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का प्रमुख चेहरा बन गए थे।
जब कारोबार शुरू किया
बता दें कि पंडित जी ने चालीस साल पहले 20 साल की उम्र में मात्र 2 रुपये की मामूली पूंजी से अपना कारोबार शुरू किया था। उल्लेखनीय बात यह भी है कि लंबे समय के दौरान पंडित जी विश्वविद्यालय परिसर में होने वाले परिवर्तन के भी प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं।
छात्र बड़े दयालु
उन्होंने एक अवसर पर कहा था कि "यहां के छात्र मेरे प्रति बड़े दयालु हैं। मुझे कभी किसी तरह की दिक्कत पेश नहीं आई, समय बदलने के साथ साथ यहां आने वाले लोग तो बदलते रहते हैं लेकिन यहां की संस्कृति नहीं बदली"।
विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय परिसर का वह स्थान जहां वह अक्सर अपना ठेला लगाया करते थे उनके लिए किसी पवित्र स्थान से कम नहीं था। एक बार उन्होंने कहा था कि" यह जगह मेरे जीवन में बड़ा महत्व रखती है, मैं ने जीवन का बहुमूल्य समय यहाँ बिताया है"।
पंडित जी के साथ ही फ्रूट और जूस का कारोबार करने वाले मुहम्मद शब्बीर के बीच गहरी दोस्ती थी। विश्व विद्लाय के ओल्ड बॉय नफीस अहमद कहते हैं कि पंडित जी और मोहम्मद शब्बीर दोनों बिना धार्मिक भेदभाव के गहरी दोस्ती के जीवित सबूत थे। दोनों पिछले 40 साल से एक साथ लंच करते थे। यह शब्बीर के लिए भी बड़ी दर्दनाक बात है कि उन्होंने अपना एक पुराना साथी खो दिया।