बंगाली रसगुल्ले के बाद ओडिशा रसगुल्ले को मिली खास पहचान, जीता 'जीआई टैग'
नई दिल्ली। ओडिशा के रसगुल्ले को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला है। करीब दो साल पहले बंगाली रसगुल्ले को ये खास पहचान मिली थी। अब ओडिसा रसगुल्ले को भी जीआई टैग यानी भौगोलिक पहचान मिल गई है। रसगुल्ले की शुरुआत किस सूबे से हुई इसको लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच एक बहस काफी समय से रही है। अब ओडिशा ने को एक बड़ी जीत मिली है।
ओडिशा रसगुल्ला को मिला बहुप्रतीक्षित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग फरवरी 2028 तक मान्य होगा। 2017 में पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को जीआई टैग मिला था। तब ओडिशा ने इसपर आपत्ति जताते हुए रसगुल्ले की शुरुआत अपने यहां से होने की बात कही थी। रसगुल्ले को लेकर ओडिशा स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन और रीजनल डिवेलपमेंट ट्रस्ट ने जनवरी 2018 में रसगुल्ले के लिए बंगाल को जीआई टैग दिए जाने के खिलाफ अपील की भी थी। अब ओडिशा को भी ये टैग मिल गया है।
जीआई टैग किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को खास पहचान देता है। जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसके अलग पहचान के एक सबूत की तरह है। कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय, मलिहाबादी आम, महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी, तिरुपति के लड्डू, कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा, कश्मीर का पश्मीना समेत 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है।
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