मेघालय: खदान की तह तक पहुंचे नेवी के गोताखोर, नहीं मिला खनिकों का सुराग
शिलांग। मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले की कोयला खदान में 15 खनिक पिछले 18 दिनों से फंसे हुए हैं। भारतीय नौसेना के गोताखोर सोमवार को 19वें दिन खदान की तलहटी तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं। लेकिन नौसेना के गोताखोर को खनिकों के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है। गोताखोरों का कहना है कि शाफ्ट के अंदर जलस्तर 30 मीटर की सुरक्षित गोताखोरी सीमा तक घटने के बाद ही खनिकों का पता लग सकता है।
खदान के पानी में दृश्यता एक फुट
नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि खोज तभी संभव होगी, जब रैट होल माइन से सारा पानी बाहर निकाल दिया जाएगा। उसमें अभी समय लगेगा। अभियान के प्रवक्ता आर सुस्नगी ने कहा कि खदान के पानी में दृश्यता एक फुट है जो कि बेहद ही कम है। पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले के पुलिस अधीक्षक सिल्वेस्टर नोंगटिंगर ने बताया कि भारतीय नौसेना और एनडीआरएफ के छह गोताखोर खदान के भीतर गए और पानी की सतह से 80 फुट ऊपर की गहराई तक पहुंचे। वे दो घंटे तक खनिकों का पता लगाते रहे लेकिन वे खाली हाथ वापस आए।
तलहटी में लकड़ी का एक ढांचा मिला
बचाव अभियान के प्रवक्ता के अनुसार, 'नौसेना के दो गोताखोर सोमवार को रिमोट से पानी के भीतर चलने वाले वाहन के जरिये तहलटी तक पहुंचे। तीन घंटे की खोजबीन में गोताखोरों को तलहटी में लकड़ी का एक ढांचा मिला है। एक सुरंग का मुहाना कोयले से भरा हुआ है। यह सुरंग खाली है। बचाव कार्य में करीब 200 से भी ज्यादा कुशल अधिकारियों व कर्मचारियों को लगाया गया है। इनमें नौसेना के 14, ओडिशा दमकल विभाग के 21, कोल इंडिया के 35, एनडीआरएफ के 72 और मेघालय एसडीआरएफ के जवान शामिल हैं।
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उपकरणों की कमी से बचाव काम में बाधा
पानी निकालने के लिए उच्च क्षमता वाले आठ सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं। एक पंप 500 गैलन पानी प्रति मिनट की दर से बाहर फेंक रहा है। वहीं दो और पंप तथा अन्य उपकरण मंगलवार को पहुंचेगे। एनडीआरएफ के 100 विशेषज्ञों की टीम ने वहीं ढेरा डाला हुआ है, लेकिन उचित उपकरण न होने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य में बाधा आ रही है।
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