पीएम मोदी बोले- गुड एंड सिंपल टैक्स है GST, नेहरू को याद किया
नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के लॉन्च के अवसर 30 जून मध्य रात्रि को संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसकी तुलना गीता से की। उन्होंने कहा कि गीता के 18 अध्याय हैं और जीएसटी काउंसिल की भी 18 बैठकें हुई। पीएम मोदी अपने संबोधन में कहा कि जीएसटी की घटना सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए मायने रखती है, ये मैं नहीं मानता। अलग-अलग प्रक्रियाएं चली हैं, ये एक प्रकार से वो भारत के कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का एक अवसर है। आप सबका आभार। जो रास्ता हमने तय किया है वो किसी एक सरकार या एक दल की सिद्धि नहीं है। ये सांझी विरासत है।
पीएम ने आगे कहा कि रात्रि को 12 बजे हम इस सेंट्रल हॉल में इकट्ठा हुए हैं। यहां हमारे महापुरुषों की पावन यादें हैं। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक का यह सभाग्रह साक्षी है। पहली बैठक में नेहरू, कलाम, अंबेडकर ये सब पहली कतार में बैठे हुए थे। जीएसटी पर संसद में पहले के सांसदों ने और मौजूदा सांसदों ने लगातार चर्चा की है और उसी का परिणाम है कि आज हम इसे साकार रूप में देख पा रहे हैं। अब गंगानगर से ईटानगर और लेह से लक्षद्वीप तक एक ही टैक्स रहेगा। राज्यों के अलग-अलग टैक्सों के कारण असमानता दिखती है। आज हम इससे मुक्ति की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जीएसटी के दौर पर देश एक आधुनिक टैक्स व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। यह व्यवस्था ज्यादा सरल और पारदर्शी है। इससे काला धन और भ्रष्टाचार रोका जा सकेगा। भरोसा है कि जीएसटी लागू होने से व्यापारी गरीबों को उनका लाभ देंगे। पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी को लेकर जो लोग आशंकाएं जता रहे हैं उनसे आग्रह है कि वो ऐसा नहीं करें। जीएसटी भारत में निवेश करने वालों को भी आसानी पैदा करेगा। जीएसटी से आम लोगों पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। टोल प्लाजाओं पर लंबी-लंबी लाइनें अब नहीं मिलेंगी। जीएसटी पर चाणक्य की सूक्ति का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोई काम कितना भी कठिन क्यों नहीं हो परिश्रम से इसे हासिल किया जा सकता है। पीएम मोदी ने अल्बर्ट आइंस्टाइन का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया में अगर कोई चीज समझना सबसे ज्यादा मुश्किल है वो है इनकम टैक्स, अगर आज वो यहां होते तो पता नहीं क्या कहते।
पीएम मोदी ने कहीं कई और बातें
- नई व्यवस्था (जीएसटी) से आम लोगों पर बोझ नहीं पड़ेगा
- जीएसटी के दौर पर देश एक आधुनिक टैक्स व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। यह व्यवस्था ज्यादा सरल और पारदर्शी है।
- जीएसटी पर संसद में पहले के सांसदों ने मौजूदा सांसदों ने लगातार चर्चा की है और उसी का परिणाम है कि आज हम इसे साकार रूप में देख पा रहे हैं।
- यह (जीएसटी) किसी एक सरकार की उपलब्धि नहीं है, बल्कि हम सबके प्रयासों का परिणाम है।
- कुछ देर बाद देश एक नई व्यवस्था की ओर चल पड़ेगा। 1.25 अरब देशवासी इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी है।
- राष्ट्र के निर्माण में कुछ ऐसे पल आते हैं, जिस पर हम किसी नए मोड़ पर जाते हैं। नए मुकाम की ओर पहुंचने का प्रयास करते हैं।
- आज मध्यरात्रि के समय हम सब मिलकर देश का आगे का मार्ग सुनिश्चित करने जा रहे हैं। कुछ देर बाद देश एक नई व्यवस्था की ओर चल पड़ेगा। सवा सौ करोड़ देशवासी इस घटना के साक्षी हैं।