देश में ईसाइयों के लिए 2021 सबसे हिंसक साल साबित हुआ, 2020 से 75% ज्यादा हुई घटनाएं
नई दिल्ली, 31 दिसंबर: भारत में साल 2021 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल 2020 की तुलना में ईसाइयों के लिए यह साल 'सबसे हिंसक' वर्ष बताया जा रहा है। यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रंट (यूसीएफ) के मुताबिक इस साल देश में ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा की 486 घटनाएं दर्ज की गई है, जो पिछले साल की तुलना में 75 प्रतिशत से ज्यादा है। यह आंकड़े ईसाई अधिकार संरक्षण निकाय की एक नई रिपोर्ट में बताए गए हैं।
2014 के बाद 2021 'सबसे हिंसक' वर्ष
देश में यह साल ईसाई समुदाय के लिए काफी बुरा साबित हुआ है। यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने शुक्रवार को बताया कि 2021 भारत में 2014 के बाद से ईसाइयों के लिए सबसे हिंसक साल रहा। फोरम ने कहा कि साल के अंतिम दो महीनों नवंबर और दिसंबर में 104 घटनाएं देखी गईं, जिसमें ईसाइयों को प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन क्रिसमस का जश्न मनाने के लिए चेतावनी दी गई हो। साथ ही यह भी बताया कि अक्टूबर सबसे हिंसक महीना था, जिसमें 77 घटनाएं हुई।
हिंसा की 486 घटनाएं की गई दर्ज
शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार 2021 के आंकड़े पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक हैं। 2014 में 127 घटनाएं, 2015 में 142, 2016 में 226, 2017 में 248, 2018 में 292 और 2019 में 328 घटनाएं दर्ज की गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में उत्तर प्रदेश में 102 मामलों के साथ इस तरह के कथित अपराधों की सबसे अधिक संख्या देखी गई, इसके बाद छत्तीसगढ़ में 90 घटनाएं हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि चार राज्यों - उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड (44) और मध्य प्रदेश (38) में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 274 घटनाएं (56 प्रतिशत) दर्ज की गईं है।
पुलिस पर लगाएं गंभीर आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत भर में दर्ज की गई लगभग सभी घटनाओं में धार्मिक चरमपंथियों से बनी सतर्क भीड़ को या तो एक प्रार्थना सभा में घुसते देखा गया है या उन लोगों को घेर लिया गया है, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे जबरन धर्मांतरण में शामिल हैं। वहीं आगे बताया कि इस तरह की भीड़ जबरन धर्मांतरण के आरोपों पर पुलिस को सौंपने से पहले, प्रार्थना में लोगों को आपराधिक रूप से धमकी देती है, शारीरिक रूप से हमला करती है। अक्सर पुलिस थानों के बाहर सांप्रदायिक नारेबाजी देखी जाती है, जहां पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है।
झूठी कहानी' के जरिए फैलाई जा रही नफरत
रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्पलाइन अपनी वकालत और हस्तक्षेप के माध्यम से 210 लोगों को नजरबंदी से रिहा करने में कामयाब रही। इसके अलावा 46 पूजा स्थलों को फिर से खोल दिया गया या प्रार्थना शुरु करवाई, लेकिन केवल 34 FIR ही हिंसा करने वालों के खिलाफ दर्ज की जा सकीं। फोरम चलाने वाले और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य एसी माइकल ने कहा कि एक 'झूठी कहानी' के माध्यम से नफरत की जा रही है, जो धार्मिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा रही है।
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ऐसे इकट्ठे किए आंकड़े
बता दें कि यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने ने एक टोल-फ्री हेल्पलाइन शुरू की जो संकट में ईसाइयों को सार्वजनिक अधिकारियों तक पहुंचने में सहायता करती है। एक बार अपने नेटवर्क के माध्यम से उठाई गई शिकायत को प्रमाणित करने के बाद फोरम एक घटना को एक कथित अपराध के रूप में मानती है। यूसीएफ हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायक का हवाला देते हुए अपने बयान में घटनाओं की संख्या बताई है।