मोरबी हादसा: परिजनों की तलाश में अस्पताल में भटक रहे विनोद, मदद के बजाय रंगाई-पुताई में व्यस्त हैं कर्मचारी
गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने हैंगिंग ओवरब्रिज के गिरने से अब तक 135 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि अब तक 177 लोगों को बचाया जा चुका है। लेकिन इसी बीच अस्पताल के रंग-रोगन ने तूल पकड़ लिया है। दावा किया जा रहा है कि मोरबी हादसे के शिकार लोगों के शवों को जिस अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए रखा गया है, वहां पर पुताई का काम किया जा रहा है, ताकी पीएम मोदी के आगमन से पहले इसे नया किया जा सके। कर्मचारी पीएम मोदी के दौरे से पहले साज सज्जा में इस प्रकार व्यस्त हैं कि वो यहां पर हादसे के शिकार परिजनों की मदद तक नहीं कर रहे हैं और परिजन इधर-उधर भटकने को विवश हैं। इस बात का दावा एनडीटी की एक रिपोर्ट में किया गया है।
अस्पताल
की
रंगाई-पुताई
में
व्यस्त
हैं
कर्मचारी
रिपोर्ट
के
मुताबिक
गुजरात
के
मोरबी
स्थित
एक
अस्पताल
को
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
दौरे
से
पहले
सजा
दिया
गया
है।
यहां
पर
एक
व्यक्ति
हादसे
में
शिकार
लापता
जोड़ों
की
तलाश
में
गया
तो
उसे
अस्पताल
के
कर्मचारियों
की
तरफ
से
कोई
जानकारी
नहीं
दी
गई।
व्यक्ति
को
कोई
कर्मचारी
इसकी
जानकारी
नहीं
दे
सका
कि
आखिर
उसके
परिजन
यहां
हैं
या
नहीं?
सभी
लोग
अस्पताल
की
साज-सज्जा
में
व्यस्त
थे।
कर्मचारियों
की
तरफ
से
नहीं
दिया
जा
रहा
है
कोई
जवाब
एनडीटीवी
से
बातचीत
के
दौरान
विनोद
दापत
ने
बताया
कि
वे
अपने
जीजा
जी
और
छोटी
बेटी
व
दीदी
के
देवर
एवं
उसकी
मंगेतर
की
तलाश
के
लिए
अस्पताल
में
गए।
लेकिन
किसी
भी
कर्मचारी
की
तरफ
से
उनके
बारे
में
जानकारी
नहीं
दी
गई
है।
ये
सभी
लोग
रविवार
मोरबी
ओवरब्रिज
पर
घूमने
के
लिए
गए
थे।
उसके
बाद
से
लापता
हैं।
विनोद
ने
कहा
कि
24
घंटे
से
ज्यादा
से
हम
उन
सब
की
तलाश
कर
रहे
हैं,
लेकिन
न
तो
पुल
के
पास
मौजूद
अधिकारियों
की
तरफ
से
कोई
जानकारी
दी
जा
रही
है
और
न
ही
अस्पताल
के
कर्मचारियों
की
तरफ
से
कुछ
बताया
जा
रहा
है।
भांजी
ने
फोन
करके
दी
थी
पुल
पर
जाने
की
जानकारी
विनोद
के
मुताबिक
रविवार
को
उसकी
भांजी
ने
शाम
4
बजे
के
आसपास
पुल
पर
जाने
की
जानकारी
दी
थी।
उसके
बाद
से
उनका
कुछ
पता
नहीं
चला
है।
वहीं,
शाम
6
बजकर
30
मिनट
पर
पुल
ढह
गया
और
इस
हादसे
में
करीब
135
लोग
मर
गए।
विनोद
ने
कहा
कि
उसका
फोन
भी
स्विच
ऑफ
आ
रहा
है।
तब
से
उन
सभी
के
बारे
में
कोई
जानकारी
नहीं
मिली
है।
जामनगर
के
रहने
वाले
हैं
विनोद
विनोद
मूलरूप
से
जामनगर
जिले
के
रहने
वाले
हैं।
पुल
हादसे
के
बाद
से
ही
वो
अपने
जीजाजी,
भांजी
और
दीदी
के
देवर
व
उसकी
मंगेतकर
की
तलाश
कर
रहे
हैं।
जैसे-जैसे
समय
बीत
रहा
है,
वैसे-वैसे
उन
सभी
के
जिंदा
होने
की
आस
भी
विनोद
छोड़
रहे
हैं।
विनोद
ने
कहा
कि
मुझे
उनके
डेडबॉडी
के
बारे
में
ही
बता
दें।
लेकिन
कोई
हमें
कुछ
नहीं
बता
रहा
है।
अस्पताल
पीएम
के
लिए
अपनी
दीवारों
को
पेंट
करने
में
व्यस्त
है।
हैरान
विनोद
ने
व्यवस्था
पर
सवाल
उठाते
हुए
कहा
कि
क्या
यही
हमारे
देश
का
सिस्टम
है।
इसके
अलावा
उन्होंने
अधिकारियों
पर
ठीक
से
काम
नहीं
करने
का
आरोप
लगाया।
मामले
में
9
लोगों
को
गिरफ्तार
किया
गया
है
पुल
की
मरम्मत
के
लिए
काम
पर
रखी
गई
कंपनी
के
अधिकारियों
समेत
पुलिस
ने
9
लोगों
को
गिरफ्तार
किया
गया
है।
दावा
किया
जा
रहा
है
कि
एक
घड़ी
बनाने
वाली
कंपनी
ओरेवा
ने
कथित
तौर
पर
समय
से
पहले
पुल
को
जनता
के
लिए
खोलकर
अनुबंध
की
शर्तों
का
उल्लंघन
किया।
जिसकी
वजह
से
पुल
टूट
गया।
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