प्रवासी मजदूरों के सवाल पर किरकिरी के बाद सरकार ने दी सफाई
नई दिल्ली। कोरोना संकट के दौरान जिस तरह से देशभर में लॉकडाउन लगाया गया, उसकी वजह से हजारों प्रवासी मजदूर अलग-अलग जगहों पर फंस गए। काफी दिनों तक चले लॉकडाउन की वजह से मजदूर पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर हो गए, जिसमे कई लोगों की मौत हो गई जबकि हजारों मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस पूरे मसले पर जब संसद में बहस शुरू हुई तो विपक्ष की ओर से सवाल पूछा गया कि प्रवासी मजदूरों की मौत के बाद क्या उनके परिवारों को मुआवजा दिया गया। विपक्ष के इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा हमारे पास नहीं है तो मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता। केंद्रीय मंत्री के इस जवाब के बाद सरकार को काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा। लेकिन अब सरकार की ओर से इस मामले में सफाई दी गई है।
डैमैज कंट्रोल
सूत्र के अनुसार सरकार की ओर से इस मामले में सफाई देते हुए कहा गया है कि जिलों में इस तरह के आंकड़े जमा करने का कोई मैकेनिज्म यानि तरीका नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जन्म और मृत्यु के आंकड़े निकाय स्तर पर तैयार किए जाते हैं, इसे दशकों से बनी व्यवस्था के अनुसार इकट्ठा किया जाता है। लिहाजा श्रम मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब का गलत मतलब निकालना कतई ठीक नहीं है।
प्रवासी मजदूरों की दी जानकारी
गौरतलब है कि लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि, लॉकडाउन की वजह से 1.05 करोड़ मजदूर अपने-अपने राज्यों को वापस लौट गए थे। सबसे अधिक 32.50 लाख मजदूर उत्तर प्रदेश में वापस लौटे, वहीं दूसरे नंबर पर बिहार रहा, जहां 15 लाख मजदूर वापस लौटे। मध्य प्रदेश के 7.54 लाख, झारखंड के 5.30 लाख, पंजाब के 5.16, असम के 4.26 लाख, केरल के 3.11 लाख, महाराष्ट्र के 1.83 लाख मजदूरों ने अलग-अलग हिस्सों से अपने घर लौटे।
फर्जी खबरों की वजह से हुआ पलायन
बता दें कि संसद में प्रवासी मजदूरों के सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों का पलायन फर्जी खबरों से पैदा हुई घबराहट के कारण हुआ। टीएमसी सांसद माला रॉय के एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने यह बात कही। टीएमसी सांसद माला रॉय ने संसद में सरकार से उन कारणों के बारे में पूछा था, जिसके चलते हजारों मजदूरों लॉकडाउन में घर वापस चले गए। अपने जवाब में, रेड्डी ने कहा, लॉकडाउन की अवधि के बारे में फर्जी समाचारों द्वारा बनाई गई दहशत के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों का पलायन हुआ। मंत्रालय ने कहा कि प्रवासी श्रमिक भोजन, पानी, स्वास्थ्य सेवाओं और रहने जैसी बुनियादी जरूरतों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए चिंतित थे।
जरूरी उपाय किए गए
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, केंद्र सरकार 'इस बारे में पूरी तरह से सचेत' थी और लॉकडाउन की अवधि के दौरान सभी जरूरी उपाय किए गए, ताकि कोई भी नागरिक नहीं भोजन, पानी, चिकित्सा सुविधाओं आदि की मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहे। गृह मंत्रालय ने बताया कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में मंत्रालय में नियंत्रण कक्ष बनाने सहित कई उपाय किए।