कश्मीर हालातों पर पोप से लेकर काबा के इमाम तक को चिट्ठी
श्रीनगर। कश्मीर के हालातों के बीच ही एक तरफ कश्मीर के अलगाववादी नेता विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों का नया कैलेंडर जारी कर रहे हैं तो दूसरी ओर मसले के लिए दुनियाभर के नेताओं को चिट्ठी लिख रहे हैं। हुर्रियत कांफ्रेंस से अलग हुए मीरवाइज उमर फारूक ने पोप, शंकराचार्य और काबा के इमाम तक को चिट्ठी लिख डाली है।
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दुनिया नहीं दे रही कश्मीर पर ध्यान
फारूक हुर्रियत (एम) के चेयरमैन हैं और उन्होंने इन तीनों ही धार्मिक नेताओं का ध्यान कश्मीर की हिंसा की ओर दिलाने की कोशिश की है।
फारूक ने जो चिट्ठी लिखी है उसके मुताबिक, 'कश्मीर में लगातार और अभूतपूर्व हिंसा को अब 40 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। अंतराष्ट्रीय समुदाय इस मानव त्रासदी पर ध्यान नहीं दे रहा है और ऐसे में अब एक आपातकाल जैसी भावना आने लगी है।' फारूक ने अंतराष्ट्रीय समुदाय से सवाल किया कि आखिर क्यों हालातों पर मौन धारण किए हुए हैं।
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क्या अभी किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार
फारूक ने पूछा कि क्या अंतराष्ट्रीय समुदाय अब इस त्रासदी के और ज्यादा बड़ा होने का इंतजार कर रहा है। फारूक ने सवाल किया कि क्या 69 मौतों और 6,000 युवाओं और बच्चों का घायल होना कम है?
फारूक ने अपनी चिट्ठी में पैलेट गन का मुद्दा भी उठाया है। उन्होंने कहा है कि पैलेट गन को किशोरों और युवाओं पर प्रयोग किया जा रहा है और इसके नतीजो काफी खतरनाक हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की मीडिया ने भी इस मुद्दे का जिक्र किया है। साथ ही सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा छाया हुआ है।
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पीएम मोदी पर आरोप
फारूक
ने
चिट्ठी
में
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
का
जिक्र
भी
किया
और
कहा
कि
वह
उन
जैसे
तमाम
लोगों
के
उस
संघर्ष
का
अहसास
नहीं
करना
चाहते
हैं
जो
कश्मीर
की
आजादी
के
लिए
चल
रहा
है।
उनका
कहना
है
कि
भारत
इस
(कश्मीर)
तूफान
पर
अपनी
विदेश
नीति
को
तैयार
करता
है।
कश्मीर में लोगों को आतंकी मानता भारत
मीरवाइज
यहीं
नहीं
रुके
हैं
और
उन्होंने
कहा
कि
कश्मीर
एक
मुस्लिम
बाहुल्य
आबादी
वाला
क्षेत्र
है
और
भारत
यहां
के
लोगों
को
हमेशा
आतंकवादी
कहता
आया
है।
मीरवाइज
ने
कहा
कि
कश्मीर
का
मुद्दा
प्राथमिक
तौर
पर
कश्मीर
के
लोगों
का
है।
यहां
के
लोगों
का
संघर्ष
इंसाफ
और
सम्मान
की
तलाश
से
जुड़ा
है।