सिसोदिया पर CBI Raid से 'विपक्षी एकता' की खामियां उजागर ! महबूबा बोलीं- कांग्रेस 'भाजपा के प्रचार' में शामिल
सिसोदिया पर CBI Raid से 'विपक्षी एकता' में खामियां उजागर ! महबूबा मुफ्ती बोलीं- कांग्रेस 'भाजपा के प्रचार' में शामिल mehbooba mufti congress manish sisodia cbi raid opposition unity in 2024 general election
नई दिल्ली, 20 अगस्त : आबकारी नीति मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर सीबीआई की छापेमारी के बीच 2024 के लोक सभा चुनाव का सियासी चौसर भी बिछना शुरू हो चुका है। सिसोदिया ने ऐलान किया है कि 2024 की लड़ाई केजरीवाल बनाम मोदी होगी। सिसोदिया की घोषणा के कई निहितार्थ हो सकते हैं, लेकिन 2024 की चुनावी लड़ाई के लिए 'विपक्षी एकता की कवायद' के बीच सिसोदिया पर सीबीआई रेड का कांग्रेस द्वारा समर्थन चौंकाने वाला है। सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई पर कांग्रेस का रवैया विपक्षी दलों के सामंजस्य में खामियों को उजागर करता है। तृणमूल कांग्रेस और माकपा सहित कई अन्य विपक्षी दलों ने AAP नेता सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई रेड पर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की।
इसी बीच पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कांग्रेस के रुख पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने हितों से ऊपर उठने में असमर्थ रही है क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP)इसकी प्रबल प्रतिद्वंद्वी है। महबूबा मुफ्ती ने दिल्ली कांग्रेस नेताओं की ओर से उठी सिसोदिया के इस्तीफे की मांग के विरोध का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस "भाजपा के प्रचार" में शामिल है। महबूबा ने आरोप लगाया, "ईडी के हमले की शिकार" कांग्रेस AAP नेता सिसोदिया के मामले में भाजपा के प्रचार में शामिल हो गई है।
महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा, दुख की बात है कि कांग्रेस पार्टी के हितों से ऊपर उठने में असमर्थ है क्योंकि AAP एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी है। खुद ईडी के हमले का शिकार होने के बावजूद वे भाजपा के प्रचार में शामिल हो रहे हैं। ऐसे समय में जब एजेंसियों को हथियार बनाया जा रहा है, विपक्ष को एकजुट होना चाहिए था।
बता दें कि दिल्ली कांग्रेस ने शनिवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर सीबीआई की छापेमारी के बाद दिल्ली आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ नारेबाजी की।
बता दें कि कांग्रेस के लिए, आम आदमी पार्टी दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी है। AAP ने दिल्ली में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए बरसों तक सत्ता में रहीं शीला दीक्षित की सरकार को बुरी तरह पराजित किया था और इस साल की शुरुआत में AAP ने पंजाब में भी कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। 117 में से 92 सीटें आप ने जीतीं। AAP कई राज्यों में अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास में जुटी है। ऐसे में कांग्रेस के लिए AAP बड़ी चुनौती बनती जा रही है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जगह बनाने की कोशिशों में जुटी AAP कांग्रेस के पैरों तले जमीन खींचने को तैयार नजर आ रही है। दोनों ही राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों में आप की सक्रियता कांग्रेस के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।
2024 के लोक सभा चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केजरीवाल के बीच सीधी लड़ाई के रूप में पेश करने के AAP नेताओं के प्रयास भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब हैं। फिलहाल, कांग्रेस ही भाजपा के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल है।
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कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और अलका लांबा उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने शुक्रवार को सिसोदिया के आवास पर सीबीआई के छापे के बाद आप सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ANI की रिपोर्ट में दीक्षित ने कहा कि आप सरकार की कार्रवाइयों को लेकर सीबीआई के कई छापे होने चाहिए थे। उन्होंने कहा, "यह आश्चर्य की बात नहीं है। हम पिछले 7-8 वर्षों से दिल्ली सरकार में क्या हो रहा है, इसके बारे में सुन रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि सीबीआई की छापेमारी पहले नहीं हुई। शराब का मामला हो, स्कूलों में कमरों का निर्माण , शिक्षक भर्ती, नागरिक सुरक्षा भर्ती मामला या ठेके का मामला जहां भी आप देखते हैं, वहां एक नहीं बल्कि 10 सीबीआई छापे होने चाहिए थे।"
कांग्रेस
नेता
अलका
लांबा
ने
भी
आप
सरकार
पर
निशाना
साधा।
उन्होंने
एक
ट्वीट
में
कहा,
"अगर
उनकी
नीति
सही
थी,
तो
उन्होंने
दिल्ली
की
मुख्यमंत्री
रहते
हुए
शीला
दीक्षित
की
नीति
का
पालन
क्यों
किया
?
आप
हमेशा
उनके
(शीला)
कार्यकाल
की
आलोचना
करती
है
और
अब
वे
उनकी
नीतियों
का
पालन
कर
रहे
हैं।"
कांग्रेस
नेता
पवन
खेड़ा
ने
कहा
कि
"राजनीतिक
प्रतिद्वंद्वियों
के
खिलाफ
एजेंसियों
के
निरंतर
दुरुपयोग"
का
दूसरा
पहलू
यह
है
कि
एजेंसियों
की
वैध,
सही
कार्रवाई
भी
संदेह
के
घेरे
में
आ
जाती
है।
उन्होंने
एक
ट्वीट
में
कहा,
"इस
प्रक्रिया
में,
भ्रष्ट
'दुरुपयोग'
का
तर्क
देकर
बच
निकलते
हैं
और
ईमानदार
कीमत
चुकाते
हैं।"
बता दें कि आम आदमी पार्टी सरकार की हाल ही में वापस ली गई आबकारी नीति में कथित घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को सिसोदिया के आवास और विभिन्न राज्यों में कई अन्य स्थानों पर तलाशी ली। सीबीआई ने कहा कि दिल्ली, गुरुग्राम, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, बेंगलुरु सहित 31 स्थानों पर तलाशी ली गई और इससे आपत्तिजनक दस्तावेज, लेख और डिजिटल रिकॉर्ड बरामद हुए।
2024 के आम चुनाव में विपक्षी एकता की परिकल्पना से पहले यह भी दिलचस्प रहा है कि राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनावों के दौरान विपक्षी दल संयुक्त मोर्चा बनाने में सक्षम नहीं रहे। उप-राष्ट्रपति चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने मतदान से परहेज किया। राष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को शानदार जीत मिली।
विपक्षी एकता और दिल्ली में सीबीआई की रेड के संबंध में माकपा की वृंदा करात ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा नीत सरकार केंद्रीय एजेंसियों की मदद से विपक्षी राजनीतिक दलों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, "मैं सीबीआई छापे की कड़ी निंदा करती हूं। मनीष सिसोदिया दिल्ली के डिप्टी सीएम हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। अगर वह आरएसएस या बीजेपी में होते, और उनके सामने झुकते, तो उन्हें हर चीज में क्लीन चिट मिल जाती। सब कुछ सिर्फ राजनीति है। यह पूरे देश में हो रहा है।"
करात ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार विपक्षी दलों को छापेमारी कर पूरे देश में अपनी सत्ता का विस्तार करना चाहती है। उन्होंने कहा, "छापे का भ्रष्टाचार से कोई लेना-देना नहीं है। वे सिर्फ विपक्ष को निशाना बनाकर अपनी शक्ति का विस्तार करना चाहते हैं।"
तृणमूल कांग्रेस के नेता जय प्रकाश मजूमदार ने सिसोदिया के आवास पर सीबीआई की छापेमारी को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को डायवर्ट करने का एक और प्रयास है। उन्होंने सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यह देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मोड़ने का एक और प्रयास है। 'बिहार सिंड्रोम' के बाद बीजेपी को डर है कि वह 2024 के चुनाव में उन्हें 220 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी। इसलिए बीजेपी सत्ता हासिल करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। जैसा कि उन्होंने महाराष्ट्र में किया था। भाजपा-आरएसएस देश में बहुदलीय व्यवस्था नहीं चाहते हैं।"
सिसोदिया पर सीबीआई रेड के संबंध में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के नेता आनंद दुबे ने कहा कि सीबीआई की छापेमारी कोई नई बात नहीं है क्योंकि भाजपा ने विपक्षी दलों पर छापेमारी करने की कसम खाई है। "उन्होंने महाराष्ट्र से शुरुआत की, फिर वे दूसरे राज्यों में गए।"
"भाजपा को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में AAP के विस्तार और आगामी चुनावों में प्रचार करने का AAP का तरीका पसंद नहीं आया। ऐसे में भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र में, कई विधायकों के खिलाफ ईडी के मामले हैं। लेकिन वे भाजपा के साथ हैं। और उनके खिलाफ कोई छापेमारी या गिरफ्तारी नहीं हुई है। बकौल आनंद दुबे, यह कुछ वैसा है जैसे या तो आप भाजपा के साथ काम करें या अपने खिलाफ ईडी और सीबीआई की छापेमारी करवाने को तैयार रहें।
दूसरे नेताओं पर कार्रवाई में खामोश रहती है AAP
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा ने कहा कि विपक्षी नेताओं को केंद्र को 'राजनीतिक रूप से राजनीतिक लड़ाई लड़ने' का संदेश देने के लिए एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, "सीबीआई और ईडी जैसे संस्थानों ने अपना चरित्र खो दिया है। उनकी दिशा तय हो गई है, हम सभी जानते हैं कि यह कहां से आता है। उन्होंने कहा, जब अन्य विपक्षी नेताओं पर छापे मारे जाते हैं, तो AAP भयानक चुप्पी अख्तियार कर लेती है। मनोज झा ने कहा, हम आपके लिए बोल रहे हैं... विपक्षी एकता पर संकेत करते हुए झा ने कहा, अलग-थलग सोच से या इस तरह की एकतरफा सोच से किसी को कोई लाभ नहीं। "राजनीतिक लड़ाई लड़ने" के लिए केंद्र को संदेश देने के लिए तमाम विपक्षी नेताओं को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, "हम (विपक्षी दलों) सभी को राजनीतिक लड़ाई लड़ने का संदेश देना है, जो केंद्र सरकार नहीं करना चाहती। जब भी किसी विपक्षी नेता के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होती है, तो हमें एक-दूसरे के लिए बोलना पड़ता है। हमने नमूना देखा है।"
एजेंसियों की कार्रवाई चिंताजनक
RJD नेता झा ने कहा, "जब एक नेता पर छापा मारा जाता है और वह भाजपा में शामिल हो जाता है, तो मामलों की कोई चर्चा नहीं होती है। यह कानून के शासन पर धब्बा है। केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है। ऐसी भविष्यवाणी चिंता का विषय है।
इसलिए CBI की रडार पर सिसोदिया
बता दें कि सिसोदिया सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में दर्ज 15 लोगों में शामिल हैं। इस मामले में आबकारी अधिकारियों, शराब कंपनी के अधिकारियों, डीलरों के साथ-साथ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों पर भी मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई की रेड के बाद सिसोदिया ने शनिवार को कहा कि उन्हें जल्द ही शराब का मुद्दा या आबकारी नीति के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि निशाना बनाने का एकमात्र कारण मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट में अधीन मंत्री रहना है।