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नाबालिगों के बीच प्यार को 'यौन हमले' के रूप में देखना गलत: मेघालय हाईकोर्ट

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मेघालय हाईकोर्ट (Meghalaya High Court) ने POCSO अधिनियम से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर प्रेमी-प्रेमिका सहमति से यौन संबंध बनाते हैं, तो उसे 'यौन हमले' (यौन शोषण) के रूप में नहीं देखा जा सकता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी को इस मामले से मुक्त कर दिया। हालांकि फैसले से पहले आरोपी करीब 10 महीने तक हिरासत में था।

POCSO

दरअसल नाबालिग लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी कि एक नाबालिग लड़के ने उसकी बेटी का यौन शोषण किया। इस शिकायत में कहा गया कि स्कूल के शिक्षक ने इस घटना के बारे में उन्हें बताया था, क्योंकि लड़की क्लास से गायब थी। बाद में लड़की ने इस बात की पुष्टि की। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम की धारा 5(एल)/6 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद आरोपी को हिरासत में लिया गया।

बाद में आरोपी ने भी हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती दी। आरोपी के वकील ने कोर्ट को बताया कि नाबालिग ने सीआरपीसी की 164 और 161 के तहत अपने बयान में कहा कि लड़का उसका प्रेमी है और उन्होंने अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाया था। ये सिर्फ एक प्यार का मामला है, जिसमें कानून के प्रतिबंधों से अनजान दो नाबालिगों ने प्यार किया और शारीरिक संबंध बनाए।

सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि नाबालिग की सहमति को सहमति नहीं माना जा सकता है, लेकिन ये मामला आपसी प्यार का है। दोनों अभी बहुत छोटे हैं, ऐसे में इस मामले को यौन हमले के रूप में नहीं देखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में, जहां प्रेमी और प्रेमिका प्यार में लिप्त होते हैं, वहां POCSO अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए उसे मामले से मुक्त कर दिया।

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दायर हो गई थी चार्जशीट
आपको बता दें कि जांच अधिकारी ने आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूतों के आधार पर चार्जशीट दायर कर दी थी। इस वजह से उसे काफी वक्त हिरासत में रहना पड़ा। बाद में दोनों नाबालिगों ने हाईकोर्ट का रुख किया, ताकि आरोपों को रद्द किया जा सके। जिस पर जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह की पीठ ने ये फैसला सुनाया है।

English summary
Meghalaya High Court on POCSO act and love of minors
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