बजट सत्र से पहले सुमित्रा महाजन ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
नई दिल्ली। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बजट सत्र से पहले तमाम राजनीतिक दलों की सोमवार को बैठक बुलाई है, यह बैठक बजट सत्र से ठीक पहले इसलिए बुलाई गई है ताकि सरकार और विपक्ष के बीच तीन तलाक बिल सहित तमाम मुद्दों पर टकराव को टाला जा सके। माना जा रहा है कि बजट सत्र में विपक्ष तीन तलाक बिल सहित सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं पर सरकार को घेर सकती है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की भी बैठक बुलाई है, जिसमे अहम मुद्दों पर बात होगी।
29 जनवरी को शुरू होगा सत्र
आपको बता दें कि संसद के सत्र का पहला दिन 29 जनवरी को शुरू होगा, जिसमे सरकार इकॉनोमिक सर्वे पेश करेगी, जिसके बाद 1 फरवरी को वित्त मत्री अरुण जेटली संसद में बजट पेश करेंगे। बजट सत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संसद के दोनों सदनों की साझा संबोधन के साथ शुरू होगा। संसद में अपने पहले भाषण के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सरकार की विकास की योजनाओं सहित लोगों को मजबूत करने वाली सरकार की योजनाओं का जिक्र करेंगे, माना जा रहा है कि राष्ट्रपति के संबोधन में मुख्य रूप से दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों का जिक्र होगा।
सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार का यह आखिरी पूर्णकालिक बजट है, ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इस बजट पर हर किसी की नजह है। माना जा रहा है कि इस बजट में 2019 के लोकसभा चुनाव का खयाल रखा जाएगा और बेरोजगारी, किसान, एमएसपी, ग्रामीण क्षेत्र का विशेष स्थान मिलेगा। इस बजट के साथ सरकार ऐसा संदेश देने की कोशिश करेगी कि उनकी सरकार लगातार गरीबों व किसानों के लिए काम कर रही है और आने वाले समय में सरकार की प्राथमिकता यही वर्ग है।
दो बिलों को पास कराना अहम
बजट सत्र की शुरुआत दोनों सदनों की साझा संबोधन के बाद बजट पेश किया जाएगा और 9 फरवरी को सत्र का पहल सेशन समाप्त होगा, इसके बाद एक बार फिर से 5 मार्च से 16 अप्रैल तक सत्र चलेगा। माना जा रहा है कि सरकार तीन तलाक बिल को पास कराने के लिए एक बार फिर से सदन में इसे पेश करेगी, साथ ही ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए इस बिल को सदन में पेश किया जाएगा। यह दोनों ही बिल सरकार के लिए काफी अहम हैं, एक तरफ जहां तीन तलाक बिल को पास कराकर सरकार अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर करने का प्रयास करेगी तो दूसरी तरफ ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिलाकर सरकार एक बड़े मतदाता वर्ग को साधने की कोशिश करेगी।
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