यूपी में तीसरे दौर का मतदान: पीलीभीत-एटा छोड़कर कौन सी सीट जीत रही है भाजपा?
यूपी में तीसरे चऱण में पीलीभीत-एटा छोड़कर कौन सी सीट जीत रही है भाजपा?
नई
दिल्ली।
ऐसी
सरकार
जहां
केंद्र
के
साथ-साथ
राज्य
में
भी
एक
ही
पार्टी
की
सरकार
हो,
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
उसे
डबल
इंजन
वाली
सरकार
कहते
हैं।
विकास
के
लिए
या
राममंदिर
निर्माण
जैसे
विवादित
मुद्दे
के
हल
के
लिए
नरेंद्र
मोदी
अक्सर
आम
सभाओं
में
जनता
से
ऐसी
सरकार
की
मांग
करते
हैं।
मगर,
जब
डबल
इंजन
वाली
सरकार
में
मतदान
कम
होता
है
तो
उसका
क्या
असर
होता
है,
यह
मध्यप्रदेश,
छत्तीसगढ़
और
राजस्थान
के
विधानसभा
चुनाव
में
देखा
जा
चुका
है।
आम
चुनाव
में
वोटरों
के
उत्साह
में
कमी
का
अलग-अलग
राज्यों
में
अलग-अलग
मतलब
होता
है।
मगर,
एक
राजनीतिक
विश्लेषक
के
तौर
पर
अनुभव
कहता
है
कि
डबल
इंजन
वाली
सरकार
के
लिए
वोटों
में
गिरावट
का
साफ
मतलब
सत्ताधारी
दल
को
नुकसान
होता
है।
इस
लिहाज
से
देखें
उत्तर
प्रदेश
की
जिन
सीटों
पर
तीसरे
चरण
में
2014
के
मुकाबले
अधिक
मतदान
हुए
हैं
उनमें
5
सीटें
शामिल
हैं-
पीलीभीत,
एटा,
रामपुर,
मुरादाबाद
और
बरेली।
पीलीभीत और एटा में बीजेपी की जीत पक्की
इन लोकसभा सीटों में भी अगर वोट प्रतिशत में ही बढ़ोतरी पर नज़र डालें तो सबसे ज्यादा पीलीभीत में 1.72 फीसदी मतदान बढ़ा है और उसके बाद नम्बर आता है एटा का, जहां 1.11 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। 1 फीसदी से ज्यादा मतदान दर्ज होने को साफ तौर पर डबल इंजन वाली सरकार में सत्ताधारी दल की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। स्पष्ट रूप से कहें तो डबल इंजन वाली सरकार में मतदान के प्रतिशत की अनुभवजन्य थ्योरी कहती है कि पीलीभीत और एटा की सीट बीजेपी निश्चित रूप से जीत रही है।
लोकसभा चुनाव 2019: तीसरे चरण में हुआ 63.24 फीसद मतदान
रामपुर, मुरादाबाद, बरेली में कांटे की टक्कर
जिन सीटों पर मतदान में 1 फीसदी से कम बढ़ोतरी हुई है और वह डबल इंजन वाली सरकार में सत्ताधारी दल की सिटिंग सीट है तो उसके बाद जीत की सम्भावना उसी हिसाब से कम होती चली जाती है। लिहाजा रामपुर जहां मतदान में 0.68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है या फिर मुरादाबाद जहां 0.43 फीसदी और बरेली जहां 0.27 फीसदी वोट बढ़े हैं वहां कांटे की टक्कर में बीजेपी के लिए सम्भावनाएं कम होती चली जाने वाली हैं।
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फिरोजाबाद-मैनपुरी भी समाजवादी ले जाएंगे
तीसरे चरण में 10 में से बाकी बची 5 सीटों की बात करें तो सबसे ज्यादा मतदान में गिरावट आयी है फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर। यहां 2014 में 67.61 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2019 में महज 58.80 फीसदी मतदान हुआ है। मतलब ये कि 8.81 फीसदी मतदान में गिरावट है। इस सीट पर चाचा शिवपाल और भतीजा अक्षय यादव के बीच की लड़ाई को चाहे जितना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया हो, लेकिन सच ये है कि इनमें से ही एक जीतने जा रहा है, बीजेपी उम्मीदवार की जीत नहीं होने जा रही है।
मैनपुरी में वोट प्रतिशत में कमी आयी है जहां मुलायम सिंह यादव चुनाव मैदान में खड़े हैं। 2014 में यहां 60.65 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2019 में 57.80 शून्य फीसदी मतदान हुआ है। मतदान का यह अंतर 2.85 फीसदी है। डबल इंजन वोटिंग थ्योरी पैटर्न निश्चित रूप से इस सीट पर भी बीजेपी की हार बता रही है। यानी लायम सिंह यादव एक बार फिर जीत रहे हैं।
आंवला, सम्भल, बदायूं भी जीत नहीं पाएगी बीजेपी
यही थ्योरी आंवला में भी लागू होती है जहां 2014 के मुकाबले 2019 में 1 फीसदी से थोड़ा ज्यादा मतदान में कमी आयी है। इस सीट को भी बीजेपी हारने जा रही है। निवर्तमान सांसद धर्मेंद्र कश्यप अपनी सीट नहीं बचा पाएंगे। जिन सीटों पर 1 फीसदी से कम मतदान में गिरावट आयी है उस पर डबल इंजन वाली सरकार में सत्ताधारी दल के लिए हार का अंतर कम होता है। मतदान में कमी 1 प्रतिशत से जितना कम होगा, उसी हिसाब से हार का अंतर भी कम होता चला जाएगा। सम्भल में 0.60 फीसदी और बदायूं में 0.55 फीसदी मतदान घटा है।
अगर मतदान प्रतिशत पर गौर करते हुए डबल इंजन वोटिंग थ्योरी के नजरिए से देखें तो बीजेपी उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण में 10 में से 2 सीट पर दावे से अपनी जीत मान सकती है, तीन पर संशय बरकरार है मगर हारने की आशंका ज्यादा है जबकि बाकी बची 5 सीटें निश्चित रूप से हार रही हैं।
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