कैराना पर कांग्रेस के 'जाट कार्ड' के बाद भाजपा ने गुर्जर कैंडिडेट पर जताया भरोसा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की कैराना सीट से भाजपा ने गंगोह विधायक प्रदीप चौधरी को मैदान में उतारा है। कैराना में पहले चरण में 11 अप्रैल को चुनाव होना है लेकिन भाजपा की पहली लिस्ट में यहां से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई थी। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन और कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के बाद भाजपा ने उम्मीदवार का ऐलान किया है। प्रदीप कैराना लोकसभा में ही आने वाली सीट गंगोह से विधायक हैं, भाजपा से पहले वो 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं।
कांग्रेस से जाट कैंडिडेट के बाद भाजपा ने उतारा गुर्जर कैंडिडेट
कैराना लोकसभा सीट पर जाटों और गुर्जरों की तादाद अच्छी खासी है। साथ ही इन दो जातियों का दबदबा भी है। ऐसे में भाजपा ने एक बार फिर यहां से गुर्जर कैंडिडेट ही उतारा है। बीते साल हुए उपचुनाव, 2014 और 2009 में भी यहां से भाजपा ने गुर्जर कैंडिडेट उतारा था। कांग्रेस ने यहां से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को उतारा है। कैराना पर अब दो गुर्जर (गठबंधन की तबस्सुम हसन, भाजपा के प्रदीप) और एक जाट कैंडिडेट (कांग्रेस के हरेंद्र मलिक) के बीच मुकाबला है। कैराना से पूर्व सांसद हुकुम सिंह के भतीजे अनिल चौहान, हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह, कैराना से संघ से जुड़े महेंद्र सिंह महंगी और चरण सिंह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ धनपाल सिंह समेत कई नाम रेस में थे। आखिर में प्रदीप चौधरी के नाम पर मुहर लगी।
तबस्सुम और हरेंद्र मलिक के सामने आसान नहीं प्रदीप की राह
प्रदीप चौधरी विधायक हैं और क्षेत्र के लिए वो नए भी नहीं है लेकिन ये चुनाव उनके लिए आसान नहीं होगा। 2014 में भाजपा ने कैराना सीट बड़े अंतर से जीती थी लेकिन बीते साल हुए उप चुनाव में इस सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था। उप चुनाव में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने बीजेपी के प्रत्याशी मृगांका सिंह को 44000 मतों से मात दी थी। एक बार फिर तबस्सुम चुनाव में हैं तो वहीं कांग्रेस से हरेंद्र मलिक मैदान में हैं। हरेंद्र मलिक पुराने नेता हैं, उनके बेटे पंकज मलिक भी दो बार शामली से विधायक रहे हैं। वहीं तबस्सुम मौजूदा सांसद हैं और उनके बेटे कैराना से विधायक हैं। ऐसे में इन दो दिग्गजों के सामने प्रदीप को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
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भाजपा के लिए कैराना पर 'लकी' है गुर्जर कैंडिडेट
कैराना सीट पर जाटों की बड़ी संख्या है और उनका वोट हार-जीत का फैसला करता रहा है लेकिन एक दिलचस्प संयोग है। कैराना सीट पर भाजपा के टिकट पर सिर्फ गुर्जर कैंडिडेट ही चुनाव जीत पाए हैं। दो बार यहां से भाजपा जीती है, 2014 में यहां से भाजपा के टिकट पर हुकुम सिंह जीते थे। उससे पहले 1998 में वीरेंद्र सिंह ने चुनाव जीता था। भाजपा ने इससे पहले, 1991, 96 और 1999 में यहां से जाट कैंडिडेट उतारा लेकिन जीत नहीं मिली।
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