महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर ना लड़ने पर क्या होगा, भाजपा के आंतरिक सर्वे में खुलासा
भाजपा के आंतरिक सर्वे में खुलासा हुआ है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना साथ मिलकर नहीं लड़े तो क्या परिणाम होगा।
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नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का घमासान थमने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) की रणभेरी बज चुकी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का परचम लहराने के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने खुले तौर पर ऐलान कर दिया है कि अब हराया है, 2019 में भी हराएंगे। दूसरी तरफ भाजपा (BJP) के चाणक्य यानी अमित शाह (Amit Shah) ने भी अलग-अलग राज्यों में एनडीए को मजबूत करने की दिशा में हाथ खोल दिए हैं। अपने पुराने सहयोगियों के साथ अमित शाह ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। 2019 की इस गहमागहमी के बीच भाजपा ने एक बेहद अहम आंतरिक सर्वे कराया है, जिसमें बताया गया है कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना (Shiv Sena) अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो इसका क्या परिणाम होगा?
क्या कहता है भाजपा का आंतरिक सर्वे?
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के इस आंतरिक सर्वे में खुलासा हुआ है कि अगर महाराष्ट्र के अंदर 2019 के लोकसभा चुनाव (2019 Lok Sabha Elections) में भाजपा और शिवसेना साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो यह पार्टी के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। सर्वे में यह भी सामने आया है कि अगर भाजपा और शिवसेना एक साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ते, तो फिर उस हालात में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को बड़ा फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। पिछले दिनों हुए उपचुनाव में एक लोकसभा सीट पर हार मिलने के बाद इस समय भाजपा के पास 22 और शिवसेना के पास 18 सीटें हैं।
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मिलकर लड़े चुनाव तो मिलेंगी कितनी सीटें?
इस आंतरिक सर्वे के मुताबिक, अगर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो दोनों का गठबंधन 30 से 34 सीटों पर जीत हासिल कर सकता है। वहीं, इस हालात में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को 18 से 20 सीटों पर जीत मिल सकती है। लेकिन... अगर भाजपा और शिवसेना अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरती हैं तो बीजेपी को 48 में से महज 15-18 सीटें ही मिलेंगी, जबकि शिवसेना भी 8 से 10 सीटों पर सिमट सकती है। इस सर्वे की मानें तो भाजपा और शिवसेना के अलग-अलग चुनाव लड़ने की दशा में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को जबरदस्त फायदा होगा और वो 22 से 28 लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा जमा सकता है।
3 राज्यों में हार के बाद बदले समीकरण
आपको बता दें कि वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह सरकार में भाजपा और शिवसेना सहयोगी हैं। हालांकि, इसी साल की शुरुआत में दोनों दलों के बीच खटास आ गई और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर ही मैदान में उतरेगी। बाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर रिश्ते सुधारने की पहल की। पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी कई मौकों पर जोर देकर कह चुके हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना साथ मिलकर ही चुनाव मैदान में उतरेंगी। वैसे भी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाने के बाद भाजपा अब अपने सहयोगियों को खोने के मूड में बिल्कुल नहीं दिखाई दे रही है।
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