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Lala Lajpat Rai: जिनके हत्यारे को मारने के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मिली फांसी

Lala Lajpat Rai: जिनके हत्यारे को मारने के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मिली फांसी की सजा

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Lala Lajpat Rai 92nd Death Anniversary: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की आज (17 नवंबर) 92वीं पुण्यतिथि है। लाला लाजपत राय भारत में पंजाब केसरी के नाम से भी मशहूर हैं। लाला लाजपत राय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं 'लाल-बाल-पाल' में से एक थे। इनका जन्म 28 जनवरी 1865 में पंजाब के लुधियाना के पास धुडीके में हुआ था। इन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर में कानून की पढ़ाई की थी। इसी शहर में उन्होंने कानूनी प्रैक्टिस भी की थी। इन्होंने साल 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इसी दौरान लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये थे और बाद में लाला लाजपत राय की 17 नवंबर 1928 में मौत हो गई थी। इनके मौत का बदला लेने के बाद ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी मिली थी। आइए जानते हैं वो पूरा किस्सा...।

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Lala Lajpat Rai Death Anniversary: पुण्यतिथि पर जानें इस महान क्रांतिकारी को | वनइंडिया हिंदी
Lala Lajpat Rai

- लाला लाजपत राय के निधन के बाद पूरे देश में लोगों में गुस्सा था। इसी बीच भारत के स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने ठानी की वो लाला लाजपत राय की मौत बदला लेकर ही रहेंगे।

- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाला लाजपत राय के निधन के ठीक एक महीने बाद इसका मौका मिला और इन्होंने 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या कर दी। कहा जाता है कि भगत सिंह जॉन सॉन्डर्स से इतने ज्यादा गुस्सा थे कि उनकी मौत के बाद भी उन्होंने उसपर तीन गोलियां फायरिंग की थी।

- जॉन सॉन्डर्स को जब भगत सिंह ने मारा तो उससे एक महीने पहले जॉन सॉन्डर्स की वायसराय के पीए की बेटी से सगाई हुई थी। इसलिए इस मौत से ब्रिटिश सरकार गुस्से में थी। इस पूरे मामले को 'लाहौर षड्यंत्र केस' के नाम से जाना जाता है।

-जॉन सॉन्डर्स की हत्या के लिए ही 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी।

जानें लाला लाजपत राय के बारे में कुछ बातें

- लाला लाजपत राय के पिता पिता राधा कृष्ण उर्दू के शिक्षक थे। लाला लाजपत राय ने हिंदू अनाथ राहत आंदोलन की नींव रखी थी। ताकी ब्रिटिश मिशन अनाथ बच्चों को अपने साथ लेकर ना जा सकें।

- लाला लाजपत राय आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सावस्वती के अनुयायी बने थे। और धीरे-धीरे समाज के नेताओं में से एक बन गए।

-1881 में लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे और 1885 में लाहौर में दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल की स्थापना की थी।

-लाला लाजपत राय पहली बार 1893 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के दौरान बाल गंगाधर तिलक से मिले थे। बाद में बिपिन चंद्र पाल के साथ दोनों को लाल-बाल-पाल के रूप में जाना गया। इस तिकड़ी जोड़ी ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग की पुरजोर वकालत की।

-लाला लाजपत राय द्वारा पंजाब में एक प्रदर्शन में भाग लेने के लिए 1907 में ती मंडालय (वर्तमान म्यांमार) भेजा गया था। हालांकि, उसके खिलाफ सबूत न होने के कारण उसे उसी वर्ष वापस जाने की अनुमति दी गई थी।

-1920 में कोलकाता में कांग्रेस विशेष सत्र के दौरान लाला लाजपत राय को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया, जिसमें महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का शुभारंभ हुआ।

-आर्य गजट को संपादित करने के अलावा, लाला लाजपत राय ने कई किताबें भी लिखीं, जिसमें माज़िनी, गैरीबाल्डी, शिवाजी और श्रीकृष्ण की आत्मकथाएं भी शामिल हैं।

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English summary
Lala Lajpat Rai Death Anniversary: for him Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev sentenced to death of taken revenge
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