Ladakh tension:भारतीय सेना को DBO में मिली एक नई उम्मीद, 10,000 साल पुराना है कनेक्शन
नई दिल्ली- भारतीय सेना को लद्दाख के सबसे मुश्किल इलाकों में से एक दौलत बेग ओल्डी में 10,000 साल पुराने एक विलुप्त हो चुकी झील के पुननिर्माण की उम्मीद जगी है। यह उम्मीद एक जाने-माने भूवैज्ञानिक ने दिखाई है, जो फिलहाल उस इलाके में सेना के जवानों के लिए हर मौसम में उपलब्ध रहने लायक भूजल की खोज में लगे हुए हैं। उन्हें पूर्वी लद्दाख के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पानी की तलाश में सफलता मिल चुकी है, लेकिन अब बारी दौलत बेग ओल्डी की है, जहां अगर प्राचीन झील की संभावनाएं सफल साबित हो गई तो उस निर्जन इलाके का कायाकल्प हो सकता है।
दौलत बेग ओल्डी में भू-जल तलाश
लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में जवानों के लिए भारतीय सेना को पानी की तलाश है। इसके लिए पूर्वी लद्दाख की 17,000 फीट के ऊंचे पहाड़ी मरुस्थल पर खोज और खुदाई की कोशिशें चल रही हैं। दौलत बेग ओल्डी पूर्वी लद्दाख में देश का वह दूर-दराज और शायद सामरिक दृष्टिकोण से वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगा वह बेहद महत्वपूर्ण इलाका है,जहां इस साल मई महीने से भारतीय और चीनी सेनाएं एक-दूसरे के साथ टकराव वाली स्थिति में तैनात हैं। इंडिया टुडे टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस निर्जन इलाके में पानी की मौजूदगी का पता लगाने के लिए सेना ने जाने-माने भूवैज्ञानिक डॉक्टर रितेश आर्या से सहायता मांगी है, जो सेना के साथ सियाचिन ग्लेशियर और बटालिक की चोटियों पर भी काम कर चुके हैं।
पूर्वी लद्दाख में हर जगह मिल चुकी है कामयाबी
दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में अपनी नई मुहिम के बारे में डॉक्टर रितेश आर्या ने बताया है कि, 'मैंने अभी-अभी डीबीओ की यात्रा की है। हमने कारू से तांगल तक 28 दिन बिताए हैं और हमेशा उपलब्ध रहने लायक भू-जल संसाधन विकसित करने के लिए डीबीओ में सभी जगह जाकर संभावनाएं खोजी हैं।' इससे पहले डॉक्टर आर्या को पूर्वी लद्दाख के बहुत ज्यादा ऊंचाई वाले ठंडे पहाड़ी मरुस्थल पर तैनात सेना के लिए भू-जल संसाधन की खोज और उसे विकसित करने में सफलता मिल चुकी है। डॉक्टर आर्या के मुताबिक, 'हम गलवान के अलावा पैंगोंग त्सो, थाकुंग, चुशूल, रेजांग ला और तांग्त्से में कामयाब हो चुके हैं।'
10,000 साल पुरानी झील के जिंदा होने की जगी उम्मीद
भूवैज्ञानिक और सेना को उम्मीद है कि वो दौलत बेग ओल्डी में भी पानी की तलाश कर लेंगे। उन्होंने कहा, 'डीबीओ में भू-जल संसाधन के लिए पैलियो चैनल विकसित करने के लिए हाइड्रो-जियोलॉजिकल परिस्थितियां अनुकूल लग रही हैं। हमें ज्यादा गहरी खुदाई करनी पड़ सकती है, लेकिन हमें भरोसा है कि अपने जवानों के लिए पानी खोज लेंगे।' सबसे अच्छी बात तो यह है कि भूवैज्ञानिक को इस बात की भी उम्मीद है कि यहां उस पैलियो झील का भी पुनर्निर्माण हो सकता, जो 10,000 वर्ष पहले दौलत बेग ओल्डी में हुआ करती थी। उनका कहना है कि, 'पैलियो झील का पुनर्निमाण जहां एक ओर जवानों का मनोबल बढ़ा देगा और दूसरा ओर आने वाले समय में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।'
दौलत बेग ओल्डी में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी
बता दें कि दौलत बेग ओल्डी में दूनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है, जिसे भारतीय वायुसेना ने बनाया है। यह देपसांग घाटी के एलएसी के पास है। यहां की हवाई पट्टी पर भारतीय वायुसेना कई बार अपने फाइटर जेट्स और बड़े मालवाहक विमान उतार चुकी है। (तस्वीरें सांकेतिक)