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'लद्दाख, दक्षिण चीन सागर नहीं है.....' भारत का यह संदेश कान खोलकर सुन ले चीन

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नई दिल्ली-सोमवार की रात लद्दाख की गलवान घाटी में जो कुछ हुआ, उसके बारे में चीनी सैनिकों के बारे में पहली बार आधिकारिक तौर पर भारत की ओर से बड़ी जानकारी आई है। इसके मुताबिक उस रात चीनी सेना का सिर्फ कमांडिंग ऑफिसर ही ढेर नहीं हुआ था, बल्कि पीएलए के सेकंड-इन-कमांड की भी भारतीय जवानों के हाथों मौत हो गई थी। यही नहीं अब जो रक्षा मंत्रालय के बड़े अधिकारियों और सेना के बड़े अधिकारियों की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं, उससे भी साफ है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की दाल अब नहीं गलने वाली और अगर उसने फिर कभी कोई गुस्ताखी की तो उसे इसी तरह से मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। दरअसल, भारत ने चीन को साफ शब्दों में संकेत दे दिया है कि वह लद्दाख को दक्षिण चीन सागर समझने की गलती भूल कर भी ना करे, नहीं तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

लद्दाख में चीनी सेना का दोनों टॉप कमांडर ढेर हुआ था

लद्दाख में चीनी सेना का दोनों टॉप कमांडर ढेर हुआ था

लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार की रात भारतीय जवानों के साथ हुई हिंसक झड़प में चीन के पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी का कमांडिंग ऑफिसर ही नहीं मारा गया, बल्कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास तैनात पीएलए बटालियन का सेकंड-इन-कमांड भी मारा गया था। ये बात हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में छपी है। बता दें कि उस घटना के बाद पहली बार आधिकारिक तौर पर भारत की ओर से इस तरह की जानकारी सामने आई है। गौरतलब है कि चीन ने ये तो माना है कि उस खूनी संघर्ष में पीएलए के लोग हताहत हुए हैं, लेकिन उसकी विस्तार से जानकारी देने में वह लगातार आनाकानी कर रहा है। जबकि, चीन की ओर से हुई भड़कावे वाली उस कार्रवाई में भारतीय सेना के कर्नल रैंक के एक अधिकारी समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे। दिल्ली के साउथ ब्लॉक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमारी जानकारी से पता चलता है कि गलवान क्षेत्र में पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर चीन ने वहां तैनात बटालियन के कमाडिंग ऑफिसर को खो दिया है, जहां पर दोनों के सैनिकों की भिड़ंत हुई थी। उस घटना में बटालियन का सेकंड-इन-कमांड भी मारा गया।'

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भारत के पास चीन को जवाब देने की क्षमता और इच्छाशक्ति-सेना

भारत के पास चीन को जवाब देने की क्षमता और इच्छाशक्ति-सेना

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक लगता है कि पीएलए गलवान में भी अपनी वैसे ही 'घुस जाने वाली रणनीति' पर अमल करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन, इसका विरोध हुआ और चीन को मुंहतोड़ जवाब मिला। साउथ ब्लॉक में मौजूद जानकारी के मुताबिक पीएलए को कम से कम 35 जवानों और ऑफिसर को निकालकर ले जाना पड़ा, जो या तो संघर्ष में बुरी तरह जख्मी हुए थे या मार गिराए गए थे। एक टॉप मिलिट्री कमांडर के मुताबिक, 'वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यह अपनी तरह का पहला संघर्ष था, क्योंकि भारत के पास आक्रामक चीन को जवाब देने की क्षमता और इच्छाशक्ति है।'

सुन ले दुश्मन ध्यान से, 'लद्दाख, दक्षिण चीन सागर नहीं है.....'

सुन ले दुश्मन ध्यान से, 'लद्दाख, दक्षिण चीन सागर नहीं है.....'

भारत सरकार के अधिकारियों के मुताबिक गलवान की घटना भारत-चीन के संबंधों के लिए एक टर्निंग प्वाइंट है, सिर्फ इसलिए नहीं कि दोनों महाशक्तियों के बीच कड़वाहट बढ़ सकती है, बल्कि इसलिए भी कि इससे चीन को एक सख्त संदेश भी गया है। एक अधिकारी ने इसे ज्यादा विस्तार देते हुए बताया कि, 'इस संघर्ष ने यह दिखा दिया है कि लद्दाख दक्षिण चीन सागर नहीं है, जहां चीन एकतरफा यथास्थिति को बदलने में कामयाब हो जाएगा।' उन्होंने ये भी कहा कि भारत की सीमा और संप्रभुता से जुड़े मुद्दों से निपटने में यह देश के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव का भी संकेत है। एक और वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'अस्पष्ट सीमाओं को प्रोटोकॉल और समझौतों के माध्यम से मैनेज किया जाता है और वहां सैन्य कार्रवाई की मनाही है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि यदि बीजिंग समझौतों की अवहेलना करता है और यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास करता है तो भारतीय सेना स्थिति से निपटने के लिए मजबूती से तैयार है।'

पीएम मोदी भी चीन को दे चुके हैं सख्त संदेश

पीएम मोदी भी चीन को दे चुके हैं सख्त संदेश

गौरतलब है कि गलवान घाटी की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जो कुछ कहा था, उसका संकेत यही था कि भारत शांति के लिए काम करता है, लेकिन अगर उकसावे वाली कार्रवाई होगी तो वह मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने भी बताया कि चीन से निपटने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति बहुत अहम है और यह भी एक वजह है कि सेना के जवानों ने वहां इस तरह से मोर्चा लिया। यही नहीं पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना की क्षमता में भी हर स्तर पर बहुत इजाफा हुआ। उन्होंने बताया कि भारत ने हथियारों और बाकी साजो-सामानों को बेहतर करने के साथ सीमाओं पर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बहुत मजबूत किया है और एलएसी पर ज्यादा नियंत्रण रख पाने में सक्षम हुआ है। कहीं न कहीं चीन को ये बात भी खटक रही है, जिसके चलते उसने गलवान घाटी में दुस्साहस की कोशिश की है।

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English summary
Ladakh isn’t the South China Sea, China must Listen to this message of India with open ear
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