BRU TRIBALS: अपने ही घर से भगाए गए 30000 लोगों को अब यहां बसाएगी मोदी सरकार!
बेंगलुरू। केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में मिजोरम से विस्थापित 30000 "ब्रू" जनजाति के लोगों को त्रिपुरा में बसाने जा रही है, जो करीब 22 साल से अपने ही घर मिजोरम से दूर त्रिपुरा में अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए रह रहे थे। ब्रू जनजाति हिन्दू धर्म की वैष्णव परंपरा से आते हैं। माना जाता है कि ब्रू मुख्यतः मिजोरम, त्रिपुरा और कुछ असम के हिस्सों में पाए जाने वाली जनजाति है और मिजोरम राज्य के मुख्यतः 2 जिले "मामित" और "कोलासिब" में रहते हैं। ब्रू जनजातियों को त्रिपुरा में "रियांग" भी कहा जाता है।
22 वर्ष पहले ब्रू जनजातियों को मिजोरम छोड़कर भागना पड़ा
मिजोरम में ब्रू जनजाति और मिजो जनजाति के बीच 90 के दशक में लगातार संघर्ष चल रहा था, जिसका एक मुख्य कारण ये था कि मिजो जनजाति, जो कि वर्तमान में ईसाई धर्म में धर्मांतरण कर चुकी हैं और वो ब्रू जनजाति को बाहरी मानती थी। वर्ष 1997 में मिजो और ब्रू जनजातियों के बीचे संघर्ष बहुत हिंसक हो गए थे, जिसके चलते ब्रू जनजाति से जुड़े अधिकांश लोगों को मिजोरम में अपना बसाया हुआ घर छोड़ कर त्रिपुरा में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा था।
ब्रू जनजाति को अपने ही घर बाहरी घोषित कर दिया गया
दरअसल, पूर्वोत्तर में जातीय पहचान को मुद्दा बना कर जनजातियां अलग राष्ट्र की मांगें करते आए थे, जिन पर पूर्व की भारत सरकारों ने ढुलमुल रवैय्या अपनाया हुआ था, मिज़ो उग्रवादी समूहों द्वारा भी ऐसी मांगे रखी गयीं थीं। जब मिजो उग्रवादी समूहों को लगने लगा कि उनकी अलग राष्ट्र की मांगें पूरी नहीं हो सकतीं तो उन्होंने हिंसक तरीके अपनाने शुरू किए और उस हिंसा की चपेट में सबसे पहले "ब्रू" जनजाति आई, जो कि धार्मिक रीतिरिवाजों में मिजो समुदाय से अलग थी और वर्ष 1995 में मिजो जनजाति से जुड़े यंग मिजो असोसिएशन और स्टूडेंट मिजो असोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया।
ब्रू जनजाति को मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा भागना पड़ा
बताया जाता है इसके बाद लगातार चलते संघर्ष का परिणाम यह हुआ कि वर्ष 1997 में ब्रू जनजाति को अत्यधिक हिंसा का सामना करना पड़ा और उनकी अधिकांश आबादी को मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा भागना पड़ा। ब्रू नेशनल यूनियन के मुताबिक लगभग उनके 1391 घरों और 41 गांवों को जलाया गया और बड़ी संख्या में ब्रू समुदाय से जुड़े लोगों कि हत्या और महिलाओं के बलात्कार हुए। इसके चलते लगभग 37000 ब्रू जनजाति से जुड़े लोग मिजोरम से भाग कर त्रिपुरा पहुंच गए।
2010 में 8000 ब्रू जनजाति को मिजोरम में बसाया गया
वर्ष 2010 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 1600 ब्रू समुदाय से जुड़े 8000 लोगों को मिजोरम में बसाया था, लेकिन मिजो समुदाय के विरोध के चलते इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका। पिछले 22 वर्षों में मात्र 5000 ब्रू समुदाय से जुड़े लोग वापस मिजोरम नहीं जा पाए थे और अब भी 32000 लोग त्रिपुरा में ही विस्थापित थे।
त्रिपुरा में लगभग 40,000 ब्रू शरणार्थियों को बसाया जाएगा
ब्रू जनजातियों को उनके घर यानी मिजोरम में बसाने के लिए अब तक की सारी सरकारों के प्रयास व्यर्थ जाने के बाद मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए त्रिपुरा में शरणार्थियो के जीवन जी रहे ब्रू जनजाति के 30000 लोगों को बसाने का निर्णय लिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिए एक बयान में बताया कि त्रिपुरा में लगभग 30,000 ब्रू शरणार्थियों को ही बसाने का निर्णय किया गया है, क्योंकि तीनों राज्यों को मिलाकर इनकी संख्या 40000 लगभग है। यही नहीं, केंद्र सरकार ने ब्रू जनजातियों को त्रिपुरा में बसाने के लिए 600 करोड़ के पैकेज का भी ऐलान किया।
ब्रू जनजाति को बसाने के लिए 600 करोड़ पैकेज का ऐलान
केंद्र की मोदी सरकार ने सभी ब्रू विस्थापित परिवारों को त्रिपुरा में बसाने के लिए 600 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है। इसके तहत सभी 40000 ब्रू शरणार्थियो को 40x30 फुट का प्लाट दिया जाएगा। आर्थिक सहायता के लिए प्रत्येक परिवार को 4 लाख रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट में दिया जाएगा और प्रत्येक परिवार को दो साल तक 5 हजार रुपए प्रति माह नकद सहायता दी जाएगी।
प्रत्येक ब्रू जनजाति के परिवार को दो वर्ष तक फ्री राशन दिया जाएगा
केंद्र सरकार द्वारा घोषित पैकेज के तहत ब्रू जनजाति के प्रत्येक परिवार को कुल दो साल तक फ्री राशन देने और उन्हें मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रुपए दिये जाएंगे। इस नई व्यवस्था के लिए त्रिपुरा की भाजपा सरकार भूमि की व्यवस्था करेगी। कहा जा रहा है कि त्रिपुरा/असम/मिजोरम के मुख्यमंत्रियों के साथ दशकों पुरानी समस्या का शांतिपूर्ण समाधान केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार और मिजोरम में बीजेपी गठबधन वाली सरकारों के चलते संभव हो पाया है।
मिजोरम से विस्थापित ब्रू जनजाति से बहुत कम लोग परिचित हैं
मिजोरम से विस्थापित होकर त्रिपुरा में शरणार्थियों को जीवन जीने को विवश करीब 37000 ब्रू जनजातियों के बारे में शायद कुछ इक्का-दुक्का लोगों का पता होगा, क्योंकि न मीडिया ने कभी इन शरणार्थियों के बारे में कोई रिपोर्ट बनाई और इसके बारे में कोई हो हल्ला ही हुआ। करीब 22 वर्षों से विस्थापन और शरणार्थी का जीवन जी रहे ब्रू जनजाति की अब जाकर किसी सरकार ने सुध ली है।
केंद्र सरकार की पहल से ब्रू जनजाति को मिला न्याय
मिजोरम से विस्थापन के 22 वर्ष बाद अब जाकर केंद्र की मोदी सरकार की पहल से ब्रू जनजातियों को न्याय मिल सका है, क्योंकि मौजूदा समय में देश की राजनीति और राजनीतिक दलों का प्राथमिक एजेंडा वोट बैंक पर आधारित है और नई राजनीति का वादा करके सत्ता में आम आदमी पार्टी ने तो मुफ्त की राजनीति शुरू करके एक नकारात्मक राजनीति को जन्म दे दिया, जहां एक बहुत बड़ी आबादी फ्री बिजली और फ्री पानी पर वोट करती आ रही है।
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