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Nitish Kumar: जानिए बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने वाले 7 बार के सीएम नीतीश कुमार का सियासी सफर

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पटना, 08 अगस्त: एक बार नीतीश कुमार ने अपने आक्रामक तेवर दिखकर बीजेपी से अपना पुराना रिश्ता तोड़ लिया। इसमें कोई शक नहीं है कि नीतीश कुमार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं, तब ही तो 7 बार बिहार के सीएम की कुर्सी संभालने के बाद अब 8वीं बार के लिए तैयार है। मंगलवार को अपने विधायकों की मीटिंग में भाजपा से अलग होने की आधिकारिक घोषणा करने के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। नीतीश कई मुद्दों पर बीजेपी से लगातार नाराज चल रहे थे, जिसके बाद नौबत यहां तक आ पहुंच गई कि उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया। अब एक बार फिर से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। ऐसे में जानिए इंजीनियर नीतीश कुमार से सीएम नीतीश कुमार बनने का अब तक का उनका राजनीतिक सफर...

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Bihar Political Crisis: Nitish का महागठबंधन, 2015 से इस बार कितना अलग | वनइंडिया हिंदी | *Political
इंजीनियर बनने के बाद आई राजनीति रास

इंजीनियर बनने के बाद आई राजनीति रास

1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार के पिता कविराज राम लखन सिंह एक आयुर्वेदिक डॉक्टर होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। नीतीश कुमार की मां परमेश्वरी देवी गृहणी थीं। उन्होंने एनआईटी पटना से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी की। हालांकि नौकरी में उनका मन नहीं लगा तो उन्होंने राजनीति को चुना।

दो बार हारने के बाद पहली बार 1985 में बने विधायक

दो बार हारने के बाद पहली बार 1985 में बने विधायक

नीतीश कुमार जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से काफी प्रभावित थे। 1974 में वो जेपी आंदोलन से जुड़े थे। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने साल 1977 में की थी, हालांकि दो बार हार मुंह देखने के बाद साल 1985 में पहली बार हरनौत से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे।

6 बार बने सांसद बने, रेल और कृषि मंत्री का निभाया जिम्मा

6 बार बने सांसद बने, रेल और कृषि मंत्री का निभाया जिम्मा

साल 1989 में नीतीश कुमार दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हुए और जनता दल के महासचिव बनाए गए। इसी साल उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और बाढ़ सीट से जनता दल के सांसद बने। फिर 1991 में दोबारा और उसके बाद 1996 और 1998 में भी लगातार सांसद बने। जिसके बाद 1998 में उन्हें वाजपेयी मंत्रिमंडल में रेल मंत्री बने। लेकिन किशनगंज भीषण रेल हादसे के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। फिर साल 1999 में नीतीश कुमार 5वीं बार सासंद का चुने गए, जिसके बाद केंद्र उन्होंने कृषि मंत्री की जिम्मेदारी निभाई, साथ ही 2001 में रेलवे का अतिरिक्त प्रभार भी उनको सौंपा गया। 2004 में छठी और आखिरी बार नीतीश कुमार सांसद बने।

2000 में बने कुछ दिनों के लिए सीएम, देना पड़ा इस्तीफा

2000 में बने कुछ दिनों के लिए सीएम, देना पड़ा इस्तीफा

एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए का नेता चुना गया, जिसके बाद वो पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री बनं, हालांकि उनका कार्यकाल कुछ दिनों का था। 151 विधायकों के साथ एनडीए तत्कालीन 324 सदस्यीय सदन में बहुमत साबित करने में असमर्थ था। संख्या साबित करने से पहले नीतीश कुमार को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद साल 2005 में नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने और उनका यह कार्यकाल नवंबर 2005 से नवंबर 2010 तक चला।

2013 में तोड़ा बीजेपी से नाता, अकेले लड़ा लोकसभा चुनाव

2013 में तोड़ा बीजेपी से नाता, अकेले लड़ा लोकसभा चुनाव

इसके बाद 2010 में भी उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, लेकिन इस दौरान साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले उनकी बीजेपी के साथ चल रही गाड़ी पटरी से उतर गई। जून 2013 में यह साफ हो जाने के बाद कि एनडीए के नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, उन्होंने भाजपा से अपना पुराना नाता तोड़ लिया। फिर लोकसभा चुनाव 2014 में मिली करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और जीतनराम मांझी को बिहार की कमान सौंप दी। एक साल बाद यानी 2015 में नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने।

महागठबंधन किया और फिर बने सीएम

महागठबंधन किया और फिर बने सीएम

फरवरी 2015 में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में राजद के साथ गठबंधन किया और चुनाव लड़ा। राजद, कांग्रेस और वाम दलों के समर्थन से नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री बने।20 महीने तक सरकार चलाने के बाद जुलाई 2017 में उन्होंने महागठबंधन से किनारा कर लिया और बीजेपी के साथ मिलाकर बिहार के नीतीश कुमार फिर से सीएम बने।

बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा चुनाव, फिर तोड़ा गठबंधन

बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा चुनाव, फिर तोड़ा गठबंधन

फिर 2020 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा और फिर से सीएम पद की शपथ ली। इस चुनाव में जदयू को सिर्फ 43 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 74 सीटें जीती थीं। ज्यादा सीटें हासिल करने के बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया, लेकिन कई मुद्दों पर बीजेपी से नाराज होने के बाद अब (अगस्त 2022 ) एक बार फिर बीजेपी से रिश्ता तोड़कर नीतीश कुमार ने महागठबंधन के हाथ मिला लिया और फिर से बिहार की कमान अपने हाथों में लेने जा रहे हैं।

Nitish Kumar: बिहार की राजनीति में यू-टर्न लेने वाले नेताNitish Kumar: बिहार की राजनीति में यू-टर्न लेने वाले नेता

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English summary
Know political journey of 7 time Bihar CM Nitish Kumar who broke alliance with BJP
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