जानिए दिल्ली में कोरोना वायरस को सीरो सर्वे की मदद से कैसे किया गया काबू
जानिए दिल्ली में कोरोना वायरस को सीरो सर्वे की मदद से कैसे किया गया काबू
नई दिल्ली। दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए सीरोलॉजिकल सर्वे के आधार पर दिल्ली में कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाने में कामयाबी हासिल हुई। इस सर्वे के आधार पर दिल्ली प्रशासन ने सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में उपाय करके इस संक्रमण के बढ़ने पर नियंत्रण किया।
बता दें दिल्ली में हर माह की 1 से 15 तारीख के बीच ये सीरोलॉजिकल सर्वे करवाया जाता है। अगस्त माह का ये मंथली सीरोलॉजिकल सर्वे आज फिर से आरंभ हुआ। इस सर्वे के तहत ब्लड सैंपल के ऐंटीबॉडी टेस्ट से शरीर में ऐंटीबॉडीज का पता चलता है, जो बताती हैं कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं। एन्टीबॉडीज वो प्रोटीन्स हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। यह इन्फेक्शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती हैं और महीनों तक ब्लड सीरम में रहती हैं। दिल्ली में पहले सीरो सर्वे के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी की बनाई कोविड कवच एलिसा किट्स इस्तेमाल की गई थीं।
मालूम हो कि दिल्ली में किए गए सीरोलॉजिकल सर्वे के अंतर्गत मध्य दिल्ली की 28% आबादी कोरोना वायरस से प्रभावित पाई गई, जो शहर भर में सबसे अधिक थी। ताज्जुब की बात ये है कि जो ये सकारात्मक मामलों में जिस आयुवर्ग में कोरोना की पुष्ठि हुई है उनमें 31 से 40 वर्ष के 21.4%लोग शामिल हैं। वहीं पॉजिटिव पाए गए लोगों में 21 से 30 वर्ष की आयु ग्रुप में 20.7% व्यक्ति का पता चला था। जिसके आधार पर दिल्ली प्रशासन ने इस क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करके सभी उपाय किए ताकि कोरोना संक्रमण पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सके।
इस सर्वे के तहत 5.8 लाख की आबादी वाले क्षेत्र में किए गए टेस्ट में 10 हजार 761 लोग पॉजिटिव लोग पाए गए। जिसमें 6,721 (62%) पुरुष मरीज थे, संक्रमित महिलाएं 4,040 थीं। जिले में कई भीड़भाड़ वाले क्षेत्र हैं और प्रति वर्ग किमी 27,730 लोगों पर, मध्य दिल्ली उत्तर पूर्व के बाद दिल्ली में दूसरा सबसे घनी आबादी वाला जिला है। जिले में उच्चतम कोविड से संबंधित मृत्यु दर 81-90 आयु वर्ग (23.7%) में थी, उसके बाद 71-80 के आयु वर्ग में 19% और 91-100 आयुवर्ग में 18.2%थी।
डीएम निधि श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र की अनूठी चुनौतियों का विश्लेषण करने और फिर उनका मुकाबला करने के लिए रणनीति अपनाने के बाद बदलाव संभव हो गया। उन्होंने कहा कि शुरुआत में, हम भारत के 20 सबसे हिट जिलों में से एक थे। क्षेत्रों की योजना बनाते समय, हमने महसूस किया कि सभी क्षेत्रों में एक ही रणनीति काम नहीं करेगी । उन्होंने कहा, यह कहते हुए कि जिला परिपत्र नहीं था, लेकिन अधिकांश स्थानों में उच्च जनसंख्या घनत्व के साथ एरिया बड़ा था । इनमें भीड़भाड़ वाले बाजारों के अलावा वाल्ड सिटी, कोतवाली क्षेत्रआदि शामिल थे।
डीएम ने कहा कि कुछ पहले और बड़े नियंत्रण क्षेत्र पुरानी दिल्ली के क्षेत्रों में थे, जैसे सदर, चांदनी महल, नबी करीम, आदि "हमने पहली बार पता लगाया कि इन क्षेत्रों में किस तरह की आबादी रहती है। चांदनी महल में, जागरूकता कार्यक्रम बहुत अलग था। श्रीवास्तव ने कहा कि हमने आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अलावा जागरुकता फैलाने के लिए इमामों की मदद लेने का फैसला किया। चांदनी महल क्षेत्र में खतरा अधिक था हमने अप्रैल से ही माइक्रो कंट्रीब्यूशन जोन की रणनीति को अपनाया।
डीएम ने कहा कि अलग-अलग मामले सामने आ रहे हैं और हम इन घरों को ट्रेस करेंगे। स्पेक्ट्रम रेंज के अंत में करोल बाग के पास बापा नगर था जहां मामलों में तेजी से वृद्धि हुई। इस क्षेत्र में ज्यादातर प्रवासी आबादी पाई गई थी और उनमें से कई भीड़भाड़ वाले कमरों में रह रहे थे। जनसांख्यिकीय प्रोफाइल विश्लेषण से पता चला है कि आबादी स्थानीय और प्रवासियों का मिश्रण थी, जिसमें काफी हद तक युवा शामिल थे।
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