क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), जिसे मिली कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी है। इसके अपडेशन के काम के लिए 8500 करोड़ रुपये के फंड को भी अनुमति दी गई है। जानकारी के मुताबिक हर नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना जरूरी होगा। एनपीआर में ऐसे लोगों का लेखा जोखा होगा, जो किसी इलाके में 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हों।
देश के नागरिकों का रजिस्टर
एनपीआर (National Population Register) अपडेट करने की प्रक्रिया अगले वर्ष शुरू होगी। ये एक तरह से देश के नागरिकों का रजिस्टर होगा। इससे पहले साल 2010 में डाटा एकत्रित किया गया था। ये काम उस वक्त हुआ जब 2011 की जनगणना के लिए आंकड़े जुटाए गए थे। अधिकारियों का कहना है कि 2015 में घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण और अपडेट के लिए डाटा डिजिटलाइजेशन का काम पूरा हो गया है।
एनपीआर क्या है?
एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मसला) नियम 2003 के तहत स्थानीय स्तर पर यानी उपजिला, जिला और राज्य स्तर पर बनाया जाएगा। इनमें देश के हर नागरिक के लिए नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा। एक तरह से यह देश में रह रहे नागरिकों के लिए समग्र डाटाबेस होगा। जिसे जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक आधार पर बनाया जाएगा।
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अगले साल से शुरू होगी प्रक्रिया
रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस (जनगणना) कमिश्नर के अनुसार, असम को छोड़कर सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में एनपीआर अपडेट करने की प्रक्रिया अगले वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होने वाली है। ये प्रक्रिया सितंबर तक चलेगी। इस दौरान एनपीआर को अपडेट करने का काम होगा। इस काम के लिए इसी साल अगस्त माह में नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था।
NRC और NPR में अंतर
एनपीआर और एनआरसी एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं। राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के जरिए अवैध नागरिकों की पहचान करने की बात कही गई है।
वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) वो रजिस्टर है, जिसमें 6 महीने या उससे अधिक समय तक किसी क्षेत्र में रहने वाले शख्स को अपना नाम दर्ज कराना होगा। वो व्यक्ति जो किसी जगह पर अगले 6 महीने तक रहने की इच्छा रखता है, उसे भी इसके तहत अपनी जानकारी देनी होगी।
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