क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मां का सपना पूरा करने को ठुकराई मोटी सैलरी वाली नौकरी, स्कूटर लेकर 61 हजार KM का सफर कर चुके हैं कृष्ण कुमार

मां का सपना पूरा करने के लिए बजाज स्कूटर से सफर कर रहा बेटा। लगभग चार साल में 61500 किलोमीटर की यात्रा की। ये अनोखा सफर आज भी जारी है। जानिए यात्रा की कहानी...

Google Oneindia News
karnataka son krishna kumar

बजाज स्कूटर आज भी लोगों को रोमांचित करता है। ई-व्हीकल के दौर में अगर लोग दशकों पुराने दो पहिया वाहन पर सवारी करने पर अलग पहचान कायम होती है। अलग पहचान कायम करने की ऐसी ही एक कवायद कर रहा है, कर्नाटक का बेटा। मां के सपने को पूरा करने के लिए चार साल से पुराने बजाज स्कूटर पर घूम रहा बेटा अब तक 61 हजार 500 से अधिक किलोमीटर का सफर तय कर चुका है। खास बात ये कि इस यात्रा में मां भी उसके साथ हैं।

मां का सपना पूरा करने की कसम खाई

बजाज स्कूटर से पूरे भारत में भ्रमण कर रही मां-बेटे की जोड़ी सुर्खियां बटोर रही है। दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले दोनों यात्रियों ने दिखाया है कि किसी ख्वाब को पूरा करने के लिए किस सीमा तक प्रयास किए जा सकते हैं। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में तमिलनाडु के मदुरै पहुंचने पर मां-बेटे की जोड़ी को अपने स्कूटर पर कैमरे में कैप्चर किया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक मां का सपना पूरा करने के लिए बेटे ने स्कूटर से यात्रा करने की कसम खाई।

पांच साल से बजाज स्कूटर पर

दरअसल, खुद की या अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए इंसान किस हद तक जा सकता है ? इसकी सटीक मिसाल हैं, कृष्ण कुमार। कर्नाटक में रहने वाले कृष्ण कुमार भारत भ्रमण कर रहे हैं। 61,527 किमी की यात्रा कर चुके कृष्ण कुमार बताते हैं कि मां के सपनों को पूरा करने के लिए उनका सफर जारी है। मैसूर में रहने वाले कृष्ण कुमार बताते हैं कि वे पिछले लगभग पांच साल से सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं।

10 लोगों का परिवार संभालती रहीं मां

अपनी इच्छा शक्ति से हजारों किलोमीटर लंबी सड़कों को बौना साबित कर चुके कृष्ण कुमार और उनकी मां चूड़ारत्ना जनवरी 2018 से पुराने बजाज स्कूटर पर यात्रा कर रहे हैं। भारत के कई कस्बों और शहरों का दौरा कर चुकी मां-बेटे की जोड़ी यात्रा के शौकीन लोगों को इंस्पायर कर रही है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कृष्ण कुमार बताते हैं कि उनकी मां को कभी दुनिया देखने का मौका नहीं मिला क्योंकि उनका जीवन 10 लोगों के परिवार को संभालने में बीता।

2018 में शुरू की भारत की यात्रा

कृष्ण कुमार बताते हैं कि उनकी मां घर के लोगों के लिए खाना पकाती थीं। परिवार वालों को खिलाने और दिन-रात रसोई में काम करने में जीवन का अहम हिस्सा बीतता चला गया। बकौल कृष्ण कुमार, एक दिन उन्हें काफी ग्लानि हुई जब मां ने एक बार उनसे कहा कि वह आसपास के बड़े मंदिरों में कभी नहीं गई हैं। उनके ऐसा कहने के बाद सपने को पूरा करने के लिए स्कूटर से सफर करने की शुरुआत हुई और जनवरी 2018 में सड़क पर उतरने का फैसला लिया।

माता-पिता की इकलौती संतान

बजाज स्कूटर पर मां के साथ यात्रा की शुरुआत करने वाले कृष्ण कुमार करीब 59 महीने बाद बुधवार को तमिलनाडु में मंदिरों के शहर मदुरै पहुंचे। दोनों मीनाक्षी अम्मन मंदिर, अलगर कोविल, थिरुपरांगुंद्रम और कल्लालगर मंदिरों के दर्शन करने पहुंचे। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कृष्ण कुमार कर्नाटक के मैसूरु के भोगदी में संयुक्त परिवार में रहने वाले अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।

पिता के निधन के बाद बेंगलुरु शिफ्ट हुए

बकौल कृष्ण कुमार, "मेरे दादा-दादी और अन्य रिश्तेदार भी हमारे साथ रहे। मेरी मां पूरा दिन घर की सफाई करने और हमारे लिए खाना बनाने में बिताती थीं। पिता के निधन के बाद, मैं मां के साथ बेंगलुरु शिफ्ट हो गया। एक बार बातचीत के दौरान मैंने पूछा क्या वह तिरुवन्नामलाई, थिरुवारंगम, या तिरुपति जैसी जगहों पर गई हैं ?" उन्होंने कहा, मां ने बताया कि वे तमिलनाडु जाना तो दूर, कर्नाटक के आसपास के बड़े मंदिरों तक भी नहीं जा सकी हैं। ऐसा सुनने के बाद कृष्ण कुमार ग्लानि में डूब गए।

नौकरी छोड़ने के बाद 'मातृ सेवा संकल्प यात्रा'

मां के सपने को पूरा करने के लिए बेटे ने 14 जनवरी, 2018 को कॉरपोरेट कंपनी की मोटी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी। कृष्ण कुमार बतौर टीम लीडर अच्छी-खासी सैलरी पा रहे थे, लेकिन 'मातृ सेवा संकल्प यात्रा' शुरू करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। यात्रा के मकसद के बारे में कृष्ण कुमार बताते हैं, "इस यात्रा के माध्यम से, मैं बच्चों में अपने माता-पिता के साथ समय बिताने और बुढ़ापे के दौरान उनकी देखभाल करने के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना चाहता हूं।" उन्होंने कहा, यात्रा के दौरान वे नौकरी के दौरान की गई सेविंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। पैसों की जरूरत के बारे में कुमार कहते हैं कि वे किसी से भी आर्थिक योगदान स्वीकार करना नहीं चाहते।

आधी जिंदगी के बाद चमत्कारिक यात्रा

बेटे कृष्ण कुमार का समर्पण देखकर मां चूड़ारत्ना गर्वान्वित हैं। एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक करीब पांच साल की यात्रा के बाद कुमार की मां ने कहा, "मैं अब बहुत संतुष्ट और मजबूत महसूस कर रही हूं। पूरी यात्रा के दौरान मुझे थकान महसूस नहीं हुई। परिवार की देखभाल और चार दीवारों के भीतर आधा जीवन बिताने के बाद, अपने देश की चमत्कारिक जगहों को देखने का मौका किसी सपने के सच होने जैसा है।" बजाज स्कूटर पर सवार मां-बेटे की कहानी, सुहाना सफर और सपनों को पूरा करने के लिए शिद्दत से किए जाने वाले प्रयासों की मिसाल है, ऐसा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।

ये भी पढ़ें- 70 साल के बुजुर्ग ने 65 साल की तेजस्विनी को बनाया हमसफर, जगन्नाथ मंदिर में लिए सात फेरेये भी पढ़ें- 70 साल के बुजुर्ग ने 65 साल की तेजस्विनी को बनाया हमसफर, जगन्नाथ मंदिर में लिए सात फेरे

Comments
English summary
karnataka son krishna kumar travelling with mother on bajaj scooter to fulfill dream
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X