Happy new year 2020: विजन 2020 का सपना देखने वाले कलाम का देश के प्रति योगदान
नई दिल्ली- पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजी अब्दुल कलाम ने साल 2000 में विकसित भारत का सपना देखा था और उसके हिसाब से अगले 20 वर्षों के लिए एक रोड मैप भी तैयार करके दिया। पिछले 20 वर्षों में कई क्षेत्रों में देश ने उनकी सोच के मुताबिक तरक्की भी की है, कुछ में उससे भी आगे गया है, लेकिन बहुत चीजें ऐसी हैं जिसमें अभी भारत को बहुत कुछ करना बाकी है। ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं कि राष्ट्र के लिए विजन-2020 देने वाले जनता के राष्ट्रपति रहे डॉक्टर कलाम खुद देश के लिए क्या योगदान देकर गए हैं। दरअसल, कलाम साहब ने जो भारत को दिया है, उसे कुछ शब्दों के दायरे में समेटना बहुत मुश्किल काम है। लेकिन, फिर भी यहां कुछ ऐसी बातों की चर्चा की जा सकती है, जिसका नाम लेते ही आज ही नहीं भविष्य में भी सबसे पहला चेहरा कलाम साहब का ही नजर आने वाला है।
भारत के मिसाइल मैन कलाम
पेशे से एक वैज्ञानिक और टीचर की पहचान रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का विज्ञान के क्षेत्र में देश को पहला योगदान एक छोटे होवरक्राफ्ट की डिजाइन तैयार करना था। यह सफलता उन्हें डीआरडीओ में मिली थी। 1965 से उन्होंने एक विस्तृत रॉकेट प्रोजेक्ट पर स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया। आगे के वर्षों में उन्होंने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलियंट नाम के दो प्रोजेक्ट को संचालित किया। भारत के पहले दोनों मिसाइलों 'अग्नि' और 'पृथ्वी' के विकास में भी उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही। वे उस वक्त इंटिग्रेटड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के चीफ एग्जीक्यूटिव की जिम्मेदारी निभा रहे थे। देश के मिसाइल कार्यक्रम में उनके योगदानों की वजह से ही उन्हें 'मिसाइल मैन ऑफ इंडिया' के नाम का सम्मान मिला। यहां इस बात का जिक्र करना भी आवश्यक है किडॉक्टर कलाम रॉकेट इंजीनियरों की उस टीम के भी हिस्सा थे, जिन्होंने थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) का निर्माण किया। अभी भी इसरो इसका इस्तेमाल साउंडिंग रॉकेट की लॉन्चिंग के लिए करता है।
परमाणु और सैटेलाइट कार्यक्रमों में योगदान
देश के लोकप्रिय राष्ट्रपति के तौर पर मशहूर हुए कलाम साहब का एक बड़ा योगदान पोखरण-2 परमाणु परीक्षणों में भी रहा है। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने वाला यह परीक्षण जिस वक्त किया गया था, तब वे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाकार के पद पर तैनात थे। पूर्व राष्ट्रपति कलाम की अगुवाई में ही भारत का पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी-3) तैयार हुआ। वे ही इसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे। यही नहीं पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के विकास में भी उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
देश को विजन देने वाले कलाम
अपने चमकते और बहुमुखी करियर के दौरान डॉक्टर कलाम ने कई ऐसी किताबें भी लिखी हैं, जो न सिर्फ लोकप्रिय और पढ़ने वालों की बेहतर पसंद रही हैं, बल्कि वे सारी की सारी बेस्ट-सेलर्स भी साबित हुई हैं। विंग्स ऑफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया और इंडिया 2020 उन्हीं लोकप्रिय और देश को नई दिशा दिखाने वाली किताबों में शामिल हैं। अपने विजन-2020 में उन्होंने साल 2000 में आने वाले 20 वर्षों में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का न सिर्फ सपना दिखाया था, बल्कि उसे किस तरह साकार करना है, इसका पूरा खाका भी तैयार करके दिया था। इसके लिए उन्होंने देश की जीडीपी की विकास दर को दोगुना करने के लिए पांच कोर सेक्टर पर फोकस करने की बात की थी, वो हैं- कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा-स्वास्थ्य देखभाल,इमफॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी एंड स्ट्रैटेजिक इंडस्ट्रीज।
मेडिकल साइंस के क्षेत्र में योगदान
वैसे खुद कलाम साहब मानते थे कि उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि पोलियो-प्रभावित बच्चों के लिए कम-वजनी ऑर्थो कैलिपर्स की डिजाइन तैयार करना था। इस कैलिपर्स का वजन उस समय बाजार में उपलब्धन कैलिपर्स का दसवां हिस्सा था। इसकी वजह से पोलियो-प्रभावित बच्चों का चलना कम दुखदायी रह गया। मेडिकल साइंस में कलाम की यही एकमात्र उपलब्धि नहीं है। उन्होंने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सोमा राजू के साथ मिलकर सस्ती कोरोनरी स्टेंट का विकल्प भी तैयार किया, जो 'कलाम-राजू स्टेंट' के नाम से जाना गया। दोनों ने मिलकर ग्रामीण इलाकों में हेल्थकेयर के क्षेत्र में इस्तेमाल के लिए बेसिक टैबलेट पीसी भी तैयार किया था।
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