जस्टिस सुनील गौर PMLA के अध्यक्ष नियुक्त, इन्होंने पी चिदंबरम की गिरफ्तारी का रास्ता बनाया था आसान
Recommended Video
दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी का रास्ता आसान बनाने वाले उच्च न्यायालय से रिटायर जज सुनील गौर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट अपील अधिकरण (एटीपीएमएलए) के अध्यक्ष बना दिए गए हैं। वो इस पद 23 सितंबर को पदभार ग्रहण करेंगे। बता दें कि CBI ने 15 मई 2017 को एक केस दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गई FIPB मंजूरी में अनियमितताएं हुई थीं। इसके बाद ईडी ने 2018 में इस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं दे चुके जस्टिस सुनील गौर ने अपने रिटायर होने से पहले ही पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी का रास्ता साफ कर दिया था। जिसके बाद उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट अपील अधिकरण का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस मनमोहन सिंह का बतौर अधिकरण का चेयरमैन का कार्यकाल 22 सितंबर को खत्म हो रहा है। जस्टिस गौर ने अपने अंतिम आदेश में चिदंबरम की आईएनएक्स मीडिया मामले में अंतरिम राहत की याचिका खारिज कर दी थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस गौर ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर चल रहे नेशनल हेराल्ड मामले में भी जांच के आदेश दिए थे। गौर को अप्रैल 2008 में हाई कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया था। 11 अप्रैल 2012 को उनकी नियुक्ति स्थाई की गई थी। पिछले साल 2018 में जस्टिस गौर ने कांग्रेस के मुख्यपत्र नेशनल हेराल्ड के पब्लिशर एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेग को आईटीओ स्थित दफ्तर खाली करने का आदेश दिया था। जस्टिस गौर के इस फैसले को हाई कोर्ट के डिविशन बेंच ने भी सही ठहराया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जस्टिस गौर हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई से जुड़े रहे हैं।