पेगासस मामले में माकपा नेता जॉन ब्रिटास ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, कहा- कोर्ट की निगरानी में हो जांच
राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने इस्राइली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग कर कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की कथित जासूसी की रिपोर्ट की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए SC का रुख किया है
नई दिल्ली, 25 जुलाई। राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने इस्राइली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग कर कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की कथित जासूसी की रिपोर्ट की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों सहित लगभग 300 भारतीयों पर निगरानी करने के लिए किया गया था, जिसके बाद एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने वाले ब्रिटास ने कहा कि हाल ही में जासूसी के आरोपों ने भारत में लोगों के एक बड़े वर्ग के बीच चिंता पैदा कर दी है। उन्होंने याचिका में कहा कि इस जासूसी का अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी करने के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है।
माकपा नेता ने रविवार को अपने बयान में कहा कि बहुत गंभीर प्रकृति के बावजूद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर आरोपों की जांच कराने संबंधी परवाह नहीं की। बल्कि सरकार यह कहती रही कि देश में कोई भी अनधिकृत निगरानी न हो इसके लिए देश में तंत्र स्थापित किया गया है। इसलिए इस संबंध में संसद में प्रश्न पूछे गए थे, लेकिन सरकार ने स्पाईवेयर द्वारा जासूसी से न तो इनकार किया और न ही इसे स्वीकार किया है।
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बता दें कि पेगासस स्पाइवेयर मुद्दे पर हो रहे विवाद के बीच, सरकार ने कहा था कि देश के कानूनों में जांच और संतुलन के साथ अवैध निगरानी संभव नहीं है। केंद्र सरकार ने विपक्ष पर भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने का भी आरोप लगाया था। 19 जुलाई को सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले इस रिपोर्ट का आना संयोग नहीं है। हालांकि, मंत्री ने यह नहीं बताया कि भारत सरकार पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रही है या नहीं। ब्रिटास ने रविवार को यह भी दावा किया कि आरोपों से दो निष्कर्ष निकलते हैं, या तो सरकार द्वारा या किसी विदेशी एजेंसी द्वारा जासूसी की गई थी। उन्होंने कहा कि यदि यह निगरानी किसी विदेशी एजेंसी ने की थी जो यह गंभीर जांच का विषय है।