JNU के 'काउंटर टेरेरिज्म' कोर्स को लेकर बढ़ा विवाद, एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने भी इस कोर्स को दी मंजूरी!
नई दिल्ली, सितंबर 03। लेफ्ट और राइट विंग के बीच संघर्ष का गढ़ रहने वाली दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी एकबार फिर से सुर्खियों में है। दरअसल, जेएनयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने नए 'काउंटर टेरेरिज्म' कोर्स को मंजूरी प्रदान कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में ये जानकारी सूत्रों के हवाले से दी गई है। इस कोर्स के टाइटल को लेकर पिछले काफी दिनों से यूनिवर्सिटी में विवाद हो रहा है। कई टीचर्स और स्टूडेंट इस कोर्स का विरोध कर रहे हैं।
17 अगस्त को इन कोर्सेज को मिली थी मंजूरी
आपको बता दें कि 17 अगस्त को यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में तीन कोर्सेज को मंजूरी दी गई थी। इनमें पहला 'काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉनफ्लिक्ट्स एंड स्ट्रेटेजीज फॉर को ऑपरेशन अमंग मेजर पॉवर्स', दूसरा 21वीं सदी में भारत का उभरता हुआ वैश्विक दृष्टिकोण और तीसरा 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय महत्व' कोर्स को मंजूरी प्रदान की गई। अब खबर है कि इसे एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने भी मंजूरी दे दी है।
'काउंटर टेरेरिज्म' कोर्स पर क्यों है विवाद?
इस कोर्स का विरोध करने वाले टीचर और छात्रों का कहना है कि यह 'जिहादी आतंकवाद, कट्टरपंथ और धार्मिक आतंकवाद' को बढ़ावा देने वाला कोर्स है, इसलिए इस कोर्स को वापस लिया जाना चाहिए। वहीं कोर्स में यह भी दावा किया गया है कि सोवियत संघ और चीन में कम्युनिस्ट शासन आतंकवाद के राज्य-प्रायोजक थे जिन्होंने उनके अनुसार कट्टरपंथी इस्लामी राज्यों को प्रभावित किया था।
जेएनयू वीसी की विवाद पर सफाई
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वहीं इस विवाद पर जेएनयू के वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार ये कह चुके हैं कि नए आतंकवाद विरोधी कोर्स के बारे में इसके शैक्षणिक गुणों में जाने के बिना "अनावश्यक विवाद" है। बता दें कि काउंसिल ने हर साल विश्वविद्यालय द्वारा बी.आर. अम्बेडकर के जन्मदिन (14 अप्रैल) और महापरिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) के पालन को भी मंजूरी दी है।