महाराष्ट्र-हरियाणा की तरह झारखंड में भी प्रियंका-राहुल ने बनायी दूरी, अपने बूते चुनाव लड़ रहे कांग्रेसी
रांची। झारखंड में पहले चरण का चुनाव 30 नवम्बर को है। एक हफ्ते बाद मतदान है इसलिए चुनाव प्रचार ने रफ्तार हासिल कर ली है। भाजपा के लिए अमित शाह , नितिन गडकरी सभाएं कर चुके हैं। 25 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पलामू में जनसभा करने वाले हैं। झारखंड में मोदी की आठ से नौ सभाएं प्रस्तावित हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस में वो जोश नहीं दिख रहा जिसकी दरकार थी। अभी तक पहले चरण के मतदान के लिए कांग्रेस के किसी बड़े नेता का कार्यक्रम नहीं बन पाया है। प्रियंका झारखंड नहीं आएंगी। राहुल गांधी का नाम तो स्टार प्रचारकों की सूची में है लेकिन उनकी सभाओं को लेकर संशय है। सोनिया ने झारखंड आने की हामी तो भर दी है लेकिन उनका कार्यक्रम उनकी सेहत पर निर्भर है। राहुल- प्रियंका के समय नहीं देने से कांग्रेस प्रत्याशियों में मायूसी है। अधिकतर नेता अपने बल- बूते ही चुनाव मैदान में हैं।
कांग्रेस प्रदेश यूनिट को सोनिया का ही सहारा
कांग्रेस की जान नेहरू-गांधी परिवार में बसती है। कांग्रेसियों को ताकत गांधी सरनेम से ही मिलती है। लेकिन पिछले तीन चुनावों से सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने खुद को चुनाव प्रचार से दूर कर रखा है। महाराष्ट्र और हरियाणा की तरह झारखंड में भी राहुल और प्रियंका कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहे। प्रियंका ने तो झारखंड में आने से ही मना कर दिया। राहुल गांधी की एक दो सभा हो तो हो नहीं तो वे ऐन चुनाव के समय देश से बाहर रहेंगे। अब झारखंड में चुनाव लड़ रहे कांग्रेसियों को सोनिया का ही सहारा है। लेकिन सोनिया गांधी की सेहत इतनी ठीक नहीं रहती है कि वे धुआंधार चुनाव प्रचार कर सकें। वे कितनी चुनावी सभाएं करेंगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। है। राहुल गांधी ने हरियाणा में दो और महाराष्ट्र पांच चुनावी सभाएं की थीं। हरियाणा में कांग्रेस सत्ता के करीब आ कर भी खाली हाथ रह गयी जब कि महाराष्ट्र में वह चौथे स्थान पर फिसल गयी थी। उम्मीद थी कि राहुल झारखंड में ताकत झोंकेंगे लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। झारखंड में कांग्रेस के 31 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। अब इनकी किस्मत का खुदा मालिक।
अपने बल-बूते चुनाव लड़ रहे कांग्रेसी
वैसे कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की 40 सदस्यीय टीम बनी हुई है लेकिन सोनिया, राहुल, प्रियंका के बिना सब बेरौनक है। अब आलम ये ही कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के प्रचार के लिए गुजरे जमाने की अभिनेत्री भाग्यश्री को लोहरदगा बुलाया गया है। रामेश्वर उरांव की किस्मत का फैसला 30 नवम्बर को ही होने वाला है। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह, सहप्रभारी उमंग सिंगार, राष्ट्रीय सचिव सलीम अहमद जैसे केन्द्रीय नेता झारखंड में कैंप किये हुए हैं। इसके अलाव छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब के कई मंत्री और नेता झारखंड आने वाले हैं। लेकिन इन सब के बावजूद वह फिजां नहीं बन रही जिसकी कांग्रेसी उम्मीद किये हुए थे। जिस तरह महाराष्ट्र में शरद पवार ने कांग्रेस की नाव पार लगायी थी उसी तरह झारखंड में हेमंत सोरेन अगर कांग्रेस का कुछ कल्याण कर दें तो ये अलग बात होगी। वर्ना कांग्रेस में वो जोश नहीं दिख रहा जो चिकट बंटवारे के पहले था।
अपनी सीट देखें कि दूसरे का प्रचार करें
झारखंड में कांग्रेस के तीन प्रमुख ओहदेदार खुद चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव लोहरदगा से खड़े हैं। विधायक दल के नेता आलमगीर आलम पाकुड़ से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी जामताड़ा से चुनाव मैदान में हैं। ये तीनों खुद अपने चुनाव क्षेत्र में इतने मशरुफ हैं कि किसी और के लिए प्रचार का समय ही नहीं निकाल पा रहे। फिलहाल कांग्रेस की बी टीम चुनाव प्रचार में लगी है जो भाजपा के मुकाबले कमतर साबित हो रही। इसके पहले कहा गया था कि महाराष्ट्र और हरियाणा से सबक सीख कर कांग्रेस झारखंड में आक्रामक चुनाव प्रचार करेगी। स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी नाम है। लेकिन अभी तक उनका कार्यक्रम भी नहीं बना है।