राजीव गांधी बनना चाहते थे जगनमोहन, मिली 16 महीने की जेल
बैंगलोर। आज आंध्रप्रदेश के दिवंगत मुख्य वाईएसआर रेड्डी के सुपुत्र जगन मोहन रेड्डी जेल से बाहर आये वो भी पूरे 16 महीने के बाद। जेल से बाहर निकलते ही उनका स्वागत ठीक उस तरह से हुआ जैसे कोई विजेता जंग जीतकर और किला फतेह करके वापस आता है। जगन मोहन 16 महीनों से अधिक समय जेल में सिर्फ इसलिए थे क्योंकि वह आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाये गये थे।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने सोमवार को सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया। अदालत ने जगन की जमानत याचिका पर फैसला पिछले सप्ताह ही सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को जमानत याचिका मंजूर करते हुए सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश यू. दुर्गाप्रसाद राव ने जगन को अदालत की इजाजत के बगैर हैदराबाद से बाहर न जाने एवं जांच में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया।
कांग्रेस से बगावत करने वाले जगन मोहन रेड्डी का राजनैतिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं हैं। पिता की अकस्मात मौत के बाद सीएम बनने का सपना देखने वाले जगन मोहन रेड्डी ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह सीएम आवास से सीधे जेल की चारदिवारी के बीच मे चले जायेंगे।
जगन मोहन रेड्डी के दिलों दिमाग पर यह बात शायद बहुत अच्छे से बैठ गयी थी कि राजा का बेटा ही राजा होता है लेकिन उनसे सपने चूर-चूर तब हो गयी जब उनके पिता का मौत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनकी जगह जगन को नहीं बल्कि रोशैया को आंध्रा की गद्दी सौंपी। राजनैतिक पंडितों औऱ समीक्षकों की माने तो अपने पिता की मृत्यु के बाद जगन को लगने लगा था कि वो पुराना इतिहास दोहराते हुए सीएम बन जायेगें। जगन को लगा कि वो देश के दूसरे राजीवगांधी हैं। जिन्हे मां इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री बना दिया गया था।
लेकिन राजीव से बराबरी करने की तुलना में जगन ये भूल गये कि राजीव गांधी सन् 1980 में एमपी बनें थे और 1982 में कार्यकाल मोरारजी देसाई का था और 1984 में इंदिरा जी के मरने के बाद सत्ता मिली थी। यानी की चार साल का वक्त राजीव को भी लगा था, जबकि वो उस परिवार के सदस्य थे जिन्हें देश के सच्चे देशभक्त की संज्ञा दी जाती है।
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जगन हुए बागी...
सीएम की कुर्सी नहीं मिलने के कारण जगन मोहन रेड्डी ने विरोधी राग अपनाया और कांग्रेसे के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। जगन मोहन ने कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाकर पार्टी का साथ छोड़ दिया और खुद बागी बन गये।
केवल वाईएसआर के बेटे..जगन...
पिता वाईएसआर रेड्डी के मौत के बाद जगन मोहन और उनके समर्थक जगन को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहते थे। लेकिन आलाकमान ने जगन को नहीं बल्कि रोशैया को गद्दी सौंपी। तभी से जगन ने अपने बागी तेवर दिखाना शुरू कर दिया था। लेकिन जगन केवल वाईएसआर के बेटे हैं इसको छोड़कर उनके पास कोई विशेषता नहीं है, यही कारण देते हुए सोनिया गांधी ने जगन को सीएम नहीं बनाया।
कांग्रेस ने दिया जगन को बगावत का मौका..
वैसे कांग्रेस परिवार अपने आगे किसी को चलने नहीं देना चाहती है ये भी बहुत बड़ी सच्चाई है, इसका अंदाजा शायद कांग्रेसआलाकमान पहले ही हो गया था, जगन के तीखे तेवरों से उसे लगने लगा था कि शायद जगन पार्टी के लिए खतरा हो सकते हैं, इसलिए उसने दोहरी चाल चलते हुए जगन को मौका न देते हुए हर वो काम किया जिससे जगन को परेशानी हो लेकिन जगन के खिलाफ उसने कुछ नहीं किया।
जोश उनके होश पर हावी
चूंकि जगन युवा नेता है इसलिए उनका जोश उनके होश पर हावी हो गया और वो कर बैठे जिसका अनुमान खुद कांग्रेस को था, कांग्रेस ने खुलकर कुछ नहीं किया उसे पता था कि दक्षिण में आंध्रा ही वो एकमात्र राज्य है जहां उसकी सत्ता है। और जगन को तकलीफ पहुंचाने का मतलब है कि वो अपनी किरकरी कराये, इसलिए उसने पूरा समय लिया जगन के पर कतरने में।
कांग्रेस में केवल एक राजीव गांधी..
और अंत में कांग्रेस कामयाब भी हुई लेकिन जगन के जोश ने उन्हें ये भूला दिया कि कांग्रेस में केवल एक ही राजीव गांधी हो सकते हैं दूसरा कोई नहीं। इसलिए जगन का राजीव बनने का सपना चूर-चूर हो गया।
जगन के खिलाफ 10 आरोपपत्र
सीबीआई अब तक जगन एवं उनके सहयोगियों के खिलाफ 10 आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है, जिसमें जगन के साथ-साथ राज्य के पूर्व मंत्रियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों, कारोबारियों एवं व्यापारियों को आरोपित किया गया है। इनमें से पांच आरोपपत्र इसी महीने में दाखिल किए गए।
गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं
सीबीआई ने जगन को जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। सीबीआई ने हालांकि न्यायालय को यह भी बताया कि उसने जगन के खिलाफ जांच पूरी कर ली है। सीबीआई ने न्यायालय को यह भी बताया कि उसे मामले में आरोपी कई कंपनियों के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिले हैं।
हैदराबाद से बाहर नहीं जा सकते हैं..
सोमवार को जमानत याचिका मंजूर करते हुए सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश यू. दुर्गाप्रसाद राव ने जगन को अदालत की इजाजत के बगैर हैदराबाद से बाहर न जाने एवं जांच में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया।
दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत
कड़प्पा से सांसद जगन को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले वर्ष 27 मई को गिरफ्तार किया था। अदालत ने जगन को दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर रिहा किया।
अदालत में पेश होने का निर्देश
न्यायाधीश ने जगन को सुनवाई के दौरान आवश्यकता पड़ने पर अदालत में पेश होने का भी निर्देश दिया और कहा कि यदि वह शर्तो का उल्लंघन करते हैं तो सीबीआई उनकी जमानत रद्द करने के लिए अदालत में अर्जी दे सकती है।