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आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ योगी सरकार वाक़ई सख़्त है?

समाजवादी पार्टी के सांसद आज़म ख़ान को गिरफ़्तार करने के बाद रामपुर जेल से सीतापुर जेल भेजे जाने और फिर उसके तुरंत बाद ज़िले के पुलिस अधीक्षक को हटाए जाने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.एसपी पर आरोप थे कि वो आज़म ख़ान के प्रति 'सॉफ़्ट कॉर्नर' रख रहे थे लेकिन सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि दर्जनों मामले दर्ज होने के बावजूद 

By समीरात्मज मिश्र
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आज़म ख़ान
Getty Images
आज़म ख़ान

समाजवादी पार्टी के सांसद आज़म ख़ान को गिरफ़्तार करने के बाद रामपुर जेल से सीतापुर जेल भेजे जाने और फिर उसके तुरंत बाद ज़िले के पुलिस अधीक्षक को हटाए जाने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

एसपी पर आरोप थे कि वो आज़म ख़ान के प्रति 'सॉफ़्ट कॉर्नर' रख रहे थे लेकिन सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि दर्जनों मामले दर्ज होने के बावजूद आज़म ख़ान को जेल भेजने में साल भर से ज़्यादा समय क्यों लग गया?

आज़म ख़ान, उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म और पत्नी तंज़ीन फ़ातिमा जिस मामले में जेल गए हैं उसे कोर्ट में ले जाने वाले बीजेपी नेता आकाश सक्सेना कहते हैं कि पुलिस की ओर से न सिर्फ़ इस मामले में हीला-हवाली की गई बल्कि आज़म ख़ान को हर तरह की सहूलियत भी दी गई.

बीबीसी से बातचीत में आकाश कहते हैं कि उन्हें इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक करनी पड़ी और यही कारण है कि सरकार ने तत्काल एसपी का तबादला किया.

आकाश सक्सेना बीजेपी नेता हैं और उन्होंने आज़म ख़ान के बेटे के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी प्रमाण पत्र के अलावा दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड रखने के मामले भी दर्ज कराए थे जो जांच में सही पाए गए हैं. इन मामलों में आज़म ख़ान की गिरफ़्तारी की कोशिशें पिछले छह महीने से हो रही थीं लेकिन आख़िरकार आज़म ख़ान ने ख़ुद ही सरेंडर किया.

जहां तक पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र का सवाल है तो वो सिर्फ़ दो महीने पहले ही इस पद पर आए थे. आकाश सक्सेना कहते हैं कि इससे पहले भी पुलिस वालों ने आज़म ख़ान की गिरफ़्तारी में दिलचस्पी नहीं दिखाई जबकि कोर्ट की ओर से उनके ख़िलाफ़ बार-बार ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किए जा रहे थे.

आज़म ख़ान
M. Mujassim/BBC
आज़म ख़ान

पुलिस की लापरवाही की शिकायत

आज़म ख़ान ने सरेंडर करने से पहले अग्रिम ज़मानत की अर्जी लगा दी थी और बताया जा रहा है कि पुलिस की कथित लापरवाही की वजह से ही उन्हें आठ मामलों में ज़मानत मिल गई.

आकाश सक्सेना कहते हैं, "अदालत ने ज़मानत अर्जी पर पुलिस से आख्यान मांगी थी लेकिन, पुलिस ने कोर्ट में अपनी कोई रिपोर्ट नहीं दी. इसी वजह से ज़मानत हो गई. पुलिस की लापरवाही की शिकायत मुख्यमंत्री तक की गई."

आज़म ख़ान ने पिछले महीने 26 फ़रवरी को एडीजे कोर्ट में सरेंडर किया और उन्हें अगले दिन सुबह ही सीतापुर जेल भेज दिया गया. रामपुर के ज़िलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने इसके पीछे सुरक्षा कारणों को वजह बताया लेकिन जानकारों के मुताबिक, यह भी कथित तौर पर आज़म ख़ान की सहूलियत को ही ध्यान में रखकर किया गया.

आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ अवैध ज़मीन कब्ज़ाने और अन्य मामलों में कार्रवाई न होने पर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले रामपुर के समाजसेवी फ़ैसल लाला कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे तो दर्ज किए लेकिन उसके आगे की कार्रवाई को जानबूझकर लटकाए रखा.

फ़ैसल कहते हैं, "पीड़ित लोगों को लेकर मैं तमाम जगहों पर गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आख़िरकार हमने कोर्ट में पीआईएल डाली. कोर्ट ने संज्ञान लिया और सरकार से जवाब मांगा. इन सबके बावजूद आज़म ख़ान पर कार्रवाई में सरकार ढिलाई ही बरत रही थी. अब जबकि कोर्ट ने कुर्की के आदेश जारी कर दिए और सरकार को कोर्ट में जवाब देना था तब कहीं जाकर उन्हें सरेंडर कराया गया."

आज़म ख़ान
M. Mujassim/BBC
आज़म ख़ान

आज़म ख़ान ने सरकार पर लगाए आरोप

फ़ैसल लाला कहते हैं, "शासन का निर्देश नहीं मिल रहा था. डीएम ने नौ सदस्यीय जांच कमिटी बनाई थी. कमिटी ने पीड़ितों की शिकायत सही पाई और अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी. बावजूद इसके शासन की ओर से कोई जवाब नहीं आया."

रामपुर में जब आज़म ख़ान सरेंडर कर रहे थे, उस वक़्त विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तंज़ कसते हुए कहा था, "रामपुर में बिजली गिर रही है." लेकिन, जिस तरीक़े से आज़म ख़ान और उनके परिवार के सदस्यों के ख़िलाफ़ ताबड़तोड़ तमाम मुक़दमे दर्ज कराए गए और ख़ुद आज़म ख़ान ये आरोप लगा चुके हैं कि सरकार उन्हें प्रताड़ित करने के मक़सद से ऐसा कर रही है, ऐसे में ये कहना कितना ठीक है कि सरकार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में हीला-हवाली कर रही है और ऐसा क्यों करेगी?

इस सवाल के जवाब में फ़ैसल लाला कहते हैं, "इसका सीधा संबंध आज़म ख़ान की पत्नी तंज़ीम फ़ातिमा का राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने से है. रामपुर से उपचुनाव वो परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को भी लड़ा सकते थे लेकिन राज्यसभा से इस्तीफ़ा दिलाकर उन्होंने एक तरह से बीजेपी की राज्यसभा में एक सीट बढ़ाने में मदद की है. बीजेपी के लिए राज्यसभा में एक-एक सीट की अहमियत है. इसलिए बीजेपी सरकार कार्रवाई का दिखावा तो कर रही है लेकिन जो कुछ भी उसने अब तक किया है वो कोर्ट के दबाव में ही किया है, उससे अलग नहीं."

आज़म ख़ान पर जौहर विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए सरकारी धन के दुरुपयोग के अलावा रामपुर में अवैध तरीक़े से किसानों की ज़मीन हथियाने से लेकर मवेशी चुराने और मदरसा आलिया की किताबें चुराने तक के आरोप लगे और ये सभी आरोप वहां के लोगों ने लगाए. स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर ज़बरदस्त नाराज़गी भी है.

यतीमखाना
M. Mujassim/BBC
यतीमखाना

रामपुर के रहने वाले मोहम्मद उस्मान कहते हैं, "उन्होंने जिस तरह से ग़रीब लोगों को परेशान किया, यही वजह है कि उनके साथ आज रामपुर के लोग नहीं खड़े हो पा रहे हैं. यतीमख़ाना में रहने वाले सैकड़ों ग़रीबों को उजाड़ दिया और ज़मीन पर अपना स्कूल बनवा दिया."

वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं कि ये कहना ठीक नहीं है कि सरकार आज़म ख़ान को किसी तरह की रियायत बरतने के मूड में है.

सुभाष मिश्र कहते हैं, "बीजेपी से भले ही कोई डील हो लेकिन मुख्यमंत्री उनके प्रति कहीं से सॉफ़्ट नहीं दिखते. दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ कार्रवाई करके एक राजनीतिक संदेश देना चाहते हैं. उनको मालूम है कि आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी तो अखिलेश यादव उनके पक्ष में उतरेंगे और यदि अखिलेश यादव उनके पक्ष में उतरे तो यह बीजेपी को राजनीतिक लाभ देने वाला मुद्दा बन सकता है."

BBC Hindi
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English summary
Is the Yogi government really tough against Azam Khan
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