क्या गठबंधन तोड़ने के लिए अब मायावती से इस तरह का बदला ले रहे हैं अखिलेश ?
नई दिल्ली- पिछले कुछ महीनों में ही बहुजन समाज पार्टी छोड़कर कई नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। यह सिलसिला तभी से शुरू हो चुका है, जब लोकसभा चुनाव में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़कर 10 सीटें जीतने के बाद बसपा प्रमुख ने एकतरफा गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था। समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में बसपा के कई और बड़े नेता पार्टी में शामिल होने के लिए तैयार हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अचानक गठबंधन तोड़ने की वजह से ही बसपा सुप्रीमो से बदला लेने की कोशिश में हैं।
पूर्वी यूपी का बड़ा पिछड़ा चेहरा सपा में शामिल
लोकसभा चुनाव के फौरन बाद जब से बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ा है, कई नेताओं ने हाथी से उतरकर साइकिल की सवारी करनी शुरू कर दी है। बहनजी का साथ छोड़कर 'बबुआ' की पार्टी में शामिल होने वाला सबसे ताजा नाम पूर्वी यूपी के पिछड़े चेहरे राम प्रसाद चौधरी का है, जिन्हें दो महीने पहले बसपा से निकाल दिया गया था। पांच बार विधानसभा के लिए चुने जा चुके चौधरी दो दिन पहले ही समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं। यह कोई पहला वाक्या नहीं है, लोकसभा चुनावों के बाद ऐसे नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है, जो मायावती का साथ छोड़कर अखिलेश भैया पर भरोसा कर उनके खेमे में चले गए हैं।
गठबंधन तोड़ने का बदला ऐसे ले रहे हैं अखिलेश?
जाहिर है कि बसपा के अंदर सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। क्योंकि, इससे पहले मोहनलालगंज से पार्टी के उम्मीदवार रहे सीएल वर्मा, पूर्व मंत्री रघुनाथ प्रसाद शंखवार, गोरखपुर के प्रशुराम निषाद, सुनील गौतम, जालौन के मान सिंह पाल और मऊ के उमेश पांडे पहले ही बीएसपी छोड़ सपा में शामिल हो चुके हैं। ईटी की एक खबर के मुताबिक समाजवादी पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई और बसपा नेता जल्द ही पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। पार्टी सूत्र ने बताया, 'कोशिश ये है कि विभिन्न जिलों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे बीएसपी नेताओं को लाया जाए। इससे प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ मुख्य विपक्षी के रूप में पार्टी की छवि और मजबूत होगी।' ऐसे में माना जा रहा है कि कहीं लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने के बाद बुआ ने जिस तरह से बबुआ को गच्चा दे दिया, कहीं अब उसी का बदला तो नहीं लिया जा रहा है?
बसपा के जनाधार में भी सेंधमारी की तैयारी!
समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए अभी से जाति-आधारित व्यापक गठबंधन तैयार करना चाहते हैं। हाल ही में उन्होंने समाजवादी पार्टी की तरफ से पूरे प्रदेश में अंबेडकर जयंती भी बड़े पैमाने पर आयोजित करने का फैसला था और इसे भी उनके सामाजिक जनाधार बढ़ाने की कवायद का ही एक हिस्सा माना जा रहा है। जाहिर है कि अभी तक इस तरह के आयोजनों में पार्टी की ओर से महज औपचारिकताएं ही पूरी की जाती थी।
'मायावती इसकी चिंता नहीं करतीं'
वैसे बीएसपी के नेता इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। पार्टी सूत्रों का तो दावा है कि बीएसपी को मजबूत करने के लिए मायावती लगातार काम कर रही हैं। पार्टी सूत्र ने बताया, 'संगठन के अंदर मासिक बैठक करने की व्यवस्था है। पार्टी जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने के लिए बेताब बैठी है। अपने-अपने क्षेत्र में संगठन के मद्देनजर पार्टी के संयोजक सारी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी बातों पर लगातार नजर रखते हैं।' बीएसपी सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ नेताओं को अलग-अलग जिलों में पार्टी कैडरों के लिए आयोजित होने वाले कैंप में हिस्सा लेने को कहा गया है। उसके मुताबिक कैडर कैंप में आए कम से कम 50 युवाओं को पार्टी की विचारधार के बारे में बताया गया। हालांकि, सवाल पूछे जाने पर उसने कहा कि बीएसपी छोड़कर एसपी में जाने वाले नेताओं की मायावती चिंता नहीं करतीं।
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