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दाऊद इब्राहीम को पकड़ने के लिए भारत की खुफिया विभाग ने शुरु किया खुफिया मिशन

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नई दिल्ली। जिस तरह से केंद्र सरकार ने देश की संसद में कुख्ता डॉन दाउद इब्राहीम के बारे में बयान दिया है उसने पाकिस्तान को खुश होने कि वजह दे दी है। पाकिस्तान गृहराज्यमंत्री के बयान के तुरंत बाद अपना बयान जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान का इस मामले में हमेशा से ही रुख साफ रहा है और वह निर्दोष है।

भारत की खुफिया विभाग ने शुरु किया खुफिया ऑपरेशन

वहीं भारत की खुफिया विभाग ने दाउद की तलाश के लिए एक खुफिया अभियान शुरु किया है। वहीं इस अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने वनइंडिया को बताया कि इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत यह है कि दाउद के मौजूदा ठिकाने के बारे में पता लगाया जाए।

दाउद एक ठिकाने के बारे में खुफिया विभाग को पता है और उसके आधार पर पाकिस्तान से यह अपील करेगा कि दाउद को भारत को प्रत्यर्पित किया जाए। लेकिन देखने वाली बात यह है कि अगर पाकिस्तान को भारत दाउद की मौजूदा स्थिति के बारे में बताता है तो क्या पाक दाउद को भारत को प्रत्यर्पित करेगा या नहीं।

भारत ने देश की संसद में यह बयान दिया कि उसे दाउद इब्राहीम के ठिकाने के बारे में नहीं पता है जिससे इस बात के संकेत साफ मिले कि दाउद पाकिस्तान में नहीं हो सकता है। इससे साफ है कि पाकिस्तान में दाउद के ठिकाने के बारे में भारत को जानकारी नहीं है।

दाऊद के साथ 1993 में हुई डील

1993 में मुंबई में हुए धमाकों के बाद भारत देश में अंडरवर्ल्ड का ऐसा आगाज हुआ था जोकि देश के इतिहास का बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। मुंबई धमाको के बाद दाउद नशीली पदार्थों और सोने की स्मगलिंग करने वाला दाउद आज एक बड़ा आतंकी बनकर उभरा है। यही नहीं दाउद अब पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों में आर्थिक मदद भी करता है।

14 करोड़ की रिश्वत देकर दाऊद भागा पाकिस्तान

जिस तरह से 1993 के धमाकों के बाद दाउद को सुरक्षित भारत से वापस जाने दिया गया उसने भारत की सुरक्षा एजेंसियों और राजनेताओं पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। यही नहीं खुफिया विभाग के दस्तावेजों पर नजर डाले तो यह साफ हो जाता है कि दाउद ने भारत से फरार होने के लिए देश के बड़े नेता को 14 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी।

महाराष्ट्र के कई नेताओं का उस वक्त यह मानना था कि बेहतर होगा अगर दाउद देश से बाहर रहता है। लेकिन अगर दाउद भारत में रहता और उससे पूछताछ के दौरान देश के बड़े-बड़े नेताओं के नाम सामने आने से उन नेताओं को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता। जिससे बचने के लिए दाउद को भारत से सुरक्षित भागने में नेताओं ने मदद की।

दाऊद को सुरक्षा की जरूरत थी

भारत की सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया विभाग के दस्तावेजों से यह साफ होता है कि दाउद के आईएसआई से संबंध थे। यही नहीं दाउद के भारत छोड़ने और पाकिस्तान जाने से पहले से ही उसके संबंध आईएसआई से थे, यह बात भी दस्तावेजों से साफ होती है।

दाऊद को चाहिए थी सुरक्षा

दाउद ने जो ड्रग स्मगलिंग का कारोबार शुरु किया था वो अफगानिस्तान से शुरु होकर पाकिस्तान पहुंचा था जिसमें पूरी तरह से आईएसआई का था। 1993 से पहले दाउद आईएसआई को अपने मुनाफे का 10 फीसदी देता था। लेकिन 1993 के धमाकों के बाद दाउद को देश में खतरे का अंदाजा था और उसे कड़ी सुरक्षा की जरूरत थी जिसके लिए उसने पाकिस्तान का रास्ता चुना।

दाऊद और आईएसआई के बीच हुआ समझौता

आईएसआई और दाउद इब्राहीम के बीच एक समझौता हुआ जिसके अनुसार दाउद अपनी कमाई का 40 फीसदी आईएसआई को देने के लिए राजी हुआ जिसके बदले में आईएसआई ने उसे सुरक्षा देने का वादा किया। दाउद को कराची में पूरी सुरक्षा प्रदान की गयी और वह कराची में ऐश का जीवन गुजारने लगा।

दाउद कराची में रहता था इस बात का पता यहां के स्थानीय लोगों को भी था यही नहीं लोग दाउद के घर को भी पहचानते थे। 1998 तक दुनिया के लगभग हर देश को इस बात की जानकारी थी कि दाउद कराची में रहता है। लेकिन आईएसआई ने दाउद को लाहौर में भी एक घर मुहैया कराया ताकि उसके ठिकाने के बारे में लोगों का पता नहीं चले।

क्या सच में दाऊद आत्मसमर्पण करना चाहता था

हाल के दिनों में दाउद के बारे में काफी चर्चा हुई कि वह भारत में आत्मसमर्पण करना चाहता था। लेकिन यहां यह बात समझने वाली है कि क्या वाकई में दाउद आत्मसमर्पण करना चाहता था, या फिर वह सिर्फ अपन परिवार को याद कर रहा था जिसके चलते वह भारत से समझौता करना चाहता था।

क्या पाकिस्तान करेगा दाऊद का प्रत्यर्पण

वहीं भारतीय खुफिया विभाग की मानें तो दाउद आज भी पाकिस्तान में है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि खुफिया विभाग कब दाउद के ठिकाने के बारे पता लगा पाता है और उसकी धरपकड़ कर पाता है।

वहीं पाकिस्तान ने अपना रुख साफ कर दिया है कि उसका इस मामले में रुख साफ है कि यह कभी साबित नहीं हुआ कि दाउद पाकिस्तान में है और ना ही भारत ने कभी उसके प्रत्यर्पण की मांग पाक के सामने रखी है।

English summary
Indian intelligence beauro launched a spy mission to track down the location of Dawood Ibrahim.
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