सर्वे: अब भी एजेंट्स की गिरफ्त में रेलवे, पीएम मोदी का ये मकसद अधर में
रेल यात्री द्वारा कराए गए ताजा सर्वे के मुताबिक लोग अभी भी कैश में टिकट लेना ज्यादा पसंद करते है।
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से देश में नया बदलाव आया है। लोग डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ने लगे हैं। लोग कैशलेस ट्रांजेक्शन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। सरकार भी इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है , लेकिन लगता है कि रेलवे टिकट रिजर्वेशन पर कैशलेस ट्रांजेक्शन का कुछ खास असर नहीं हुआ है। ताजा सर्वे के मुताबिक अभी भी देश में 50 फीसदी से ज्यादा ट्रेन के टिकटों की बिक्री कैश में होती है।
कैश में लेते हैं ट्रेन टिकट
रेल यात्री द्वारा कराए गए ताजा सर्वे के मुताबिक लोग अभी भी कैश में टिकट लेना ज्यादा पसंद करते है। इसकी सबसे बड़ी वजह ऑथराइज्ड एजेंट है। बिना रजिस्ट्रेशन वाली ट्रेवल एजेंट टिकट रिजर्वेशन के लिए कैश लेते हैं। सर्वे के मुताबिक ऐसे एजेंटों की तादात काफी ज्यादा है और इनकी वजह से ही टिकट रिजर्वेशन में कैशलेश ट्रांजेक्शन को धक्का लग रहा है।
क्या कहता है सर्वे
रेल यात्री डॉट इन द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक भले ही रेलवे लोगों को टिकट बुकिंग के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग, मोबाइल एप से बुकिंग, पीटीएम के जरिए रेव टिकट की बुकिंग की सुविधा देती है, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग अपने क रीबी और विश्वसनीय एजेंट्स के पास ही जाते हैं। देश में ऐसे एजेंट्स की संख्या 65 हजार के करीब है।
नहीं बढ़ें एजेंट के चार्ज
सर्वे के मुताबिक ज्यादातर एजेंट्स के पास डिजिटल पेमेंट के साधन होते है, लेकिन इसके बावजूद वो कैश में पेमेंट लेते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि डिजिटल पेमेंट से एजेंट्स अभी भी इससे कतरा रहे हैं। सबसे बड़ी बात की 5 सालों में ट्रेन के टिकटों के दाम को कई गुना बढ़ गए, लेकिन एजेंट्स के कमीशन नहीं बढ़ें। जिसकी वजह से लोगों का उनकी ओर आकर्षित होना लाजिमी है।