चीन बॉर्डर पर टेंशन के बीच देसी कार्बाइन से लैस होंगी सेनाएं!
नई दिल्ली। भारत चीन बॉर्डर पर जारी तनाव को देखते हुए सेनाएं इस बात पर विचार कर रही हैं कि जवानों को 'मेड इन इंडिया' यानी देसी कार्बाइन से लैस कर दिया जाए ताकि वह किसी आपातकालीन स्थिति से निबट सकें। न्यूज एजेंसी एएनआई की तरफ से बताया गया है कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) की पश्चिम बंगाल के ईशापुर स्थित केंद्र में इस कार्बाइन को तैयार किया गया है। अब बोर्ड की तरफ से सेनाओं को इस कार्बाइन का प्रस्ताव दिया गया है जो कि खरीद के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
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इनफेंट्री के जवानों के लिए जरूरी हैं कार्बाइन
कार्बाइन, इनफेंट्री, यानी पैदल सेना के जवानों का बड़ा हथियार होती है। इसका प्रयोग नजदीक आए दुश्मनों पर हमला करने में किया जाता है। सेना पिछले कई वर्षों से कार्बाइन का इंतजार कर रही है। सरकार के टॉप सूत्रों की तरफ से बताया गया, 'ऑर्डनैंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के पश्चिम बंगाल स्थित इशापुर प्लांट में तैयार कार्बाइन की पेशकश सेनाओं को की गई है। सेनाएं अब इसे खरीदने पर विचार कर रही हैं।' तीनों सेनाओं की तरफ से हथियार खरीद की डील करने वाले अधिकारियों ने कुछ दिन पहले इन कार्बाइनों का ट्रायल भी किया था। दरअसल, बहुत से कम देश ऐसे हैं जो कार्बाइन का निर्यात करते हैं और बहुत कम मात्रा में ही इनका निर्यात होता है। ऐसे में सेनाओं की आयात की योजना पूरी हो सकेगी, इस बात पर आशंका जताई गई है।
तीनों सेनाओं को चाहिए 3.5 लाख कार्बाइन
पिछले दो सालों से दूसरे देशों से कार्बाइन खरीद का मसला फंसा हुआ है। यह प्रस्ताव मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) के पास गया था, लेकिन अब तक इस पर फैसला नहीं लिया जा सका है। ऐसे में भारत में तैयार कार्बाइन का ऑफर सेनाओं को दिया गया है। अभी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को करीब 3.5 लाख कार्बाइन की जरूत है। सेनाएं विदेशों से 94,000 कार्बाइन ऑर्डर करने पर फिलहाल विचार कर रही हैं। लेकिन अगर देश में बनीं से कार्बाइन सेनाओं को पसंद आ गईं तो टेस्ट के बाद से इसे शुरुआत में सीमित मात्रा में सेनाओं को दिया जाएगा। हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से अमेरिका में बनीं सिग सॉउर राइफलों की दूसरी खेप की खरीद को हरी झंडी दे दी है। ये राइफलें ईस्टर्न लद्दाख में चीनी सैनिकों के खिलाफ तैनात भारतीय जवानों को दी जाएंगी।