सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा आतंकी गतिविधियों में सीजफायर को फॉलो करना मुश्किल
ना प्रमुख जनरल बिपिन रावत शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में थे और वह यहां पर स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे। जनरल रावत ने यहां पर आतंकियों को कड़ा संदेश दिया और साथ ही साथ घाटी में जारी युद्धविराम की स्थिति पर भी कड़ा रुख अख्तियार किया।
श्रीनगर। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में थे और वह यहां पर स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे। जनरल रावत ने यहां पर आतंकियों को कड़ा संदेश दिया और साथ ही साथ घाटी में जारी युद्धविराम की स्थिति पर भी कड़ा रुख अख्तियार किया। जनरल रावत ने यहां पर कहा कि आतंकी गतिविधियों के जारी रहने की स्थिति में सीजफायर जैसे निर्देश का पालन नहीं किया जा सकेगा। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते केंद्र सरकार की ओर से सेना और सुरक्षाबलों को घाटी में रमजान माह के दौरान सभी तरह के ऑपरेशन सस्पेंड करने का निर्देश दिया था।
शांति से खुश हैं घाटी के लोग
आर्मी चीफ जनरल रावत ने श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हमने सभी ऑपरेशंस को इसलिए सस्पेंड किया था ताकि लोगों को शांति का माहौल नजर आए। मुझे लगता है कि लोग इससे खुश हैं। लेकिन अगर चीजें इसी तरह से जारी रहीं तो फिर सेना निको यानी नॉन-इनीशिएशन ऑफ कॉम्बेट ऑपरेशंस के बारे में भी सोच सकती है।' उन्होंने आगे कहा कि अगर आतंकी गतिविधियां जारी रहीं तो फिर सेना ऐसा नहीं कर सकती है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार की उस रिक्वेस्ट को मान लिया है जिसमें रमजान माह के दौरान सुरक्षाबलों से ऑपरेशन रोकने की बात कही गई थी।
केंद्र सरकार ने मानी महबूबा की रिक्वेस्ट
गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से बताया गया है कि सरकार ने राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बात को मानते हुए रमजान माह में युद्धविराम की रिक्वेस्ट मान ली है। गृह मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षाबलों को आदेश दिया गया है कि जम्मू कश्मीर में रमजान के पवित्र माह में कोई ऑपरेशन लॉन्च न करें। बयान में आगे कहा गया है कि सेना और सुरक्षाबलों के पास यह अधिकार है कि हमले के समय लोगों की जान बचाने के लिए आतंकियों को उन्हीं के अंदाज में जवाब दे सकती हैं।
साल 2000 में हुआ था सीजफायर
आखिरी बार केंद्र सररकार ने सुरक्षाबलों को रामजान माह में सीजफायर का आदेश साल 2000 में दिया था और उस समय अटल बिहारी वाजपेई की सरकार केंद्र में थी। घाटी में उस समय जब सुरक्षाबलों ने सीजफायर किया तो उससे पहले आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन की ओर से भी सीजफायर का ऐलान किया था। महबूबा ने हालांकि अमरनाथ यात्रा के लिए भी सीजफायर की मांग की है। यह भी दिलचस्प बात है कि बीजेपी ने महबूबा के इस बयान से उस समय खुद को अलग कर लिया था।