India-China standoff: LAC से चीन तुरंत हटाए अपने 10,000 जवान, टैंक्स और तोप, भारत की मांग
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के वेस्टर्न सेक्टर पूर्वी लद्दाख पर जारी टकराव में उस समय एक अहम मोड़ मंगलवार को देखने को मिला जब चीन के सैनिक 2.5 किलोमीटर पीछे चले गए। तीन जगहों से चीनी सैनिका भले ही पीछे हट गए हों लेकिन टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है। भारत चाहता है कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी से चीन की पीपुल्स लिब्रेशन ऑफ आर्मी (पीएलए) के 10,000 जवान और भारी हथियारों को हटाया जाए। ये जवान और हथियार भारतीय सीमा के करीब तैनात हैं। बुधवार को फिर से मेजर जनरल स्तर की वार्ता होनी है और इस वार्ता का मकसद दोनों देशों की सेनाओं के पीछे आपसी भरोसे का निर्माण करना है।
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अभी चलेगा मीटिंग का दौर
मंगलवार को चीन के सैनिक गलवान इलाके, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग्स एरिया से 2.5 किलोमीटर पीछे चले गए हैं। हॉट स्प्रिंग्स एरिया पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 17 है। आज कोर कमांडर पैंगोंग झील पर टकराव के बिंदु पर समस्या का हल निकालने पर चर्चा कर सकते हैं। मिलिट्री टीम जो सदस्य चुशुल में हैं उन्हें सभी तरह के निर्देश आर्मी हेडक्वार्ट्स दे दिए गए हैं। साथ ही सरकारी अधिकारी उस प्रस्ताव में मदद कर रहे हैं जो मसला हल करने में मदद कर सकता है। छह जून को चीन की तरफ मोल्डो में कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी जिसमें भारत की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल हुए थे जो लेह स्थित 14 कोर के कमांडर हैं।
एक डिविजन बराबर तैनात जवान
सरकारी सूत्रों की तरफ से न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया गया है, 'लद्दाख सेक्टर से सेनाओं के पीछे हटने का सिलसिला शुरू हो गया है लेकिन हम चाहते हैं कि एक डिविजन बराबर (10,000 से ज्यादा) जो तैनात चीन की तरफ से पोस्ट्स पर तैनात हैं, उन्हें भी हटाया जाए।' सूत्रों के मुताबिक सेनाओं का पीछे हटना अच्छी बात है लेकिन तनाव तभी कम हो सकता है जब चीन की सेना अपने उन भारी हथियारों को हटाएगी जो भारत की तरफ तैनात हैं। इनमें भारी तोप, से लेकर टैंक और लड़ाकू वाहन शामिल हैं। हालांकि भारत की तरफ से 10,000 से ज्यादा जवान लद्दाख सेक्टर में तैनात हैं। रिजर्व फोर्स के इन जवानों को इसलिए तैनात किया गया है ताकि चीन के किसी दुस्साहस का जवाब दिया जा सके।
पैगोंग झील पर तनाव बरकरार
पैंगोंग झील पर जारी तनाव में कोई भी कमी नहीं आ रही है और यह जगह अब टकराव का बड़ा बिंदु बन चुकी है। अगर बुधवार की वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकला तो फिर गुरुवार को फिर से एक दौर की वार्ता होगी।करीब 10,000 से 12,000 रिजर्व बल के इन जवानों को भारत ने अभी तक रिजर्व बल को वापस नहीं बुलाया गया है। छह जून को कमांडर स्तर की जो वार्ता हुई थी उसमें टकराव को खत्म करने की योजना पर चर्चा हुई थी। छह जून की मीटिंग से पहले मेजर जनरल, ब्रिगेडियर और कर्नल स्तर की बातचीत हो चुकी थी। छह जून को मोल्डो में जो चर्चा हुई है उसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सकारात्मक करार दिया है।
अप्रैल 2020 वाली स्थिति बहाल की जाए
भारत ने कहा है कि अप्रैल 2020 वाली स्थिति को एलएसी पर कायम किया जाए। ऐसे में अभी टकराव खत्म नहीं हुआ है। अब जल्द ही एक और राउंड वार्ता होने वाली है और माना जा रहा है कि इस दौरान कोई हल निकल सकता है। सेना इस समय गलवान नाले के करीब पेट्रोलिंग प्वाइंट पर एक ब्रिज का निर्माण कर रही है। भारत ने पुल के करीब जवानों की दो कंपनियां तैनात कर रखी हैं। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक चीनी सेना ने एलएसी में गलवान नाला इलाके में मई के पहले हफ्ते में अपने जवान भेजने शुरू कर दिए थे। चीनी जवान भारत की सीमा के काफी अंदर तक दाखिल होकर भारत की सीमा पर अपना दावा करना चाहते थे। अतिरिक्त जवानों की तैनाती से संवेदनशील बिंदुओं पर भारत का दावा मजबूत हुआ।