India-China: लद्दाख में तैनात हो चुका था दुनिया का सबसे खतरनाक हेलीकॉप्टर अपाचे
नई
दिल्ली।
भारत
और
चीन
के
बीच
पूर्वी
लद्दाख
में
जारी
टकराव
के
दो
माह
यानी
60
दिन
पूरे
होने
के
बाद
सोमवार
को
लाइन
ऑफ
एक्चुअल
कंट्रोल
(एलएसी)
पर
गलवान
घाटी
समेत
कुछ
और
हिस्सों
से
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवानों
के
पीछे
हटने
की
प्रक्रिया
शुरू
हो
गई।
चीन
समझ
गया
था
कि
भारत
इस
बार
आक्रामक
मूड
में
है
और
उसकी
तैयारियों
से
भी
चीन
को
इस
तरह
का
इशारा
मिल
चुका
था।
भारत
ने
पूर्वी
लद्दाख
में
अमेरिकी
अटैक
हेलीकॉप्टर
अपाचे
के
बेड़े
को
भी
तैनात
कर
दिया
था।
भारत
और
चीन
की
सेनाएं
पूर्वी
लद्दाख
में
पांच
मई
आमने-सामने
थीं।
यह भी पढ़ें-60 दिन बाद कैसे लद्दाख में पीछे हटने पर कैसे राजी हुई चीनी सेना
भारत के पास हैं अब 22 अपाचे
अंग्रेजी
अखबार
हिन्दुस्तान
टाइम्स
के
मुताबिक
जून
माह
में
अपाचे
हेलीकॉप्टर्स
की
आखिरी
खेप
भारत
पहुंची
थी
और
इसमें
पांच
हेलीकॉप्टर्स
हैं।
केंद्र
सरकार
ने
कोविड-19
महामारी
के
बाद
भी
अपाचे
बनाने
वाली
कंपनी
बोइंग
को
अनिवार्य
क्वारंटाइन
नियमों
से
छूट
दे
दी
थी।
टीम
ने
इसके
बाद
हेलीकॉप्टर्स
को
असेंबल
कर
भारत
भेजा
और
पठानकोट
से
हेलीकॉप्टर्स
फ्लाइट
टेस्टिंग
के
बाद
लद्दाख
पहुंचे।
एक
सरकारी
अधिकारी
ने
बताया
कि
सेना
टकराव
के
दौरान
सबसे
बुरे
दौरे
के
लिए
भी
तैयार
रहना
चाहती
थी
और
वह
तैयार
थी।
भारत
ने
पिछले
वर्ष
22
में
से
17
AH-64
अपाचे
हेलीकॉप्टर्स
को
इंडियन
एयरफोर्स
(आईएएफ)
में
शामिल
किया
है।
ये
हेलीकॉप्टर्स
128
टारगेट्स
को
ट्रैक
कर
सकते
हैं
और
16
टारगेट्स
और
खतरों
को
देखते
हुए
उन्हें
निशाना
बनाने
में
सक्षम
हैं।
मार्च
में
बाकी
बचे
पांच
हेलीकॉप्टर्स
को
भारत
आना
था
लेकिन
कोरोना
वायरस
महामारी
के
चलते
हेलीकॉप्टर्स
भारत
नहीं
पहुंच
पाए।
रात में मिसाइल से तबाह करने की क्षमता
मई की शुरुआत में भारत यह देखकर हैरान था कि पीएलए के जवान एलएसी पर आक्रामक हो चुके हैं। पूर्वी लद्दाख में चार जगहों पर टकराव शुरू हो चुका था। भारत इस बार हर तरह के खतरे के लिए तैयार होने लगा था। आईएएफ की तरफ से अगले कुछ दिनों के अंदर जम्मू कश्मीर में स्थित एयरबेसेज से अपाचे के अलावा 15 हैवी लिफ्ट चिनुक चॉपर्स को लद्दाख पहुंचाया। अपाचे को दुनिया का सबसे खतरनाक हेलीकॉप्टर माना जाता है। इसमें फिट 30 एमएम की गन दो मिनट से भी कम समय में 1200 राउंड फायरिंग कर सकती है। इसके अलावा हेलीकॉप्टर 80 रॉकेट्स कैरी कर सकता है। साथ ही इसमें हेलफायर मिसाइल भी है जो रात के अंधेरे में भी टारगेट्स को पहचान कर उन्हें तबाह कर सकता है।
हर मौसम में उड़ान भर सकता है अपाचे
अपाचे को अपाचे गार्डियन हेलीकॉप्टर के नाम से भी जाना जाता है। एएच-64ई (I) अपाचे गार्डियन एक एडवांस्ड और हर मौसम में हमला करने की क्षमता से लैस हेलीकॉप्टर है जिसे जमीन के अलावा हवा में मौजूद दुश्मन पर भी हमला करने में प्रयोग किया जा सकता है। यह हेलीकॉप्टर कम ऊंचाई पर पेड़ों और पहाड़ों के बीच भी उड़ान भर सकता है और दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकता है। अफगानिस्तान में अपाचे ने अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है। प्रिंस हैरी इस हेलीकॉप्टर को उड़ा चुके हैं। जिस समय प्रिंस हैरी अफगानिस्तान में डेप्लॉयड थे, उस समय वह इसी हेलीकॉप्टर के पायलट थे। प्रिंस हैरी की मानें तो दुश्मनों में दहशत पैदा करने के लिए इस हेलीकॉप्टर का सिर्फ नाम ही काफी है।
रडार की पकड़ से दूर अपाचे
बोइंग का अपाचे चार ब्लेड वाला और ट्विन इंजन वाला हेलीकॉप्टर है। अपाचे दुनिया पहला ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर है जो रडार की पकड़ से दूर है। इसके कॉकपिट में दो लोगों के क्रू की जगह है।पठानकोट में रूसी हेलीकॉप्टर एमआई-35 की एक यूनिट है और इस यूनिट को रिटायर कर दिया है। अब इसकी जगह एडवांस्ड हेलीकॉप्टर अपाचे की यूनिट आईएएफ के लिए रेडी है। अपाचे में फिट सेंसर की मदद से यह अपने दुश्मनों को आसानी से तलाश कर उन्हें खत्म कर सकता है। साथ ही इसमें नाइट विजन सिस्टम भी इंस्टॉल हैं। हेलीकॉप्टर में इंस्टॉल एयरफ्रेम में कुछ का वजन करीब 2,500 पौंड यानी 1,100 किलो है। यह एयरफ्रेम इसे किसी भी बैलेस्टिक हमले से सुरक्षित रखता है।
अपाचे के खतरनाक हथियार
अपाचे में 30 मिलिमीटर की एक एम230 चेन गन को मेन लैंडिंग गियर के बीच इंस्टॉल किया गया है और यह हेलीकॉप्टर की स्ट्राइकिंग कैपेसिटी को दोगुना करती है। भारत दुनिया का 14वां ऐसा देश बन गया है जो जहां पर सेनाएं अपाचे ऑपरेट कर रही हैं। सितंबर 2015 में भारत सरकार ने अपाचे की खरीद को मंजूरी दी थी। साल 2017 में सेना के लिए अतिरिक्त छह अपाचे हेलीकॉप्टर्स की खरीद को मंजूरी दी गई थी। अपाचे में एक एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल और हाइड्रा 70 रॉकेट पॉड्स को फिट किया गया है।अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वॉर जोन में लड़ाई के समय जरा भी फेल न हो। अपाचे दुनिया के उन चुनिंदा हेलीकॉप्टर में शामिल है जो किसी भी मौसम या किसी भी स्थिति में दुश्मन पर हमला कर सकता है।
पहली उड़ान 1975 में
अप्रैल 1986 में अपाचे को अमेरिकी सेना में शामिल किया गया था। अपाचे को सन् 1981 तक एएच-64 नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में अपाचे नाम दिया गया। अमेरिकी सेना में उस समय अपने हेलीकॉप्टरों का नाम अमेरिकी भारतीय जनजातीय नामों पर रखती थी। अपाचे को अमेरिकी सेना के एडवांस्ड अटैक हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के लिए डेवलप किया गया था। उस समय अमेरिकी सेना एएच-1 कोबरा हेलीकॉप्टर को प्रयोग करती थी। अपाचे ने पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 को भरी थी।