India-China border: क्या हुआ था 30 अगस्त की रात को, कैसे Indian Army ने किया लद्दाख की ऊंची चोटियों पर कब्जा
नई दिल्ली। 29 और 30 अगस्त को चीन ने एक बार फिर लद्दाख में घुसपैठ करने की कोशिशें कीं। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के 500 जवानों ने चुशुल के करीब एक गांव में घुसपैठ कर पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से पर कब्जे की कोशिशें की। लेकिन पहले से चौकस भारतीय सुरक्षा बलों ने चीन के इस प्रयास को विफल कर दिया। भारत की सेना ने फिर से उस रेकिन पास को अपने कब्जे में कर लिया है जो सन् 1962 में हुई जंग में उसके हाथ से चला गया था। भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) ने ब्लैक टॉप पर कब्जा किया हुआ है।
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तीन घंटे तक हुई 'जंग'
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ के मुताबिक भारतीय जवानों की पीएलए जवानों के साथ झड़प हुई। भारतीय सीमा पर कब्जे की कोशिशों में लगे पीएलए के जवानों के साथ टकराव में न सिर्फ चीनी सैनिकों को मुंह की खानी पड़ी बल्कि भारत ने चीन की एक मिलिट्री पोस्ट पर कब्जा कर लिया है। टेलीग्राफ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चुशुल में 30 अगस्त को तीन घंटे तक हैंड-टू-हैंड कॉम्बेट में चीनी सैनिकों को धूल चटाई गई है। अखबार के मुताबिक स्पेशल ऑपरेशंस बटालियन यानी स्पेशल फ्रंटियर फोर्स ने पैंगोंग झील के करीब स्थित एक चीनी कैंप पर रविवार को तड़के कब्जा कर लिया। टेलीग्राफ ने लिखा है कि अभी तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिली है कि चीन को इस 'युद्ध' में कितना नुकसान उठाना पड़ा है।
रेजांग ला पास पर तैनात जवान
भारत की सेना रेकिन पास के करीब चार किलोमीटर अंदर तक दाखिल हो चुकी है। चुशुल में टकराव ऐसे समय में हुआ है जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की तरफ से कहा गया था कि अगर वार्ता से यथास्थिति नहीं बहाल हुई तो फिर सेना एक्शन लेगी। द प्रिंट की ओर से बताया गया है कि भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिण में चार ऐसी जगहों पर कब्जा कर लिया है जो रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा चुशुल सेक्टर के तहत आने वाले कुछ पास पर भी भारत का कब्जा हो चुका है। रेजांग ला समेत कई इलाकों में जवान तैनात हो चुके हैं। साथ ही अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले हिस्सों की रेकी की जा चुकी है।
11 बजे चुशुल में दाखिल चीनी जवान
सेना ने अतिरिक्त जवानों को भी रिजर्व बल के तौर पर चुशुल की तरफ रवाना कर दिया गया है। ये वो जवान हैं जो मई माह में टकराव होने के समय से पूर्वी लद्दाख के दूसरे हिस्से में तैनात थे। सूत्रों की तरफ से कहा गया है कि चुशुल में ऊंची चोटियों और यहां से गुजरने वाले रास्तों पर दोनों ही देश अपना-अपना दावा करते थे। लेकिन अब भारत को यहां पर बढ़त मिल चुकी है। हालांकि सेना के सूत्र किसी भी तरह के शारीरिक संघर्ष से साफ इनकार कर रहे हैं। शनिवार रात करीब 11 बजे सेना को पैंगोंग के दक्षिण में चीनी गतिविधियों की जानकारी मिली थी। इंटेलीजेंस मिलते ही जवानों को फौरन रवाना किया गया।
क्यों जरूरी है इन चोटियों पर कब्जा
सेना सूत्रों के मुताबिक चीन की योजना इन ऊंचाईयों पर कब्जा करने की थी। अगर वो इन चोटियों को अगर चीन अपने कब्जे में ले लेता तो फिर उसे बहुत फायदा मिल सकता था। कई रक्षा और सुरक्षा संस्थानों की तरफ से बार-बार ये मांग की जा रही थी कि सेना को उन ऊचाईयों और रास्तों को फिर से हथियाना होगा जो उसके लिए अहमियत रखते हैं। इन जगहों को अपने नियंत्रण में लेकर भारत, चीन की आक्रामकता का पूरा जवाब दे सकता है। चीन जुलाई माह से ही एलएसी पर मिलिट्री ढांचे को मजबूत करने में लगा है। उसने हेलीपोर्ट्स से लेकर जमीन से लेकर हवा में मार सकने वाली मिसाइलों के लिए भी बेस तक तैयार कर लिया है।