पाकिस्तान की ओर से पहली बार दी गई हमले की चेतावनी, कहा पुलवामा की तरह दहला सकते हैं आतंकी
श्रीनगर। एक असाधारण घटना के तहत पाकिस्तान ने भारत को जम्मू कश्मीर घाटी में बड़े आतंकी हमले को लेकर आगाह किया है। पाकिस्तान की ओर से जो इंटेलीजेंस साझा की गई है उसमें कहा गया है कि आतंकी जाकिर मूसा की मौत का बदला लेने के लिए 14 फरवरी को हुए पुलवामा जैसे बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम देने की फिराक में हैं। पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि इस बार भी पुलवामा के अवंतिपोरा में कार हमला होने की आशंका है। यह पहला मौका है जब पाकिस्तान ने किसी हमले से पहले उसकी इंटेलीजेंस भारत के साथ साझा की है। सूत्रों ने श्रीनगर स्थित एक रक्षा अधिकारी के हवाले से इस खबर की पुष्टि की है। पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
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मूसा की मौत का बदला ले सकते हैं आतंकी
पाकिस्तान की ओर से आई इस वॉर्निंग के बाद से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हैं और पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं। पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि आतंकी अंसार गजवात-उल-हिंद के सरगना जाकिर मूसा की मौत का बदला लेने के लिए हमले को अंजाम दे सकते हैं। कुछ दिनों पहले पाक की ओर से यह जानकारी साझा की गई है। अंसार गजवात-उल-हिंद, कश्मीर में अल कायदा का ही संगठन हैं। 23 मई को त्राल में हुए एनकाउंटर में मूसा को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था। वहीं दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय, पाकिस्तान उच्चायोग और अमेरिकी दूतावास की ओर से इस खबर पर कोई टिप्प्णी नहीं की गई है। पुलिस का कहना है कि मूसा ने करीब दो दर्जन लोगों को अंसार गजवात उल-हिंद से जोड़ लिया था।
पहले अमेरिका के साथ साझा की वॉर्निंग
श्रीनगर में अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान की ओर से जो जानकारी आई है उसकी पड़ताल दो तरह से हो रही है। एक तो हो सकता है कि किसी भी बड़े आतंकी हमले की सूरत में पाकिस्तान दोष लेने से बचना चाहता है क्योंकि पाक इस जानकारी को पहले ही अमेरिका और ब्रिटेन के साथ साझा कर चुका है। यह भी हो सकता है कि पाक वाकई गंभीर हो और पता लगने पर उसने जानकारी भारत के साथ साझा की हो क्योंकि अल कायदा से जुड़े संगठन के आतंकी हमले की साजिश कर रहे हैं। अधिकारियों की ओर से यह भी कहा गया है कि अल कायदा से जुड़े आतंकियों की गतिविधियों को अलग नजरिए से देखता है। पाकिस्तान ने अगर यह इंटेलीजेंस भारत के साथ शेयर की है तो यह एक असाधारण और चौंकाने वाली घटना है।
ब्लैक लिस्ट होने का दबाव
पाकिस्तान, अमेरिका और ब्रिटेन की इंटेलीजेंस एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है और उन्हें बड़े हमले को लेकर आगाह करता है। ऐसे में इस तरह का आपसी सहयोग भारत के साथ होना अपने आप में हैरान करने वाला कदम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान हमेशा आतंकी संगठनों को उसे एक ऐसे मददगार के तौर पर देखता है जो कश्मीर मकसद में उसकी सोच को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से जो इंटेलीजेंस शेयर की गई है, उसकी टाइमिंग भी काफी खास है। पाकिस्तान जो कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में है, उस पर आतंकियों पर कार्रवाई करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।इस हफ्ते अमेरिका के ओरलैंड में एफएटीएफ की अहम बैठक होने वाली है। इसमें फैसला लिया जाएगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करना या फिर ग्रे लिस्ट में ही रखना है।
पीएम मोदी ने दिया था कड़ा संदेश
14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद से पाक पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडराने लगा है। फ्रांस स्थित एफएटीएफ का मानना है कि पाकिस्तान ने आतंकियों की मिल रही वित्तीय मदद को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है। पिछले दिनों किर्गिस्तान की राजधानी बिशकेक में आयोजित शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेश (एससीओ) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाक पीएम इमरान खान ने शिरकत की थी। यहां पर पीएम मोदी ने यहां पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी ने जिनपिंग को दो टूक कहा था कि पाकिस्तान को आतंकवाद मुक्त माहौल का निर्माण करना होगा और तभी उससे बातचीत हो पाएगी।