ICMR शोध में खुलासा, कोरोना की दूसरी लहर प्रेग्रेंट और बेबी फीड कराने वाली महिलाओं के लिए भी रही खतरनाक
ICMR शोध में खुलासा, कोरोना की दूसरी लहर प्रेग्रेंट और बेबी फीड कराने वाली महिलाओं के लिए भी रही खतरनाक
नई दिल्ली, 17 जून: कोरोना वायरस की दूसरी लहर प्रेग्रेंट, प्रसवोत्तर महिलाएं (पोस्टपार्टम) और बेबी फीड कराने वाली महिलाओं के भी लिए खतरनाक रही है। इस बात का खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए अध्ययन से हुआ है। आईसीएमआर ने हाल ही में किए अपने रिसर्च में कहा है कि गर्भवती महिलाएं और प्रसवोत्तर महिलाएं कोरोना वायरस की पहली लहर की तुलना में कोरोना दूसरी लहर के दौरान अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। 2020 की तुलान में इस साल डेथ रेट और केस भी अधिक थे। आईसीएमआर ने शोध में कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं से जुड़े मामलों की तुलना की गई है।
Recommended Video
गर्भवती महिलाओं को लेकर ICMR की स्टडी
रिसर्च में ये बात सामने आई है कि कोरोना की पहली लहर से दूसरी लहर में प्रेग्रेंट और प्रसवोत्तर महिलाओं में 28.7 प्रतिशत अधिक कोविड-19 के लक्षण दिखे थे। जबकि अनुपात 14.2 प्रतिशत का था। पहली लहर में 1143 गर्भवती महिलाओं में 162 में कोविड के लक्षण दिखे थे। वहीं इसकी तुलना में दूसरी लहर में 387 के मुकाबले 111 प्रेग्नेंट महिलाओं में कोरोना के लक्षण दिखे थे। जो पहले की तुलना में 28.7 प्रतिशत पर अधिक है।
Comparative analysis of data collected from pregnant women and postpartum women during the first wave and the second wave of the COVID-19 pandemic @PregCovid registry India. @MOHFW_INDIA @DeptHealthRes @mygovindia @mygovMaha @COVIDNewsByMIB #ICMRFIGHTSCOVID19 #IndiaFightsCOVID19 pic.twitter.com/QfU2SvRazm
— ICMR (@ICMRDELHI) June 16, 2021
स्टडी के मुताबिक, पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर रही अधिक खतरनाक
रिसर्च में ये यह भी कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं और प्रसवोत्तर महिलाओं में मामले की मृत्यु दर (सीएफआर) भी पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में अधिक थी। दूसरी लहर में 387 गर्भवती महिलाओं में से 22 महिलाओं की कोविड-19 से मौत हुई। जबकि पहली लहर में 1143 प्रेग्नेंट महिलाओं में से सिर्फ 08 महिलाओं की मौत हुई थी। दूसरी लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं की डेथ रेट 5.7 प्रतिशत थी। जबकि पहली लहर में मृत्यु दर 0.7 प्रतिशत थी।
आईसीएमआर ने ये रिसर्च 1,530 गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं पर किया था। जिसमें कोरोना की पहली लहर में 1,143 महिलाएं और दूसरी लहर से 387 महिलाएं शामिल थीं। पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान मातृ मृत्यु की कुल संख्या 2 प्रतिशत रही है। यानी 1,530 गर्भवती महिलाओं में से 30 महिलाओं की कोरोना से मौत हुई है। जिनमें से अधिकांश महिलाएं कोविड निमोनिया और सांस लेने में दिक्क्तों की वजह से पीड़ित थीं।
ये भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी की खबरों के बीच सामने आई नुसरत जहां की बेबी बंप वाली पहली तस्वीर
रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि कोविड-19 वैक्सीन गर्भवती और बेबी फीड महिलाओं के लिए भी जरूरी है। भारत में बेबी फीड (स्तनपान) कराने वाली महिलाओं को कोविड-19 वैक्सीन लेने की सलाह दी गई है। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को फिलहाल क्लिनिकल परीक्षण डेटा की कमी का हवाला देते हुए वैक्सीन ना लेने की सलाह दी गई है। इस मामले पर वर्तमान में राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) चर्चा कर रही है। पिछले हफ्ते, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने की सिफारिश की है।