केन्द्र जवाब दे, क्यों हुर्रियत नेताओं की नजरबंदी खत्म की
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) सैयद अली शाह गिलानी को छोड़ हुर्रियत नेताओं की नजरबंदी खत्म कर दी गई। यासिन मलिक रिहा। क्यों? क्या जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद केन्द्र की बात मानने को तैयार नहीं? याद कीजिए कि भारत ने नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी थी अगर पाक एनएसए सरताज अजीज अलगाववादी नेताओं से मिलते हैं, तो हम करारा जवाब देंगे।
गलत संदेश
बेशक,हुर्रियत नेताओं की नजरबंदी खत्म करने से बिल्कुल गलत संदेश गया है। क्षण भर में बना उत्साह ठंड़ा पड़ गया है। केन्द्र सरकार को जवाब देना होगा।
शंका जताई
बहरहाल, आगामी भारत- पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बातचीत के परिणामों को लेकर अब शंका जताई जा रही है। पाकिस्ता उच्चायुक्त बासित ने हुर्रियत नेताओं को दिल्ली बुलाया है। वह भी उसी दिन जिस दिन बातचीत शुरू होनी है।
याद करिये ठीक इसी तरह की हिमाकत पर भारत ने विदेश सचिव स्तर की बातचीत को रद्द किया था। पाकिस्तान को उचित जवाब देने के लिए एनएसए लेवल की वार्ता को भी भारत सरकार द्वारा रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस घटना से एक बात साफ है कि पाकिस्तान द्विपक्षीय बातचीत के प्रति बिल्कुल संजीदा नहीं है।
वह अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत सभी मसलों पर समग्र बातचीत को आगे बढ़ाना चाहता है परन्तु पाकिस्तानी हुक्मरानों की सुईं जम्मू-कश्मीर पर अटकी हुई है। वह हर हाल में इस मसले को तूल देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करना चाहता है।
बड़ा सवाल ये है कि जब रोज सीमा पर युद्ध विराम तोड़ा जा रहा है तो ऐसे में बातचीत का औचित्य क्या है? लगभग रोजाना वहां ग्रामीण या सुरक्षा बलों के जवान घायल हो रहे हैं या मारे जा रहे हैं। सीमा पार से घुसपैठ में कोई कमी नहीं आ रही है। उधमपुर में पकड़ा गया नवेद उर्फ उस्मानी इसका सबूत है कि पाकिस्तान क्या कर रहा है?
यह और भी चौंकाने वाली बात है कि विपक्ष में रहते हुए जो भाजपा ऐसे हालात में पाकिस्तान से बातचीत का विरोध करती थी। वह अब कह रही है कि वह पाक से वार्ता के इच्छुक हैं। कम से कम इस मुद्दे पर उसका बदला हुआ रूप लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रहा।