मुंबई की लोकल ट्रेन बनी 'लाइफ ट्रेन', महज 34 मिनट में पहुंचाया ट्रांसप्लांट के लिए लीवर
मुंबई। मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन में लग्गेज के रूप में एक अलग सा बड़ा डब्बा लेकर कोई चढा तो उसे रखने के लिए जगह बनाई गई। दरअसल लाल रंग के इस बॉक्स में पैरल अस्पताल में भर्ती एक मरीज के लिए लीवर ले जाया जा रहा था। ऐसा पहली बार हुआ है जब ऐसी चीज के लिए लोकल ट्रेन का सहारा लिया गया हो। पैरल ग्लोबल अस्पताल ने थाने जुपिटर हास्पिटल में भर्ती एक 53 साल के ब्रेन डेड शख्स के लीवर को किसी अन्य जरूरत मंद को देने के मंगाया। इसके लिए रोड की जगह लोकल ट्रेन का सहारा लिया गया। ये लीवर लेकर टीम दोपहर 2:57 पर जुपिटर अस्पताल से निकली और दोपहर 3:08 पर ट्रेन पकड़ी। इसके बाद 3:42 पर टीम दादर स्टेशन पर उतरी। वहां से एंबुलेंस के सहारे इसे पैरल अस्पताल ले जाया गया। यानी ट्रेन का सफर 34 मिनट का रहा। बता दें कि शरीर से अलग होने के बाद लीवर 12 घंटों तक जीवित होता है इसके बाद वह बेकार हो जाता है।
पैरल हास्पिटल की ट्रांस्प्लांट टीम ने इस पर कहा कि हमने लीवर लेकर आने के लिए लोकल ट्रेन का रास्ता चुना क्योंकि ये पहुंचने के लिए काफी तेज रास्ता था। हालांकि जोनल ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेशन कमेटी ने रेलवे प्लेटफॉर्म पर भीड़ के चलते इस फैसले को एक अनावश्यक रिस्क बताया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सड़क के रास्ते देरी नहीं होती क्योंकि अस्पताल ग्रीन कॉरिडोर का इंतजाम कर सकता था।
जुपिटर अस्पताल में एक समाजिक कार्यकर्ता के मोटरबाइक एक्सीडेंट में ब्रेन डेड हो जाने के बाद मृत्यू ये लीवर ट्रांसपोर्ट संभव हुआ। ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर अनिरुध कुलकर्णी ने बताया कि मरीज सिर में खतरनाक ब्लीडिंग और हैमरेज के बाद ब्रेन डेड होने की स्थिति में डॉक्टरों ने मरीज के परिवार को अंग दान की राय दी। वे इसपर राजी हो गए और कुछ टेस्ट के बाद किडनी और लिवर फिट पाया गया। इसके बाद इसके लिए पैरल ग्लोबल अस्पताल में जरूरतमंद मरीज की पहचान की गई और वहां की टीम लीवर लेने के लिए थाणे पहुंच गई।
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