SC ने कहा- दोबारा नहीं करेंगे हिन्दुत्व की व्याख्या
सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने कहा है कि वो हिन्दुत्व की दोबारा व्याख्या नहीं करेंगे।
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय में 7 न्यायधीशों की संवैधानिक पीठ ने फैसला किया है कि फिर से हिन्दुत्व की व्याख्या नहीं करेंगे।
बता दें कि बीते सप्ताह सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने एक याचिका के जरिए हिन्दुत्व की दोबारा व्याख्या करने के साथ ही 21 साल पहले 1995 में दिए गए फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा था।
मुख्य न्यायधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कि अब हम इस बड़ी बहस में नहीं जाएंगे कि हिन्दुत्व क्या है या फिर इसका क्या अर्थ है। हम साल 1995 के फैसले की समीक्षा नहीं करेंगे। साथ ही इस स्तर पर हिन्दुत्व या धर्म की तहकीकात नहीं करेंगे।'
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कहीं नहीं है हिन्दुत्व शब्द का जिक्र
कहा गया कि जिस संदर्भ में यह मुद्दा उठाया गया था, उसके इस स्तर पर आकर हम खुद को सीमित पाते हैं। संदर्भ में कहीं भी हिन्दुत्व शब्द का जिक्र नहीं है। अगर कोई दिखा दे कि संदर्भ कहीं 'हिन्दुत्व' शब्द का जिक्र है तो हम उसे सुनेंगे।
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7 न्यायधीशों के संवैधानिक पीठ में न्यायधीश एम.बी.लोकुर,एस.ए.बोदबे, ए.के. गोयल, यू.यू. ललित डी वाई चंद्र चूण और एल नागेश्वर राव शामिल थे।
बता दें कि 1995 में कोर्ट ने कहा था कि हिन्दुत्व कोई धर्म नहीं वरन् जीने की शैली है।
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