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क्या सच में चीन की चुनौती हल्के में ले रही मोदी सरकार, जानिए क्या है अरुणाचल प्रदेश में PM मोदी की अभेद रणनीति

मोदी सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में पिछले पांच सालों में रिकॉर्ड सड़कों का निर्माण किया है। केंद्र की सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूत करने का काम किया है।

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Narendra Modi

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Arunachal Pradesh Strategy: भारत और चीन के बीच पिछले कुछ सालों में रिश्ते काफी खराब हो गए हैं। जिस तरह से पहले डोकलान, फिर लद्दाख और अब तवांग में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की खबरें सामने आई हैं उसके बाद विपक्ष मोदी सरकार पर चीन की चुनौती को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है लेकिन भारत सरकार सो रही है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद उठ रहे सवाल पर एक बड़ा मुद्दा यह जरूर है कि क्या सच में मोदी सरकार सो रही है?

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तीसरा और अहम फ्रंटियर हाईवे

तीसरा और अहम फ्रंटियर हाईवे

अरुणाचल प्रदेश में पहले से ही दो नेशनल हाईवे हैं और अब तीसरा नेशनल हाईवे फ्रंटियर हाईवे बनाने जा रही है। इस हाइवे की लंबाई 2000 किलोमीटर है। पूर्वोत्तर भारत में मोदी सरकार ने कई बड़े और अहम प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिसमे फ्रंटियर हाईवे काफी अहम है, इसकी बड़ी वजह है कि यह अरुणाचल प्रदेश में बनने जा रहा है। कई प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया गया और कई अंडरग्राउंड टनल अपने अंतिम चरण में हैं।

2319 किलोमीटर सड़क निर्माण की मंजूरी

2319 किलोमीटर सड़क निर्माण की मंजूरी

चीन की चुनौती को देखते हुए मोदी सरकार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर रोड कनेक्टिविटी को लगातार बेहतर करने में जुटी है। चीन की चुनौती को देखते हुए भारत बड़े पैमाने पर बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है। केंद्र सरकार ने 2319 किलोमीटर सड़क निर्माण के कार्य को अरुणाचल प्रदेश में मंजूरी दी है। अहम बात यह है कि इसमे से 1150 किलोमीटर सड़क का निर्माण पहले ही पूरा किया जा चुका है। फरवरी 2022 तक की बात करें तो 35 प्रोजेक्ट 14032 करोड़ के प्रोजेक्ट के कार्य तेजी से अरुणाचल प्रदेश में चल रहे हैं। सेला टनल प्रोजेक्ट पूरा होने की कगार पर है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2018 में की गई थी, इसे अगले साल अप्रैल माह तक पूरा कर लिया जाएगा।
यह दुनिया की सबसे लंबी बाइलेन टनल होगी जोकि 13000 फीट की ऊंचाई पर होगी।

सेना के मूवमेंट का नहीं पता चलेगा

सेना के मूवमेंट का नहीं पता चलेगा

इसके अलावा बलिपरा चाडो तवांग सड़क जोकि 317 किलोमीटर लंबी है। अहम बात है कि इस प्रोजेक्ट में काफी लंबी सुरंग भी हैं, जिसपर सामान्य और सेना की गाड़ियां आसानी से चल सकेंगी। ऐसे में भारतीय सेना के ट्रैफिक मूवमेंट की जानकारी चीन को इन टनल की वजह से नहीं मिल पाएगी। 13700 फीट की ऊंचाई से सेला पास पर चीन नजर रखता है। इसके अलावा कई पुराने ब्रिज की जगह नए ब्रिज को तैयार किया गया है। यानि अब कई ब्रिजों को क्लास 70 में अपग्रेड कर दिया गया है, जिसकी वजह से सेना के भारी वाहन भी इसपर चल सकेंगे।

गलवान के बाद 32 सड़क को मंजूरी

गलवान के बाद 32 सड़क को मंजूरी

गलवान में झड़प के बाद सरकार ने 32 सड़कों को मंजूरी दी थी जोकि एलएसी के करीब हैं। इस प्रोजेक्ट को इंडो-चायना बॉर्डर रोड प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के तहत मंजूरी दी गई है। इस प्रोजेक्ट को सितंबर 2020 में मंजूरी दी गई है। केमेंग हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को अगले साल पूरा कर लिया जाएगा। इसका निर्माण फरवरी 2005 में शुरू हुआ था। लेकिन मोदी सरकार ने इस प्रोजेक्ट को फास्ट ट्रैक किया। इस प्रोजेक्ट को अगले साल पूरा कर लिया जाएगा।

LAC पर पांच साल में 2089 किलोमीटर सड़क का निर्माण

LAC पर पांच साल में 2089 किलोमीटर सड़क का निर्माण

इसके अलावा फरवरी 2022 में रक्षा मंत्रालय की ओर से जो जानकारी दी गई थी उसके अनुसार केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन के बजट में रिकॉर्ड 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई थी, इसके बजट को बढ़ाकर 3500 करोड़ रुपए कर दिया गया, जोकि वित्त वर्ष 2021-22 में 2500 करोड़ रुपए का था। 2021 में बीआरओ ने 102 सड़क और ब्रिज के काम को पूरा किया था। इसमे उमलिंगला भी शामिल है जिसे 19300 फीट की ऊंचाई पर तैयार किया गया है। बीआरओ ने पिछले पांच सालों में 2089 किलोमीटर की सड़क एलएसी पर तैयार की है।

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English summary
Here is how Narendra Modi government is preparing counter strategy against China in Arunachal Pradesh
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