हरियाणा के वो 5 जिले और 3 तहसील कौन से हैं, जो हो सकते हैं Delhi-NCR से बाहर ?
नई दिल्ली,5 जुलाई: हरियाणा अब एनसीआर से अपने क्षेत्र को कम करना चाहता है। इसपर मंगलवार को ही कोई बड़ा फैसला होने की उम्मीद है और आसार हैं कि हरियाणा की मांग पूरी होने में दिक्कत नहीं आएगी। अगर ये होता है तो परिणाम ये होगा कि एनसीआर का दायरा इसके मौजूदा क्षेत्र का करीब तीन-चौथाई ही बच जाएगा। क्योंकि, हरियाणा के प्रस्ताव के मुताबिक वह अपना इतना बड़ा क्षेत्र हटाना चाहता है, जो कि करीब एनसीआर के मौजूदा क्षेत्र के 24% है। आइए जानते हैं कि अगर हरियाणा के प्रस्ताव पर मुहर लग गई तो वो कौन से 5 जिले और 3 तहसील होंगे, जो अब एनसीआर नहीं कहलाएंगे।
एनसीआर के क्षेत्र में 24% की आ सकती है कमी
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घटकर लगभग तीन-चौथाई हो सकता है। वन इंडिया ने सोमवार को भी रिपोर्ट दी थी कि हरियाणा सरकार अपना एक बड़ा हिस्सा एनसीआर के प्रशासनिक दायरे से बाहर करना चाहती है। अगर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने हरियाणा के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया तो एनसीआर का इलाका अपने मौजूदा क्षेत्र का सिर्फ 76% ही बच जाएगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा अपने 5 जिलों को पूरी तरह और दो अन्य जिलों की तीन तहसीलों को अब एनसीआर के दायरे में नहीं रखना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक एनसीआर के बाकी तीनों सदस्य राज्यों- दिल्ली, यूपी और राजस्थान ने हरियाणा के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया है, इसलिए इसकी संभावना बढ़ गई है।
हरियाणा के रवैए में आया बड़ा बदलाव
हरियाणा के रवैए में यह बहुत बड़ा बदलाव है। क्योंकि हरियाणा की पिछली सरकारों ने लगातार अपने ज्यादा से ज्यादा जिलों को एनसीआर में शामिल करने पर दबाव डाला था। मौजूदा डेटा से पता चलता है कि रीजनल प्लान 2021 में जहां एनसीआर में हरियाणा का सांकेतिक क्षेत्र 13,413 वर्ग किलो मीटर था, वहीं 2018 तक इसके ज्यादा इलाकों को जोड़ने की वजह से इसका वास्तविक क्षेत्र बढ़कर 25,327 वर्ग किलो मीटर हो गया है।
रीजनल प्लान 2041 के लिए दो सेट तैयार
ऊपर बताई गई अवधि में उत्तर प्रदेश के दो जिलों- मुजफ्फरनगर और शामली, राजस्थान के भरतपुर और हरियाणा के पांच जिलों- महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी-दादरी, करनाल और जींद को भी एनसीआर में शामिल किया गया था। सूत्रों के मुताबिक ऐसा पहली बार हो रहा है कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड रीजनल प्लान 2041 के लिए दो सेट प्रस्ताव पर विचार करेगा। इसमें एक योजना मौजूदा एनसीआर का इलाका यानी 55,144 वर्ग किलो मीटर पर आधारित होगा और दूसरा कम होने वाले संभावित क्षेत्र के आधार पर 42,083 वर्ग किलो मीटर को लेकर है। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड इन दोनों योजनाओं के सेट में से एक को मंजूरी देगा।
सिंगापुर से सीख लेने की बात
अधिकारियों ने माना है कि पहले 'राजनीतिक' वजहों से ज्यादा से ज्यादा जिलों को एनसीआर में शामिल करने के लिए हल्ला मचता था, क्षेत्र के विकास के लिए व्यवस्थित योजना तैयार करने के लिए नहीं। इतिहास से सीखकर प्रस्तावित रीजनल प्लान में एनसीआर शहरों के लिए ज्यादा से ज्यादा हाई राइज और हाई डेन्सिटी नॉर्म्स अपनाने का सुझाव दिया गया है। इसमें पानी की कमी की समस्या को दूर करने के लिए उसी तरह के उपाय अपनाने पर जोर दिया गया है, जैसा सिंगापुर ने किया है। वह कुछ ही दशकों में पानी के खरीदार से, आवश्यकता से भी अधिक पानी वाला देश बन गया है।
हरियाणा के ये 5 जिले और 3 तहसील एनसीआर में नहीं रहेंगे!
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने अगर हरियाणा सरकार की मांग को हरी झंडी दिखा दी (जिसकी काफी संभावना लग रही है) तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दायरा 24% कम हो जाएगा। इसकी मंजूरी मिलने के साथ ही राज्य के पांच जिले- करनाल, जींद, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी और भिवानी इसका हिस्सा नहीं रहेंगे। इनके अलावा पानीपत और रोहतक जिलों के तीन तहसील भी इससे बाहर निकल जाएंगे। ये तीन तहसील हैं- पानीपत की पानीपत और मडलौदा और रोहतक की महम तहसील।(तस्वीरें- प्रतीकात्मक)